स्मृति ईरानी का ग्लैमर वर्ल्ड को छोड़कर राज्य की जनता और समाज के हित में कार्य करने वाले प्रोफेशन का चुनाव बहुत ही सोची-विचारी हुई चॉइस थी.
साल 2003, सबकी नजरें छोटे पर्दे यानि टीवी स्क्रीन पर होती थी जब स्मृति जुबीन ईरानी कैमरे के सामने आईं. कई घटनाओं के मजेदार मोड़ के बाद देश की फेवरेट बहू ने उसी साल सेंटर स्टेज पर खड़े होकर पॉलिटिकल पार्टी भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) का सदस्य होने का गौरव हासिल किया.
साल 2014 के आम चुनाव के दौरान राहुल गांधी से हारने के बाद, अभिनेत्री ने अगले यानि 2019 के आम चुनाव में कमबैक किया और ऐसा कि दुनिया देखती रह गई. राहुल गांधी को उन्हीं के गढ़ अमेठी की लोकसभा सीट पर करारी शिकस्त दी.
कहते हैं न, 'हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं'. शाहरूख खान की फिल्म 'बाजीगर' का यह डायलॉग अभिनेत्री से राजनेता बनी स्मृति ईरानी पर खूब सटीक बैठा.
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देश की सेवा में खुद को झोंकने के बाद विश्वास से पॉलिटिक्स के मैदान में अड़ी रही स्माल स्क्रीन की स्टार कुछ ही समय में पॉलिटिक्स की भी शूटिंग स्टार बनकर उभरीं.
आज के समय में जिनको किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है उन्होंने 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' नामक धारावाहिक से बहुत ही छोटे समय में हर घर में अपना नाम पहुंचा दिया था. इस धारावाहिक में स्मृति का किरदार 'तुलसी विरानी' आज तक मशहूर है.
इसी सीरियल से अभिनेत्री ने अपार सफलता और नाम कमाया. अभिनेत्री को अपने किरदार के बेहतरीन पर्फोर्मेंस की बदौलत 9 से ज्यादा इंडियन टेलीविजन अकेडमी अवॉर्ड्स से नवाजा गया था.
एक्टर स्माल स्क्रीन पर चमकने लगीं. विज्ञापन से लेकर सिटकॉम जैसे थिएटर प्रोजेक्टर्स में उन्हीं का बोलबाला था, और हर अगले प्रोजेक्ट के बाद वह दर्शकों की फेवरेट बनती जा रहीं थीं.
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टेलीविजन सीरियल्स के अलावा, ईरानी का बंगाली फिल्म 'अर्पिता' में आदर्श बहु वाला किरदार भी लोगों को उतना ही पसंद आया.
स्माल स्क्रीन की सुपर सक्सेफुल आर्टिस्ट ने एकता कपूर के सीरियल 'क्योंकि.....' में अपने रोल तुलसी के जरिए करीब 8 सालों तक टीवी स्क्रीन पर राज किया.
1998 में मिस इंडिया बनने की ख्वाहिश रखने वालीं कंटेस्टेंट से पॉपुलर लीडर बनने तक, स्मृति ने बहुत लंबा सफर तय किया है.
अभिनेत्री ने अपने सिनेमा करियर को अलविदा कहने के बाद अपना पॉलिटिकल करियर बहुत मजबूत बनाया और कैमरे की चमक-दमक वाली दुनिया को फिर कभी मुड़ कर नहीं देखा.
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पॉलिटिक्स में बिना कनेक्शन के कदम रखना बहुत ही मुश्किल रहा लेकिन इस मुश्किल को पार कर अभिनेत्री ने खुद का वजूद कायम किया.
पूर्व यूपीसीसी प्रेजिंडेट रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था, 'ईरानी एक टेलीविजन आर्टिस्ट है राजनेता नहीं. वह लोगों में सिर्फ थोड़ी उत्सुकता पैदा कर सकती, लेकिन वह इतना सीरियस इलेक्शन नहीं लड़ सकती.'
उनको लफ्ज ब लफ्ज गलत साबित करते हुए ईरानी ने गांधी को तगड़ा कॉम्पिटीशन देते हुए आज गांधी के गढ़ अमेठी की सांसद हैं!
'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' स्टार आज की तारीख में बीजेपी के सबसे प्रमुख चेहरों में से एक बन गईं हैं. चाहे मीडिया वार्ताएं हों या भारी बहस वाले टीवी डिबेट्स, स्मृति अपनी साड़ी, सिंदूर और माथे पर बिंदी वाले भारतीय नारी की छवि में हर जगह ऑपोजिशन के सवालों और कटाक्ष का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए हमेशा हाजिर रहतीं हैं.
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मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जैसे महकमों में अपनी सेवा देने के बाद, स्मृति फिलहाल टेक्स्टाइल मिनिस्ट्री और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की कर्ता-धर्ता हैं और एक्टर से पॉलिटिशन बनीं स्मृति ईरानीबखूबी से अपने कार्यभार को निभा रहीं हैं.