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अदालत ने कंगना मामले में वकील को बीएमसी द्वारा भुगतान को लेकर दायर याचिका खारिज की

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Published : Feb 8, 2021, 6:03 PM IST

बंबई उच्च न्यायालय ने कंगना रनौत का बंगला ढहाने के मामले में बीएमसी द्वारा एक वरिष्ठ वकील को शुल्क का भुगतान किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी है और कहा है कि इस तरह के निर्णयों में अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती.

Bombay high court dismisses plea on lawyer's fees paid by BMC in Kangana case
उच्च न्यायालय ने कंगना मामले में वकील को बीएमसी द्वारा भुगतान को लेकर दायर याचिका खारिज की

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने अभिनेत्री कंगना रनौत का बंगला ढहाने के मामले में बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा एक वरिष्ठ वकील को शुल्क का भुगतान किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी और कहा है कि इस तरह के निर्णयों में अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती.

न्यायमूर्ति एस. एस. शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की खंडपीठ ने शरद यादव की तरफ से दायर याचिका खारिज कर दी जिन्होंने दावा किया कि रनौत द्वारा दायर याचिका में नगर निकाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए बीएमसी ने वरिष्ठ वकील आस्पी चिनॉय को 82.50 लाख रुपये का भुगतान किया.

पीठ ने कहा, 'इस मामले में हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते या इसका नियमन नहीं कर सकते. एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड या किसी वरिष्ठ वकील द्वारा कितना शुल्क लिया जाना चाहिए, यह देखना अदालत का काम नहीं है.'

आरटीआई कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले यादव ने मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की और कहा कि बीएमसी ने राज्य के खजाने को हानि पहुंचाई.

याचिका में कहा गया है कि बीएमसी को इस तरह के साधारण और छोटे मामलों में इतने वरिष्ठ वकील को नियुक्त नहीं करना चाहिए था.

पढ़ें : ट्विटर का कंगना रनौत पर एक्शन, हटाए कई ट्वीट

बहरहाल, अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों में अदालत दखल नहीं दे सकती है.

(इनपुट - भाषा)

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने अभिनेत्री कंगना रनौत का बंगला ढहाने के मामले में बृहन्मुंबई महानगरपालिका द्वारा एक वरिष्ठ वकील को शुल्क का भुगतान किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी और कहा है कि इस तरह के निर्णयों में अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकती.

न्यायमूर्ति एस. एस. शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की खंडपीठ ने शरद यादव की तरफ से दायर याचिका खारिज कर दी जिन्होंने दावा किया कि रनौत द्वारा दायर याचिका में नगर निकाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए बीएमसी ने वरिष्ठ वकील आस्पी चिनॉय को 82.50 लाख रुपये का भुगतान किया.

पीठ ने कहा, 'इस मामले में हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते या इसका नियमन नहीं कर सकते. एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड या किसी वरिष्ठ वकील द्वारा कितना शुल्क लिया जाना चाहिए, यह देखना अदालत का काम नहीं है.'

आरटीआई कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले यादव ने मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की और कहा कि बीएमसी ने राज्य के खजाने को हानि पहुंचाई.

याचिका में कहा गया है कि बीएमसी को इस तरह के साधारण और छोटे मामलों में इतने वरिष्ठ वकील को नियुक्त नहीं करना चाहिए था.

पढ़ें : ट्विटर का कंगना रनौत पर एक्शन, हटाए कई ट्वीट

बहरहाल, अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों में अदालत दखल नहीं दे सकती है.

(इनपुट - भाषा)

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