दिल्ली: एक छोटे परिवार से संगीता का विवाह संयुक्त परिवार में हुआ था. वह सभी घर के काम करने के लिए उत्साहित थी, सभी को खुश रखने की कोशिश कर रही थी. जिस कारण वह बहुत व्यस्त हो गई. धीरे-धीरे उन्हें लगने लगा कि उनके जीवन में कुछ गायब है.उन्होनें महसूस किया कि शायद उन्हें अधिक स्वीकृति और प्रशंसा की आवश्यकता है. उन्हें कई रचनात्मक तरीकों से अपना यानि स्वयं का निर्माण करने की आवश्यकता है.
उन्होनें अपने पति से बात की और खुद को व्यवसाय में शामिल कर लिया. वह उसके साथ काम पर जाने लगी और चीजों को करने लगी पर उन्हें संतुष्टि नहीं मिली. फिर उन्हें कंप्यूटर का उपयोग करके खातों को संभालने के लिए कहा गया.उन्होनें कभी कंप्यूटर नहीं सीखा था और यह नहीं जानती थी कि उसे कैसे चलाना है. उसका बड़ा बेटा जो 16 साल का था, उन्हें एक कंप्यूटर अकाउंटिंग इंस्टीट्यूट में ले गया और नौ महीने के कोर्स में दाखिला दिलाया.
संगीता याद करती हैं कि 39 साल की उम्र में मैं गई और एक बच्चे की तरह इस कोर्स में भाग लिया. मैंने कड़ी मेहनत की और बहुत सी चीजें सीखीं. मेरे शिक्षक और मेरी कक्षा के फेलो बहुत सहायक थे. मैं नेट-सेवी भी बन गई. मैंने प्रौद्योगिकी की कई चीजों का पता लगाना शुरू किया.
इस कोर्स से प्रौद्योगिकी उसकी जीवन शैली बन गई. हर दिन, वह अपने पति के लिए खातों को संभालने के लिए कार्यालय जाती थी और हाँ दोष भी बताती थी. अपने पति की आँखों में चमक उन्हें दुनिया के शीर्ष पर महसूस करवाती थी.
उनके बच्चों ने भी स्वीकार किया कि उन्हें अपनी माँ पर गर्व है. यह सब सुनकर संगीता और अधिक करने के लिए प्रेरित हुई.क्या अच्छा पल होता है जब परिवार के सभी सदस्य एक महिला का समर्थन करते हैं.
जैसे-जैसे समय बीतता गया वह परेशान रहने लगी.वह अब भी संतुष्ट नहीं हुई और बेचैन होने लगी. फिर,उन्होनें अपने दोस्त से मेडिटेशन कोर्स के बारे में सुना और उसकी यात्रा ने एक और मोड़ लिया. इस कोर्स के साथ, उन्होनें न केवल अपने भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक किया बल्कि दूसरों के लिए कक्षाएं लेना शुरू कर दिया. और अब वह मेडिटेशन की प्रशिक्षक है.
संगीता कहती है कि क्योंकि मैं अब तकनीक-प्रेमी हूं, मेरी ध्यान कक्षाएं और उपचार पद्धतियां अगले स्तर पर चली गईं और दुनिया भर में कई लोगों तक पहुंच गईं. वीडियो कॉलिंग के माध्यम से कक्षाओं ने उनके ग्राहकों को भी मदद की.
आज, वह जीवन से बहुत संतुष्ट है. वह जो भी काम करती है, उसका आनंद लेती है और एक महिला होने पर बहुत गर्व महसूस करती है. जो भी वह कर रही है, उस पर गर्व करती है. 50 साल की उम्र में उन्होंने स्थायी (लंबे समय तक चल सकने वाला)बागवानी शुरू की और घर पर सब्जियों से लेकर जड़ी-बूटियों तक सब कुछ उगाती है.
संगीता बहुत गर्व से कहती है कि तुम्हारे पास पंख हैं, बस उन्हें फैलाने और उड़ने की ज़रूरत है.