हैदराबाद : हिंदी सिनेमा के शोमैन राज कपूर के सबसे छोटे बेटे राजीव कपूर का मंगलवार को निधन हो गया. हिंदी सिनेमा के पहले परिवार के सदस्य होने के नाते, एक तरफ अभिनय करते हुए, राजीव ने फिल्मों के निर्माण और निर्देशन में भी हाथ आजमाया. हालांकि उनका करियर उम्मीद के मुताबिक नहीं चल पाया और इस बात को स्वीकार करने से वह कभी नहीं हिचकिचाएं.
बॉलीवुड में वह 'चिम्पू' के नाम से जाने जाते थे. राजीव को 1985 की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' ने रातों रात स्टार बना दिया. उनके साथ इस फिल्म में मंदाकिनी नजर आई थीं. उनकी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में 'लावा', 'जलजला' और 'जबरदस्त' शामिल है.
साल 1997 में उन्होंने आरके फिल्म्स के बैनर तले ऋषि कपूर-माधुरी दीक्षित स्टारर 'प्रेम ग्रन्थ' के साथ निर्देशन में हाथ आजमाया. दुर्भाग्य से यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई.
एक टैब्लॉइड द्वारा राजीव से एक बार पूछा गया था कि क्या उन्हें लगता है कि वह 80 के दशक के फॉर्मूला फिल्मों के शिकार हुए हैं. इस सवाल पर उन्होंने अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन में क्या गलत हुआ, इस बारे में खुलकर बात की थी.
राजीव ने कहा था 'जहां तक मेरे करियर की बात है, 'राम तेरी गंगा मैली' मेरी सबसे बेहतरीन फिल्म थी. दूसरी फिल्में नहीं चलीं, हालांकि वे बुरी नहीं थीं. दुख की बात यह है कि हर कोई मुझे शम्मी कपूर की तरह प्रोजेक्ट करना चाहता था क्योंकि मैं उनकी तरह दिखता था. सरल भाषा में कहें तो हिट है तो फिट है. अगर आपकी फिल्में हिट हो रहीं हैं तो चीजें अलग होती हैं. मैंने कुछ फिल्में की जिनमें संगीत अच्छा था, लेकिन वे फिल्में चली नहीं. '
अभिनेता ने 40 की उम्र में आर्किटेक्ट आरती सभरवाल से शादी की, लेकिन उनकी शादी ज्यादा समय तक नहीं चल पाई. जब उनसे उनकी असफल शादी के बारे में पूछा गया, तो राजीव ने कहा, "हां, मैं शादीशुदा था, लेकिन शादी कुछ महीनों तक भी नहीं चल पाई. मेरा तलाक हो गया. मैं अकेला था, लेकिन मैं अपने जीवन से खुश था. हालांकि, अब मेरे साथ मेरा साथी है और मैं खुश हूं.'
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गौरतलब है कि अभिनेता आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'तुलीदास जूनियर' से 28 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी करने वाले थे. इस फिल्म की घोषणा दिसंबर 2020 में की गई थी, फिल्म में संजय दत्त भी मुख्य भूमिका में नजर आने वाले थे.