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आत्मानिर्भर भारत बनाने में प्रौद्योगिकी की है अहम भूमिका

हम अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं. आज विभिन्न क्षेत्रों में भारत की सफलता के लिए तकनीकी परिवर्तन को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.

प्रौद्योगिकी की भूमिका
प्रौद्योगिकी की भूमिका
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Published : Aug 16, 2020, 6:35 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

दिल्ली: 1947 में प्रौद्योगिकी में उन्नति के लिए कई महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई. हम आजादी के 74वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं. हम भारतीय को चांद पर भेजने और कोविड-19 के लिए वैक्सीन खोजने के लिए भी उत्सुक हैं.

देश में प्रौद्योगिकी में कई उपलब्धियां हैं. भारत ने 2020 में नीतिवचन को साकार करने के लिए फिर से शुरुआत की है, जिसका मानना है 'हर चुनौती में एक अवसर है'.

हरित क्रांति कृषि-तकनीक के उपयोग का परिणाम है. भारत आज सबसे अधिक खाद्य उत्पादन का दावा करता है. इस दौरान फसल उत्पादन, बीज विकास, सिंचाई, जल प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि प्रबंधन में सुधार किया गया.

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आंकड़े आर्थिक विकास को दर्शाते हैं. वास्तविक विकास को नहीं और संख्याएं ज्यादातर आसमान में टिमटिमाते सितारों की तरह होती हैं. क्या हम गिनती करते हैं, जो भी संख्या हमें बताई जाती है, लेकिन प्रौद्योगिकी के पास यह साबित करने के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य हैं. जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार हुआ है. 'श्वेत क्रांति' इसका एक उदाहरण है. प्रौद्योगिकी ने दूध उत्पादन और दूध आधारित उत्पादों के उद्भव में सुधार किया.

आजादी के सात दशक से अधिक समय के दौरान तकनीकी प्रगति को देखने वाले क्षेत्रों ने भारत को औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास दोनों के संदर्भ में अन्य देशों के मुकाबले मदद की.

स्वतंत्रता के बाद से भारत एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बना, क्योंकि नई सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न संस्थानों की स्थापना के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया शुरू की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का लक्ष्य प्रौद्योगिकी की उन्नति और उसे फिर से आत्मनिर्भर बनना है.

दूरसंचार प्रौद्योगिकी में भारत परम के साथ शुरू हुआ और आज स्वदेशी 5 जी तकनीक का दावा कर सकता है. 5 जी तकनीक वाली भारतीय कंपनियों ने यह प्रदर्शित किया है कि तकनीकी प्रगति के लिए केवल विदेशी सहायता पर निर्भर होना आवश्यक नहीं है.

अब्दुल कलाम और राजा रमन्ना जैसे वैज्ञानिकों ने भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी में अपनी तकनीकी प्रगति दिखाने में मदद की. कई अज्ञात वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने विक्रम साराभाई के सपने को आगे बढ़ाया. भारत में कई क्षेत्रों के लिए तकनीकी प्रगति में एक नए युग की शुरुआत करेगा.

भारत दुग्ध उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन दुग्ध उत्पादों के निर्यात में नहीं. आवश्यक नीति के साथ सही तकनीक परिवर्तन ला सकती है. स्वतंत्रता के बाद देश ने प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करने के लिए मानव संसाधन विकसित करने में निवेश किया. 1951 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर की स्थापना, विभिन्न प्रौद्योगिकी-आधारित फर्मों और उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाला पहला कदम था.

1947 के बाद से हर छोटी-बड़ी तकनीकी उन्नति का जश्न मनाने की प्रेरणा बन चुके हैं. आत्मानिर्भरता को प्राप्त करने के लिए भारत की यात्रा एक नारा नहीं होनी चाहिए, बल्कि एक युद्ध है. जो हम प्रौद्योगिकी में उन्नति करके प्राप्त कर सकते हैं.

दिल्ली: 1947 में प्रौद्योगिकी में उन्नति के लिए कई महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई. हम आजादी के 74वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं. हम भारतीय को चांद पर भेजने और कोविड-19 के लिए वैक्सीन खोजने के लिए भी उत्सुक हैं.

देश में प्रौद्योगिकी में कई उपलब्धियां हैं. भारत ने 2020 में नीतिवचन को साकार करने के लिए फिर से शुरुआत की है, जिसका मानना है 'हर चुनौती में एक अवसर है'.

हरित क्रांति कृषि-तकनीक के उपयोग का परिणाम है. भारत आज सबसे अधिक खाद्य उत्पादन का दावा करता है. इस दौरान फसल उत्पादन, बीज विकास, सिंचाई, जल प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण और कृषि प्रबंधन में सुधार किया गया.

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आंकड़े आर्थिक विकास को दर्शाते हैं. वास्तविक विकास को नहीं और संख्याएं ज्यादातर आसमान में टिमटिमाते सितारों की तरह होती हैं. क्या हम गिनती करते हैं, जो भी संख्या हमें बताई जाती है, लेकिन प्रौद्योगिकी के पास यह साबित करने के लिए अनुभवजन्य साक्ष्य हैं. जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार हुआ है. 'श्वेत क्रांति' इसका एक उदाहरण है. प्रौद्योगिकी ने दूध उत्पादन और दूध आधारित उत्पादों के उद्भव में सुधार किया.

आजादी के सात दशक से अधिक समय के दौरान तकनीकी प्रगति को देखने वाले क्षेत्रों ने भारत को औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास दोनों के संदर्भ में अन्य देशों के मुकाबले मदद की.

स्वतंत्रता के बाद से भारत एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बना, क्योंकि नई सरकार ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न संस्थानों की स्थापना के माध्यम से राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया शुरू की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का लक्ष्य प्रौद्योगिकी की उन्नति और उसे फिर से आत्मनिर्भर बनना है.

दूरसंचार प्रौद्योगिकी में भारत परम के साथ शुरू हुआ और आज स्वदेशी 5 जी तकनीक का दावा कर सकता है. 5 जी तकनीक वाली भारतीय कंपनियों ने यह प्रदर्शित किया है कि तकनीकी प्रगति के लिए केवल विदेशी सहायता पर निर्भर होना आवश्यक नहीं है.

अब्दुल कलाम और राजा रमन्ना जैसे वैज्ञानिकों ने भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी में अपनी तकनीकी प्रगति दिखाने में मदद की. कई अज्ञात वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने विक्रम साराभाई के सपने को आगे बढ़ाया. भारत में कई क्षेत्रों के लिए तकनीकी प्रगति में एक नए युग की शुरुआत करेगा.

भारत दुग्ध उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन दुग्ध उत्पादों के निर्यात में नहीं. आवश्यक नीति के साथ सही तकनीक परिवर्तन ला सकती है. स्वतंत्रता के बाद देश ने प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करने के लिए मानव संसाधन विकसित करने में निवेश किया. 1951 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर की स्थापना, विभिन्न प्रौद्योगिकी-आधारित फर्मों और उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाला पहला कदम था.

1947 के बाद से हर छोटी-बड़ी तकनीकी उन्नति का जश्न मनाने की प्रेरणा बन चुके हैं. आत्मानिर्भरता को प्राप्त करने के लिए भारत की यात्रा एक नारा नहीं होनी चाहिए, बल्कि एक युद्ध है. जो हम प्रौद्योगिकी में उन्नति करके प्राप्त कर सकते हैं.

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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