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कलाकारों को नई चीज आजमाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए : अली फजल - language boundary ali fazal

हर कलाकार आय दिन कुछ ना कुछ नई चीजों को आजमाता रहता है. जिसके संबंध में बात करते हुए अभिनेता अली फजल ने कहा कि एक कलाकार को किसी फ्लूइड (तरल पदार्थ) की तरह होना चाहिए. साथ ही कलाकारों को किसी भी भाषा, प्रारूप और शैली में नहीं बंधना चाहिए.

Ali fazal says artists should not be bound by language, genre
कलाकारों को नई चीज आजमाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए : अली फजल
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Published : May 19, 2020, 3:28 PM IST

मुंबई : अभिनेता अली फजल का कहना है कि कलाकारों को किसी फ्लूइड (तरल पदार्थ) की तरह होना चाहिए.

उन्होंने कहा, "कलाकारों को किसी भी भाषा, प्रारूप और शैली में नहीं बंधना चाहिए. हम जिस क्षेत्र में काम करते हैं, वहां खुद का किसी तरल की तरह होना और नई-नई चीजों को आजमाने की दिशा में हमेशा तैयार रहना आवश्यक है."

अली बॉलीवुड के उन पहले अभिनेताओं में से हैं, जिन्होंने काफी पहले ही डिजिटल क्षेत्र में कदम रखा था. वह साल 2015 में वेब शो 'बैंड बाजा बारात' में नजर आए थे.

इस पर उन्होंने कहा, "शुरुआत में, जब साल 2015 में मुझसे संपर्क किया गया, तब मैं सीरीज की क्षमता को लेकर निश्चित नहीं था. मुझे बसइसकी कहानी पसंद आई थी. 'मिर्जापुर' के बाद मुझे इसकी क्षमता के बारे में पूरी तरह से समझ में आया."

वह आगे कहते हैं, "इस महामारी के चलते शूटिंग करने व किसी कहानी को बताने की दिशा में एक बड़ा बदलाव आने वाला है. मुझे इस बात की खुशी है कि इस वक्त तनाव के इस माहौल से मैं उबरने में कामयाब रहा, जिसके चलते कहानी की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दे पाया."

पढ़ें- अनुराग कश्यप की 'चॉक्ड : पैसा बोलता है' की रिलीज डेट अनाउंस

(इनपुट-आईएएनएस)

मुंबई : अभिनेता अली फजल का कहना है कि कलाकारों को किसी फ्लूइड (तरल पदार्थ) की तरह होना चाहिए.

उन्होंने कहा, "कलाकारों को किसी भी भाषा, प्रारूप और शैली में नहीं बंधना चाहिए. हम जिस क्षेत्र में काम करते हैं, वहां खुद का किसी तरल की तरह होना और नई-नई चीजों को आजमाने की दिशा में हमेशा तैयार रहना आवश्यक है."

अली बॉलीवुड के उन पहले अभिनेताओं में से हैं, जिन्होंने काफी पहले ही डिजिटल क्षेत्र में कदम रखा था. वह साल 2015 में वेब शो 'बैंड बाजा बारात' में नजर आए थे.

इस पर उन्होंने कहा, "शुरुआत में, जब साल 2015 में मुझसे संपर्क किया गया, तब मैं सीरीज की क्षमता को लेकर निश्चित नहीं था. मुझे बसइसकी कहानी पसंद आई थी. 'मिर्जापुर' के बाद मुझे इसकी क्षमता के बारे में पूरी तरह से समझ में आया."

वह आगे कहते हैं, "इस महामारी के चलते शूटिंग करने व किसी कहानी को बताने की दिशा में एक बड़ा बदलाव आने वाला है. मुझे इस बात की खुशी है कि इस वक्त तनाव के इस माहौल से मैं उबरने में कामयाब रहा, जिसके चलते कहानी की गुणवत्ता पर अधिक ध्यान दे पाया."

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(इनपुट-आईएएनएस)

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