मुंबई: अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, सिनेमैटोग्राफर आनंद प्रधान, इतिहासकार रोमिला थापर और कार्यकर्ता हर्ष मंडेर सहित सांस्कृतिक समुदाय के 180 से अधिक सदस्यों ने 49 हस्तियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की निंदा की. इन हस्तियों ने तीन महीने पहले पीएम मोदी को खत लिखा था.
सोमवार को जारी हुए पत्र में इन हस्तियों ने सवाल किया है कि प्रधानमंत्री को खत लिखना 'देशद्रोह' कैसे हो सकता है. खत में कहा गया है, 'हमारे 49 सहयोगियों के खिलाफ केवल इसलिए एफआईआर दर्ज की गई है क्योंकि उन्होंने हमारे देश में मॉब लिंचिंग पर चिंता व्यक्त करके समाज के सम्मानित सदस्यों के रूप में अपना कर्तव्य पूरा किया.' साथ ही सवाल किया गया है कि क्या नागरिकों की आवाज़ को चुप कराने के लिए अदालतों का दुरुपयोग करना 'उत्पीड़न' नहीं है.
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49 हस्तियों ने जुलाई महीने में पीएम मोदी को खत लिखते हुए देश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जाहिर की थी. इसके बाद इन हस्तियों पर देशद्रोह का आरोप लगाते हुए इनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया. लेखक अशोक वाजपेयी और जेरी पिंटो, शिक्षाविद इरा भास्कर, कवि जीत थायिल, लेखक शम्सुल इस्लाम, संगीतकार टीएम कृष्णा और फिल्म निर्माता-कार्यकर्ता सबा दीवान सहित 180 हस्तियों ने ये नया खत लिखते हुए 'लोगों की आवाज' को चुप कराने के खिलाफ बोलने की बात कही.
खत में लिखा गया है, 'हम सभी, भारतीय सांस्कृतिक समुदाय के सदस्यों के रूप में, अंतरात्मा के नागरिक के रूप में, इस तरह के उत्पीड़न की निंदा करते हैं. हम अपने सहयोगियों द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र के प्रत्येक शब्द का समर्थन करते हैं, और इसीलिए हम उनके पत्र को एक बार फिर यहां साझा करते हैं. सांस्कृतिक, शैक्षणिक और कानूनी समुदायों से जुड़े लोगों से भी ऐसा करने की अपील करते हैं. यही कारण है कि हम में से ज्यादात्तर हर रोज बात करेंगें. मॉब लिंचिंग के खिलाफ. लोगों की आवाज दबाने के खिलाफ. नागरिकों को परेशान करने के लिए अदालतों के दुरुपयोग के खिलाफ.'
बता दें, भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत 3 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें देशद्रोह, सार्वजनिक उपद्रव, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसे आरोप हैं. फिल्म निर्माता मणिरत्नम, अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल, अभिनेता सौमित्र चटर्जी और गायक शुभा मुद्गल सहित 49 हस्तियों पर "देश की छवि धूमिल करने, प्रधानमंत्री के प्रभावशाली प्रदर्शन को कम करने और अलगाववादी प्रवृत्तियों का समर्थन करने" का आरोप लगाया गया.