आज राष्ट्रीय गणित दिवस है. महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की जयंती के दिन ही राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है. इसका का मुख्य उद्देश्य श्रीनिवास रामानुजन की उपलब्धियों को याद करने, मानवता के विकास में गणित के योगदान को मान्यता देने और लोगों में गणित सीखने-पढ़ने के प्रति जागरूकता पैदा करना है. रामानुजन का जन्म, 22 दिसंबर 1887 को हुआ था. 2012 में, Ex Prime Minister Manmohan ने 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. National mathematics day srinivasa ramanujan birth day december 22 . Mathematician Srinivasa Ramanujan . Srinivasa Ramanujan Mathematician
दुनियाभर में छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए गणित का ज्ञान फैलाने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं. भारत के सभी राज्य अलग-अलग तरीकों से राष्ट्रीय गणित दिवस मनाते हैं. आज के दिन स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताएं और गणितीय क्विज आयोजित किए जाते हैं. इस दौरान पूरे भारत के छात्र इन कार्यक्रमों और कार्यशालाओं में भाग लेते हैं. इतना ही नहीं इंटरनेशनल सोसाइटी यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) और भारत ने गणित सीखने और समझने के लिए एक साथ काम करने पर सहमति व्यक्त की है.
श्रीनिवास रामानुजन कौन थे और गणित में उनका काम क्यों महत्वपूर्ण है
12 साल की उम्र में, औपचारिक शिक्षा (फॉर्मल एजुकेशन) का अभाव होने के बावजूद, उन्होंने त्रिकोणमिति में बेहतरीन प्रदर्शन किया और कई थ्योरम्स का विकास किया.1904 में माध्यमिक विद्यालय समाप्त करने के बाद, रामानुजन गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज, कुंभकोणम में छात्रवृत्ति के लिए चुने गए, लेकिन अन्य विषयों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने के कारण वह इसे प्राप्त नहीं कर सके.14 साल की उम्र में, रामानुजन घर से भाग गए और मद्रास के पचैयप्पा कॉलेज में दाखिला लिया. यहां वह केवल गणित में ही अच्छा करते थे. बाकि विषयों में खराब प्रदर्शन के कारण, वह कला की डिग्री के साथ स्नातक नहीं कर पाए.गरीबी में रहते हुए, रामानुजन ने गणित में स्वतंत्र रिसर्च किया.रामानुजन को जल्द ही चेन्नई में गणित से जुड़े लोगों के बीच देखा जाने लगा.
1912 में, इंडियन मैथेमेटिकल सोसाइटी के संस्थापक रामास्वामी अय्यर ( Ramaswamy Iyer , Founder of the Indian Mathematical Society ) ने, मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में क्लर्क पद पाने में रामानुजन की मदद की.रामानुजन ने ब्रिटिश गणितज्ञों को अपना काम भेजना शुरू किया. उन्हें 1913 में सफलता मिली, जब कैम्ब्रिज में रहने वाले, जीएच हार्डी ने रामानुजन को लंदन बुलाया.1914 में, रामानुजन ब्रिटेन पहुंचे, जहां हार्डी ने उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में प्रवेश दिलाया. 1917 में, रामानुजन को लंदन मैथमेटिकल सोसाइटी का सदस्य चुना गया.1918 में, वह रॉयल सोसाइटी के फेलो भी बन गए. इसके साथ ही, रामानुजन इस उपलब्धि को हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए.इंग्लैंड में उनकी सफलता के बावजूद, रामानुजन इंग्लैंड के खाने के आदी नहीं हो सके और 1919 में भारत लौट आए. रामानुजन की तबीयत लगातार बिगड़ती गई और 1920 में 32 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई.
गणित में रामानुजन का योगदान
रामानुजन की प्रतिभा को गणितज्ञों ने क्रमशः 18वीं और 19वीं शताब्दी के यूलर और जैकोबी के बराबर माना है.नंबर थ्योरी में उनके काम को विशेष रूप से माना जाता है. इसके साथ ही, उन्होंने पार्टिशन फंक्शन में भी प्रगति की. रामानुजन को कन्टिन्यूड फ्रैक्शन में महारत के लिए भी पहचाना जाता था. उन्होंने रीमैन सीरीज, इलिप्टिक इंटीग्रल, हाइपरजोमेट्रिक सीरीज और जीटा फंक्शन के फंगक्शनल इक्वेशन पर भी काम किया था.उनकी मृत्यु के बाद, रामानुजन के तीन नोटबुक और कुछ पृष्ठों पर गणितज्ञ कई वर्षों तक काम करते रहे.2015 में रामानुजन पर एक बायोपिक, 'द मैन हू न्यू इन्फिनिटी' भी बनी थी. इस फिल्म में अभिनेता देव पटेल ने रामानुजन का किरदार निभाया था. इस फिल्म का निर्देशन मैथ्यू ब्राउन ने किया था.
रामानुजन के बारे में रोचक तथ्य
जब रामानुजन 13 वर्ष के थे, तो वे बिना किसी मदद के लोनी की त्रिकोणमिति का अभ्यास कर सकते थे.स्कूल में उनका कभी कोई दोस्त नहीं था, क्योंकि स्कूल में उनके साथी कभी उन्हें नहीं समझ पाते थे और हमेशा उनके गणितीय कौशल के कारण खौफ में रहते थे.वह एक डिग्री प्राप्त करने में विफल रहे, क्योंकि उन्होंने अपने फाइन आर्ट पाठ्यक्रम को पास नहीं किया था, हालांकि उन्होंने हमेशा गणित में बेहतरीन प्रदर्शन किया.कागज महंगा होने के कारण, गरीब रामानुजन अक्सर अपने नतीजों और परिणामों को 'स्लेट' पर लिखते थे.वह पहले भारतीय थे जिन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज का फेलो चुना गया था.1909 में जब रामानुजन का विवाह हुआ, तब वह 12 वर्ष के थे और उनकी पत्नी जानकी सिर्फ 10 वर्ष की थीं.श्रीनिवास रामानुजन दूसरे ऐसे भारतीय थे, जिन्हें रॉयल सोसाइटी में फेलोशिप ऑफर की गई थी.श्रीनिवास रामानुजन की स्मृति में, चेन्नई में एक संग्रहालय (म्यूजियम) है.
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