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रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग के बीच एक पतली रेखा है : अनुराग बासु - रचनात्मकता दुरुपयोग

'बर्फी', 'लाइफ इन ए मेट्रो', 'गैंगस्टर' जैसी फिल्में बना चुके अनुराग बासु का मानना है कि रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग के बीच एक बहुत पतली रेखा है. इस बात का ध्यान फिल्मकारों को हमेशा अपने दिमाग में रखनी चाहिए.

Anurag Basu: Thin line between using freedom of creativity and misusing it
रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग के बीच एक पतली रेखा है : अनुराग बासु
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Published : Feb 22, 2021, 7:09 PM IST

मुंबई : अनुराग बासु का कहना है कि फिल्मकारों द्वारा विभिन्न माध्यमों में दिखाए जाने के लिए अकसर साहसिक विषयों का चुनाव किया जाता है. हालांकि रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग का ध्यान फिल्मकारों को हमेशा अपने दिमाग में रखनी चाहिए.

बासु ने बताया, 'रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग के बीच एक बहुत पतली रेखा है. मैं यहां ओटीटी की भी बात कर रहा हूं. अनोखी कहानियों का जिक्र करते वक्त फिल्मकारों को बोलने की स्वतंत्रता का ध्यान बेहतरी से रखना चाहिए.'

पढ़ें : अनुराग बासु ने अपनी नई फिल्म 'लूडो' के शीर्षक पर बाताया मजेदार किस्सा

अनुराग बासु की फिल्म 'लूडो' को अभी कुछ ही महीनों पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया था और अब जल्द ही इसे टेलीविजन पर प्रसारित किया जाएगा.

उन्होंने इस पर कहा, 'बड़े पर्दे पर भी कई फिल्मकारों द्वारा साहसिक विषयों पर काम किया गया है. मेरी फिल्म 'लूडो' भी कई ऐसे बोल्ड विषयों पर आधारित है, जिसे शुरुआत में बड़े पर्दे को ध्यान में रखकर ही बनाया गया था.'

'बर्फी' (2012), 'लाइफ इन ए मेट्रो' (2007), 'गैंगस्टर' (2006) जैसी फिल्में बना चुके बासु इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि लॉकडाउन के बाद अब चूंकि थिएटर्स वगैरह खुल गए हैं, ऐसे में लोग इनका जमकर लुफ्त उठाएंगे.

पढ़ें : सान्या मल्होत्रा ने साझा किया अनुराग बासु संग काम करने का अनुभव

उन्होंने कहा, 'सिनेमा कम्युनिटी वॉचिंग का अनुभव है. मैं निश्चिंत हूं कि एक बार चीजें पटरी पर आ जाएंगी, तो लोग सिनेमाघरों का रूख जरूर करेंगे. हमें बस एक ऐसी फिल्म चाहिए, जो इतनी हलचल पैदा कर दें कि लोग सिनेमाघरों की ओर खींचे चले आए. विजय स्टारर 'मास्टर' की रिलीज के साथ साउथ में इसकी शुरुआत हो चुकी है और अब बॉलीवुड में भी इसकी झलक देखने को मिलेगी. एक बड़ी रिलीज के साथ चीजें बदल जाएंगी.'

'लूडो' को 28 फरवरी सोनी मैक्स पर प्रसारित किया जाएगा.

(इनपुट - आईएएनएस)

मुंबई : अनुराग बासु का कहना है कि फिल्मकारों द्वारा विभिन्न माध्यमों में दिखाए जाने के लिए अकसर साहसिक विषयों का चुनाव किया जाता है. हालांकि रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग का ध्यान फिल्मकारों को हमेशा अपने दिमाग में रखनी चाहिए.

बासु ने बताया, 'रचनात्मकता की आजादी और उसके दुरुपयोग के बीच एक बहुत पतली रेखा है. मैं यहां ओटीटी की भी बात कर रहा हूं. अनोखी कहानियों का जिक्र करते वक्त फिल्मकारों को बोलने की स्वतंत्रता का ध्यान बेहतरी से रखना चाहिए.'

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अनुराग बासु की फिल्म 'लूडो' को अभी कुछ ही महीनों पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया गया था और अब जल्द ही इसे टेलीविजन पर प्रसारित किया जाएगा.

उन्होंने इस पर कहा, 'बड़े पर्दे पर भी कई फिल्मकारों द्वारा साहसिक विषयों पर काम किया गया है. मेरी फिल्म 'लूडो' भी कई ऐसे बोल्ड विषयों पर आधारित है, जिसे शुरुआत में बड़े पर्दे को ध्यान में रखकर ही बनाया गया था.'

'बर्फी' (2012), 'लाइफ इन ए मेट्रो' (2007), 'गैंगस्टर' (2006) जैसी फिल्में बना चुके बासु इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि लॉकडाउन के बाद अब चूंकि थिएटर्स वगैरह खुल गए हैं, ऐसे में लोग इनका जमकर लुफ्त उठाएंगे.

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उन्होंने कहा, 'सिनेमा कम्युनिटी वॉचिंग का अनुभव है. मैं निश्चिंत हूं कि एक बार चीजें पटरी पर आ जाएंगी, तो लोग सिनेमाघरों का रूख जरूर करेंगे. हमें बस एक ऐसी फिल्म चाहिए, जो इतनी हलचल पैदा कर दें कि लोग सिनेमाघरों की ओर खींचे चले आए. विजय स्टारर 'मास्टर' की रिलीज के साथ साउथ में इसकी शुरुआत हो चुकी है और अब बॉलीवुड में भी इसकी झलक देखने को मिलेगी. एक बड़ी रिलीज के साथ चीजें बदल जाएंगी.'

'लूडो' को 28 फरवरी सोनी मैक्स पर प्रसारित किया जाएगा.

(इनपुट - आईएएनएस)

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