मुंबईः सिनेमा की दुनिया मेहनत और जुनून से चलती है और जो इस दुनिया के मुख्य लोग हैं वह इस माध्यम से पागलों की तरह प्यार करते हैं. 5 नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स जीत चुके संजय लीला भंसाली को उनकी फिल्म की बारीकियों और ग्रैंड रिक्रिएशन के लिए जाना जाता है. वह सिनेमा से प्यार करते हैं, उसके लिए जुनूनी हैं और पूरी तरह पागल भी. आज उनके जन्मदिन पर, ईटीवी भारत सितारा आपको उन खूबियों के बारे में बताएगा जो इन्हें भारतीय सिनेमा का 'चेखव' बनाती है.
50 की उम्र के पड़ाव में जी रहे भंसाली एक इंटेंस फिल्म निर्माता हैं और उनकी फिल्मोग्राफी में हर एक सेकेंड मायने रखता है. अपने एक इंटरव्यू में, 'देवदास' के निर्देशक ने खुलासा किया कि वह मुश्किल से ही बॉलीवुड इवेंट या पार्टी में जाते हैं क्योंकि वह अपनी फिल्मों पर काम करने में बहुत बिजी रहते हैं और पार्टी उनका समय बर्बाद करती है.
फिल्म निर्माता को उनकी 2018 की फिल्म 'पद्मावत' की रिलीज से पहले काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. दुर्भाग्य से, भंसाली को उस ट्रॉमा से भी गुजरना पड़ा जिसे शायद ही इतिहास में किसी फिल्म निर्माता ने झेला हो. फिल्म की आलोचना करने वाले एक हिंसक समूह ने फिल्म सेट को ही बर्बाद कर दिया था लेकिन उसके बाद भी वह क्या चीज थी जिसने भंसाली को हिम्मत दी? पुराने इंटरव्यू में भंसाली ने इसका जवाब देते हुए कहा था- 'सिनेमा के लिए प्यार.'
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हालांकि 'पद्मावत' को दर्शकों से मिले प्यार ने उनके जख्मों पर मरहम लगाया लेकिन फिर भी उन्होंने कहा था कि वह 'डरे हुए हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर संदेह में हैं.'
भंसाली की फिल्में शानदार, खूबसूरत और कल्पनात्मक तरीके से निर्मित की जाती हैं, माना जाता है कि उनकी फिल्में एक खूबसूरत पेंटिंग की तरह हैं. भंसाली के लिए, हर फ्रेम में बारीकियों को दिखाना उनका मूलमंत्र है.
भंसाली द्वारा निर्देशित फिल्म का हिस्सा बनना किसी भी अभिनेता के लिए सपनों के सच होने जैसा होता है. वहीं उनकी लीडिंग लेडीज को स्क्रीन पर दमदार अभिनय करने का मौका भी मिलता रहा है. चाहे वह 'सावरियां' में डेब्यू कर रहीं सोनम कपूर हों, 'हम दिल दे चुके सनम' और 'देवदास' में ऐश्वर्या राय या 'गोलियों की रासलीला राम-लीला', 'बाजीराव मस्तानी' और 'पद्मावत' में दीपिका पादुकोण. जब अपनी लीडिंग लेडीज की खूबसूरती को कैमरे में कैद करने की बात आती है तब भंसाली उसे जादुई बना देते हैं.
हकीकत से परे फिल्में बनाने वाले आरोप के जवाब में संजय ने एक बार कहा था, फिल्म निर्माता अपनी खुद की सच्चाई को सिनेमा के पर्दे पर पेश करता है जो कि कई कलाओं का मेल होती है.
भंसाली के मुताबिक, 'जब मैं शूटिंग सेट पर जाता हूं, मैं आकर्षित हो जाता हूं. वही मेरा मंदिर है, मेरा पूजास्थल है.' सिनेमा के लिए पागलपन का यह बीज तब से उनके मन में उगना शुरू हो गया था जब वह 4 साल के थे. वह अपने पिता के साथ शूटिंग लोकेशन पर गए थे जहां कैबरे को फिल्माया जा रहा था, तब सेट की एनर्जी और माहौल देखकर उन्हें अंदर से आवाज आई थी कि 'बस यही दुनिया है!'
अपने दो दशक के लंबे करियर की तुलना में भंसाली ने कुछ ही फिल्में बनाई हैं. स्टोरीटेलिंग के मास्टर अपनी कहानी को शूट करने से पहले उस पर पूरा समय लगाते हैं और ऐसा ही कुछ उनकी आगामी फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के साथ भी हो रहा है जो कि 'पद्मावत' की रिलीज के दो साल बाद सिनेमाघरों में दिखाई देगी.
भंसाली की रचनात्मकता में सिर्फ सिनेमा को ही जगह नहीं मिली है. पद्म श्री विजेता को म्यूजिक की भी अच्छी समझ है. निर्देशन के अलावा, भंसाली ने 'पद्मावत', 'बाजीराव मस्तानी' जैसी फिल्मों में म्यूजिक भी कंपोज किया है और अपने आने वाले प्रोजेक्ट 'गंगूबाई काठियावड़ी' में भी म्यूजिक देंगे. भंसाली के लिए अपने करियर का सबसे बड़ा चैलेंज म्यूजिकल फिल्म 'बैजू बावरा' को बनाना है जिसकी तैयारी में वह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.
'ब्लैक' के निर्देशक पर लगने वाला एक और मुख्य इल्जाम यह है कि वह हर एक फ्रेम में इतनी बारीकी दिखाते हैं कि स्वाभाविकता की कोई जगह नहीं बचती. लेकिन, बॉलीवुड के पावर कपल दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह जिनकी प्रेम कहानी 'गोलियों की रासलीला राम-लीला' के सेट पर शुरू हुई थी उन्होंने कहा कि शूटिंग के दौरान निर्माता कई बार दायरे से बाहर भी आए.
निर्माता का सिनेमा बहुत विविध है जिसमें सब्जेक्ट के जरिए एकरूपता आती है और उसमें अलग-अलग गुण पाए जाते हैं और कल्पनात्मक फिल्मों में खूबसूरती का करीने से प्रदर्शन होता है. भंसाली के सिनेमा में पाए जाने वाले तत्व उनका कई सालों तक सिल्वर स्क्रीन से दूर रहने का परिणाम है.
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56 वर्षीय फिल्म निर्माता ने एक बार कहा था कि बचपन में भी उनका दिमाग अपनी जिंदगी की 'हर चीज में खूबसूरती की तलाश' करता रहता था.
भंसाली के लिए, फिल्में बनाना 'सेट पर लगातार कैमरा के साथ कुछ नया रचने' जैसा है. अपने आप में ही एक जोनर के रूप में उभरे निर्माता का मानना है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ऐसा सिनेमा ही नहीं बनाता है जो कि कमाल अमरोही, के आसिफ, राज कपूर, वी शांताराम आदि जैसे लेजेंड्स की सिनेमाई दुनिया के सामने टिक सके.
सिनेमाप्रेमी फिलहाल निर्माता की अगली फिल्म 'गंगूबाई काठियावाड़ी' की रिलीज के इंतजार में हैं, जिसमें आलिया भट्ट मुख्य किरदार निभा रही हैं, हम फिल्म निर्माता को उनके जन्मदिन पर अच्छी सेहत की शुभकामनाएं देते हैं ताकि वह अपनी सिनेमाई दुनिया को आने वाले कई दशकों तक दर्शकों के सामने इसी तरह पेश करते रहें.