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अध्ययनः सीफ्लोर में मिला 14 मिलियन टन माइक्रोप्लास्टिक्स

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Published : Oct 7, 2020, 2:26 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय विज्ञान एजेंसी सीएसआईआरओ ने सीफ्लोर (समुद्र के किनारे)पर माइक्रोप्लास्टिक्स के लिए पहला वैश्विक अनुमान प्रदान किया है, जिसके परिणामों के अनुसार गहरे समुद्र में 14 मिलियन टन तक माइक्रोप्लास्टिक हैं. यह समुद्र की सतह पर अनुमानित प्लास्टिक प्रदूषण की मात्रा को दोगुना से अधिक है.

microplastics , microplastics on seafloor
अध्ययनः सीफ्लोर पर है 14 मिलियन टन माइक्रोप्लास्टिक्स

सीएसआईआरओ,ऑस्ट्रेलिया: सीएसआईआरओ के महासागरों और वायुमंडल के जस्टीन बैरेट ने प्लास्टिक प्रदूषण पर प्रकाशित किए गए एक अध्ययन का नेतृत्व करते हुए कहा कि इस शोध से हमारे महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण की मात्रा और बड़े और छोटे दोनों प्रकार के प्लास्टिक वस्तुओं के प्रभाव के बारे में हमारी समझ बढ़ी है.बैरेट ने यह भी कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण जो समुद्र में आता है वह और बिगड़ता है और टूट कर माइक्रोप्लास्टिक बनाता है.

  • हमारे शोध का पहला वैश्विक अनुमान है कि सीफ्लोर पर कितना माइक्रोप्लास्टिक है.
  • यहां तक ​​कि इससे गहरे समुद्र में भी प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या होने की आशंका है.
  • इस अध्ययन में परिणाम दिखाते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक वास्तव में समुद्र तल पर डूब रहा है.
    microplastics , microplastics on seafloor
    अध्ययनः सीफ्लोर पर है 14 मिलियन टन माइक्रोप्लास्टिक्स

समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य पर प्लास्टिक प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों पर ध्यान देने के बावजूद, लाखों टन प्लास्टिक समुद्री वातावरण में प्रतिवर्ष डालें जाते हैं और आने वाले वर्षों में इसकी मात्रा बढ़ने की उम्मीद है.

  • इस अध्ययन में इस्तेमाल किए गए नमूनों को रोबोटिक पनडुब्बी का उपयोग करके दक्षिण ऑस्ट्रेलिया से 380 किलोमीटर की दूरी तक की साइटों पर 3000 मीटर की गहराई में एकत्र किया गया था.
  • इस बार दर्ज किए गए माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा पिछले गहरे समुद्र के अध्ययन से 25 गुना अधिक थी.

गहरे समुद्र के प्लास्टिक घनत्व के परिणामों के आधार पर और समुद्र के आकार की स्केलिंग के आधार पर सीफ्लोर पर माइक्रोप्लास्टिक्स के वैश्विक अनुमान की गणना की गई है.

प्रधान अनुसंधान वैज्ञानिकऔर सह-लेखक, डॉ. डेनिस हार्डनेस ने कहा कि दुनिया के महासागरों का प्लास्टिक प्रदूषण एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पर्यावरणीय मुद्दा है, जिसके परिणाम प्रभावी प्लास्टिक प्रदूषण समाधान उत्पन्न करने की तत्काल आवश्यकता का संकेत देते हैं.

  • डॉ हार्डनेस ने यह भी कहा कि हमारे शोध में पाया गया कि गहरे समुद्र, माइक्रोप्लास्टिक्स के लिए एक सिंक की तरह है.
  • सीफ्लोर पर माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़ों की संख्या आम तौर पर उन क्षेत्रों में अधिक थी जहां अधिक तैरते हुए कूड़े थे.
  • हम दूरदराज के स्थान में इस तरह के उच्च माइक्रोप्लास्टिक भार का निरीक्षण करके आश्चर्यचकित थे.
  • इसकी जानकारी से कि माइक्रोप्लास्टिक कहां और कितना है, हमें समस्या की बेहतर तस्वीर मिलती है.
  • यह, अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों को सूचित करने और हमारे पर्यावरण में प्रवेश करने वाले प्लास्टिक और अन्य बेकार चीजों को रोकने के लिए व्यवहार परिवर्तन और अवसरों को बनाने में मदद करेगा.

हम एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को कम करके महासागरों में जाने वाले प्लास्टिक को कम कर सकते है.ऑस्ट्रेलियाई पुनर्चक्रण(रिसाइकिलिंग),अपशिष्ट उद्योगों का समर्थन और अपने कूड़े को सोच समझकर फेके ताकि यह हमारे पर्यावरण को हानि ना पंहुचा सके.

सरकार, उद्योग और समुदाय को समुद्र तटों और महासागरों में हमारे द्वारा फेके जाने वाले कूड़े की मात्रा को कम करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है.

इस शोध के लिए इस्तेमाल किए गए नमूने, सीएसआईआरओ और ग्रेट ऑस्ट्रेलियन बाइट डीपवाटर मरीन प्रोग्राम (GABDMP) द्वारा वित्त पोषित गहरे समुद्र के भूविज्ञान और पारिस्थितिकी के आधारभूत सर्वेक्षण के लिए एक सहायक संग्रह थे.जीएबीडीएमपी एक सीएसआईआरओ के नेतृत्व वाला अनुसंधान कार्यक्रम है जो शेवरॉन ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रायोजित है जिसके डेटा को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाता है.

पढ़ेंः मोटोरोला ने भारत में लॉन्च किया फोल्डेबल रेजर 5-जी मॉडल, जानें फीचर्स

सीएसआईआरओ,ऑस्ट्रेलिया: सीएसआईआरओ के महासागरों और वायुमंडल के जस्टीन बैरेट ने प्लास्टिक प्रदूषण पर प्रकाशित किए गए एक अध्ययन का नेतृत्व करते हुए कहा कि इस शोध से हमारे महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण की मात्रा और बड़े और छोटे दोनों प्रकार के प्लास्टिक वस्तुओं के प्रभाव के बारे में हमारी समझ बढ़ी है.बैरेट ने यह भी कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण जो समुद्र में आता है वह और बिगड़ता है और टूट कर माइक्रोप्लास्टिक बनाता है.

  • हमारे शोध का पहला वैश्विक अनुमान है कि सीफ्लोर पर कितना माइक्रोप्लास्टिक है.
  • यहां तक ​​कि इससे गहरे समुद्र में भी प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या होने की आशंका है.
  • इस अध्ययन में परिणाम दिखाते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक वास्तव में समुद्र तल पर डूब रहा है.
    microplastics , microplastics on seafloor
    अध्ययनः सीफ्लोर पर है 14 मिलियन टन माइक्रोप्लास्टिक्स

समुद्री पारिस्थितिकी प्रणालियों, वन्यजीवों और मानव स्वास्थ्य पर प्लास्टिक प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों पर ध्यान देने के बावजूद, लाखों टन प्लास्टिक समुद्री वातावरण में प्रतिवर्ष डालें जाते हैं और आने वाले वर्षों में इसकी मात्रा बढ़ने की उम्मीद है.

  • इस अध्ययन में इस्तेमाल किए गए नमूनों को रोबोटिक पनडुब्बी का उपयोग करके दक्षिण ऑस्ट्रेलिया से 380 किलोमीटर की दूरी तक की साइटों पर 3000 मीटर की गहराई में एकत्र किया गया था.
  • इस बार दर्ज किए गए माइक्रोप्लास्टिक्स की मात्रा पिछले गहरे समुद्र के अध्ययन से 25 गुना अधिक थी.

गहरे समुद्र के प्लास्टिक घनत्व के परिणामों के आधार पर और समुद्र के आकार की स्केलिंग के आधार पर सीफ्लोर पर माइक्रोप्लास्टिक्स के वैश्विक अनुमान की गणना की गई है.

प्रधान अनुसंधान वैज्ञानिकऔर सह-लेखक, डॉ. डेनिस हार्डनेस ने कहा कि दुनिया के महासागरों का प्लास्टिक प्रदूषण एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पर्यावरणीय मुद्दा है, जिसके परिणाम प्रभावी प्लास्टिक प्रदूषण समाधान उत्पन्न करने की तत्काल आवश्यकता का संकेत देते हैं.

  • डॉ हार्डनेस ने यह भी कहा कि हमारे शोध में पाया गया कि गहरे समुद्र, माइक्रोप्लास्टिक्स के लिए एक सिंक की तरह है.
  • सीफ्लोर पर माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़ों की संख्या आम तौर पर उन क्षेत्रों में अधिक थी जहां अधिक तैरते हुए कूड़े थे.
  • हम दूरदराज के स्थान में इस तरह के उच्च माइक्रोप्लास्टिक भार का निरीक्षण करके आश्चर्यचकित थे.
  • इसकी जानकारी से कि माइक्रोप्लास्टिक कहां और कितना है, हमें समस्या की बेहतर तस्वीर मिलती है.
  • यह, अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों को सूचित करने और हमारे पर्यावरण में प्रवेश करने वाले प्लास्टिक और अन्य बेकार चीजों को रोकने के लिए व्यवहार परिवर्तन और अवसरों को बनाने में मदद करेगा.

हम एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को कम करके महासागरों में जाने वाले प्लास्टिक को कम कर सकते है.ऑस्ट्रेलियाई पुनर्चक्रण(रिसाइकिलिंग),अपशिष्ट उद्योगों का समर्थन और अपने कूड़े को सोच समझकर फेके ताकि यह हमारे पर्यावरण को हानि ना पंहुचा सके.

सरकार, उद्योग और समुदाय को समुद्र तटों और महासागरों में हमारे द्वारा फेके जाने वाले कूड़े की मात्रा को कम करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है.

इस शोध के लिए इस्तेमाल किए गए नमूने, सीएसआईआरओ और ग्रेट ऑस्ट्रेलियन बाइट डीपवाटर मरीन प्रोग्राम (GABDMP) द्वारा वित्त पोषित गहरे समुद्र के भूविज्ञान और पारिस्थितिकी के आधारभूत सर्वेक्षण के लिए एक सहायक संग्रह थे.जीएबीडीएमपी एक सीएसआईआरओ के नेतृत्व वाला अनुसंधान कार्यक्रम है जो शेवरॉन ऑस्ट्रेलिया द्वारा प्रायोजित है जिसके डेटा को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाता है.

पढ़ेंः मोटोरोला ने भारत में लॉन्च किया फोल्डेबल रेजर 5-जी मॉडल, जानें फीचर्स

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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