नई दिल्ली : अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार सूचित करते हुए बताते हैं कि, भारतीय खगोलविदों ने ब्रह्मांड की सबसे दूरस्थ स्टार गैलेक्सी में से एक की खोज की है, जो पृथ्वी से लगभग 9.3 बिलियन प्रकाश वर्ष की दूर पर है. यह देश की पहली मल्टी-वेवलेंथ स्पेस ऑब्जर्वेटरी, 'एस्ट्रोसैट' के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
अंतरिक्ष विभाग के एक बयान में कहा गया, 'अंतरिक्ष मिशन में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में भारतीय खगोलविदों ने ब्रह्मांड की सबसे दूरस्थ स्टार गैलेक्सी में से एक की खोज की है.'
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Landmark achievement by Indian Astronomers. Space observatory AstroSat discovers one of farthest galaxy of Stars in the Universe. Hailed by leading international journal “Nature Astronomy”. Very important clue for further study of Light in Universe. pic.twitter.com/WLj6SUj6gT
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इस बीच, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने इस रोमांचक खोज में शामिल शोधकर्ताओं को बधाई दी.
एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए, नासा के पब्लिक अफेयर ऑफिसर, फेलिशिया चाउ ने कहा कि, 'विज्ञान दुनिया भर के लिए एक सहयोगात्मक प्रयास है और इस प्रकार की खोज से मानव जाति को यह समझने में मदद करती है कि हम कहां से आते हैं, हम कहां जा रहे हैं और क्या हम अकेले हैं.'
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), जितेंद्र सिंह ने उपलब्धि के बारे में बात करते हुए कहा कि, 'यह गर्व की बात है कि भारत की पहली मल्टी-वेवलेंथ स्पेस ऑब्जर्वेटरी, 'एस्ट्रोसैट' ने पृथ्वी से लगभग 9.3 बिलियन प्रकाश वर्ष की दूर पर स्थित स्टार गैलेक्सी की इक्स्ट्रीम यूवी लाइट का पता लगाया है.'
उन्होंने यह भी कहा कि, AUDFs01 नामक इस गैलेक्सी की खोज इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) पुणे के खगोलविदों की एक टीम ने डॉ. कनक साहा के नेतृत्व में की थी.
अंतरिक्ष विभाग के अनुसार, 'इस मूल खोज की विशिष्टता और महत्व' को इस तथ्य से जाना जा सकता है कि यह ब्रिटेन के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'नेचर एस्ट्रोनॉमी' में से प्रकाशित हुई है.
इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (IUCAA) के निदेशक डॉ. सोमक रे चौधरी ने कहा कि, यह खोज इस बात के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण सुराग है कि ब्रह्मांड का अंधेरा युग कैसे समाप्त हुआ और ब्रह्मांड में प्रकाश था.
उन्होंने यह भी कहा कि,'हमें यह जानना चाहिए कि यह कब शुरू हुआ, लेकिन प्रकाश के शुरुआती स्रोतों को खोजना बहुत कठिन है.'
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