ETV Bharat / sitara

मनोज बाजपेयी भी कर चुके हैं आत्महत्या की कोशिश, कहा- दोस्तों ने बचाई जान

सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री के कई लोग अपनी परेशानी को खुलकर कहने लगे हैं. डिप्रेशन से लेकर सुसाइड तक आए मन के ख्यालों को लोग साझा कर रहे हैं. हाल ही में नेशनल अवार्ड विनर एक्टर मनोज बाजपेयी ने एक चौकाने वाला खुलासा किया और बताया कि कैसे स्ट्रगल के शुरुआती दिनों में वह खुद से ही हार रहे थे और उनके मन में भी खुद को खत्म करने का विचार आ रहा था, लेकिन उनके दोस्तों ने उनकी जान को बचा लिया.

Manoj Bajpayee suicide after NSD rejection
Manoj Bajpayee suicide after NSD rejection
author img

By

Published : Jul 2, 2020, 5:08 PM IST

मुंबई : सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद फिल्म इंडस्ट्री हिल गई है. सुशांत डिप्रेशन में थे और उन्होंने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया. इसके बाद इंडस्ट्री में सेलेब्स डिप्रेशन को लेकर खुलकर अपनी बात रख रहे हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी ने अपने स्ट्रगल के दौर को याद करते हुए इस बात का खुलासा किया है कि एक दौर ऐसा था जब उनके मन में भी सुसाइड के ख्याल आते थे.

मनोज ने कहा, ‘मैं किसान का बेटा हूं, बिहार के गांव में अपने पांच भाई-बहनों के साथ पला-बढ़ा. हम साधारण जिंदगी जीते थे लेकिन जब भी शहर जाते तो थिएटर जरूर जाते थे. मैं अमिताभ बच्चन का फैन था और उनकी तरह बनना चाहता था. 9 साल की उम्र में ही मैं जानता था कि मुझे एक्टिंग करनी है.17 साल का हुआ तो दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. मैंने थिएटर करना शुरू किया लेकिन परिवार को इसके बारे में कोई आइडिया नहीं था. मैंने पिता जी को एक लेटर लिखा. वह गुस्सा नहीं हुए और मुझे 200 रु. भेजे.

मनोज ने आगे कहा, 'मैं आउटसाइडर था और नए माहौल में एडजस्ट करने की कोशिश कर रहा था. मैंने इंग्लिश सीखी. फिर मैंने एनएसडी में अप्लाई किया लेकिन तीन बार रिजेक्ट हुआ. मैं सुसाइड करने के करीब था तो मेरे दोस्त मेरे पास ही सोते थे और मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे. उसी साल मैं एक चाय की दुकान पर खड़ा था तो तिग्मांशु धूलिया मुझे ढूंढते हुए अपनी खटारा स्कूटर पर आए. शेखर कपूर मुझे बैंडिट क्वीन में कास्ट करना चाहते थे. तब मुझे लगा कि मैं मुंबई जाने के लिए तैयार हूं.'

पहले शॉट के बाद सुना- 'गेट आउट'

मनोज ने आगे बताया, 'शुरुआत में सब बहुत कठिन था. पांच दोस्तों के साथ हमने चॉल किराए पर ली और काम ढूंढने लगे लेकिन कोई रोल नहीं मिला. एक बार एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने मेरी फोटो फाड़ दी और एक ही दिन में 3 प्रोजेक्ट मेरे हाथ से निकल गए. यहां तक कि मुझे अपने पहले शॉट के बाद गेट आउट तक कहा गया. मेरे पास किराए के पैसे नहीं हुआ करते थे और खाने के लिए वड़ा-पाव भी महंगा लगता था.

Read More: 'सूर्यवंशी' से हटाया गया को-प्रोड्यूसर करण जौहर का नाम? मेकर्स ने बताया सच

चार साल तक किया स्ट्रगल

मनोज आगे बोले, 'मेरा चेहरा हीरो के लिए फिट नहीं होता था तो लोगों को लगता था कि मैं कभी बड़े परदे पर जगह नहीं बना पाऊंगा. चार साल स्ट्रगल करने के बाद मुझे महेश भट्ट की टीवी सीरीज में रोल मिला. एक एपिसोड के लिए मुझे 1500 रु. मिलते थे. इसके बाद मेरा काम नोटिस किया गया और मुझे अपनी पहली बॉलीवुड फिल्म मिली और इसके बाद सत्या से मुझे बड़ा ब्रेक मिला. फिर अवॉर्ड मिले. मैंने अपना पहला घर खरीदा और जानता था कि मैं यहां जम जाऊंगा. 67 फिल्मों के बाद मैं आज यहां हूं.'

मालूम हो कि मनोज बाजपेयी ने इंडस्ट्री में अपना सिक्का खुद जमाया. बॉलीवुड में सत्या, अलीगढ़, राजनीति, सत्याग्रह, गैंग्स ऑफ वासेपुर समेत कई फिल्में कीं.

मनोज बाजपेयी को आखिरी बार अभिषेक चौबे की फिल्म 'सोनचिड़िया' में सुशांत सिंह राजपूत के साथ देखा गया था.

मुंबई : सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद फिल्म इंडस्ट्री हिल गई है. सुशांत डिप्रेशन में थे और उन्होंने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया. इसके बाद इंडस्ट्री में सेलेब्स डिप्रेशन को लेकर खुलकर अपनी बात रख रहे हैं. हाल ही में एक इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी ने अपने स्ट्रगल के दौर को याद करते हुए इस बात का खुलासा किया है कि एक दौर ऐसा था जब उनके मन में भी सुसाइड के ख्याल आते थे.

मनोज ने कहा, ‘मैं किसान का बेटा हूं, बिहार के गांव में अपने पांच भाई-बहनों के साथ पला-बढ़ा. हम साधारण जिंदगी जीते थे लेकिन जब भी शहर जाते तो थिएटर जरूर जाते थे. मैं अमिताभ बच्चन का फैन था और उनकी तरह बनना चाहता था. 9 साल की उम्र में ही मैं जानता था कि मुझे एक्टिंग करनी है.17 साल का हुआ तो दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. मैंने थिएटर करना शुरू किया लेकिन परिवार को इसके बारे में कोई आइडिया नहीं था. मैंने पिता जी को एक लेटर लिखा. वह गुस्सा नहीं हुए और मुझे 200 रु. भेजे.

मनोज ने आगे कहा, 'मैं आउटसाइडर था और नए माहौल में एडजस्ट करने की कोशिश कर रहा था. मैंने इंग्लिश सीखी. फिर मैंने एनएसडी में अप्लाई किया लेकिन तीन बार रिजेक्ट हुआ. मैं सुसाइड करने के करीब था तो मेरे दोस्त मेरे पास ही सोते थे और मुझे अकेला नहीं छोड़ते थे. उसी साल मैं एक चाय की दुकान पर खड़ा था तो तिग्मांशु धूलिया मुझे ढूंढते हुए अपनी खटारा स्कूटर पर आए. शेखर कपूर मुझे बैंडिट क्वीन में कास्ट करना चाहते थे. तब मुझे लगा कि मैं मुंबई जाने के लिए तैयार हूं.'

पहले शॉट के बाद सुना- 'गेट आउट'

मनोज ने आगे बताया, 'शुरुआत में सब बहुत कठिन था. पांच दोस्तों के साथ हमने चॉल किराए पर ली और काम ढूंढने लगे लेकिन कोई रोल नहीं मिला. एक बार एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने मेरी फोटो फाड़ दी और एक ही दिन में 3 प्रोजेक्ट मेरे हाथ से निकल गए. यहां तक कि मुझे अपने पहले शॉट के बाद गेट आउट तक कहा गया. मेरे पास किराए के पैसे नहीं हुआ करते थे और खाने के लिए वड़ा-पाव भी महंगा लगता था.

Read More: 'सूर्यवंशी' से हटाया गया को-प्रोड्यूसर करण जौहर का नाम? मेकर्स ने बताया सच

चार साल तक किया स्ट्रगल

मनोज आगे बोले, 'मेरा चेहरा हीरो के लिए फिट नहीं होता था तो लोगों को लगता था कि मैं कभी बड़े परदे पर जगह नहीं बना पाऊंगा. चार साल स्ट्रगल करने के बाद मुझे महेश भट्ट की टीवी सीरीज में रोल मिला. एक एपिसोड के लिए मुझे 1500 रु. मिलते थे. इसके बाद मेरा काम नोटिस किया गया और मुझे अपनी पहली बॉलीवुड फिल्म मिली और इसके बाद सत्या से मुझे बड़ा ब्रेक मिला. फिर अवॉर्ड मिले. मैंने अपना पहला घर खरीदा और जानता था कि मैं यहां जम जाऊंगा. 67 फिल्मों के बाद मैं आज यहां हूं.'

मालूम हो कि मनोज बाजपेयी ने इंडस्ट्री में अपना सिक्का खुद जमाया. बॉलीवुड में सत्या, अलीगढ़, राजनीति, सत्याग्रह, गैंग्स ऑफ वासेपुर समेत कई फिल्में कीं.

मनोज बाजपेयी को आखिरी बार अभिषेक चौबे की फिल्म 'सोनचिड़िया' में सुशांत सिंह राजपूत के साथ देखा गया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.