हैदराबाद : सूक्ष्मजीव या माइक्रोब (शैवाल, बैक्टीरिया, कवक और प्रोटोजोआ) हर जगह पाए जाते हैं. वह हवा, पानी, मिट्टी, खाद्य उत्पादों और पोषक तत्व वाले स्थान पर बढ़ने में सक्षम हैं. माइक्रोब की इस तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जो मनुष्यों और जानवरों के लिए उपयोगी होते हैं. मुख्य रूप से खाद्य उद्योग में, बैक्टीरिया और कवक की अपार भूमिका है.
सूक्ष्मजीव खाद्य पदार्थों पर बढ़ते समय या तो लाभकारी परिणाम देते हैं या भोजन के खराब होने का कारण बनते हैं. इनमें से कुछ लाभकारी परिणाम इस प्रकार हैं: -
- एसिड (साइट्रिक एसिड, लैक्टिक एसिड, आदि)
- एल्कोहल (एथिल एल्कोहल, आइसोप्रोपिल एल्कोहल, ब्यूटाइल एल्कोहल, आदि)
- डेयरी उत्पाद (पनीर, दही, छाछ, मक्खन, आदि)
- बेकरी उत्पाद (ब्रेड आदि)
माइक्रोब से खाने वाले चीजों के रंग और गंध में बदलाव आ जाता है, जिस कारण यह मनुष्यों के खाने लायक नहीं रह जाता है. ब्रेड पर मशी (फफूंदी) लगना और मीट पर पतली सी जाली का बनना, इसके कुछ उदाहरण हैं.
विशालाक्षी अरीगेला ने माइक्रोबायोलॉजी में स्नातक और स्नातकोत्तर किया है. वह इस साधारण सवाल का जवाब देती हैं, क्या आपने कभी सोचा है कि सूक्ष्म जीव वास्तव में खाद्य पदार्थों के उत्पादन में शामिल हैं?
हां बैक्टीरिया और कवक ऑक्सीजन के अभाव में एल्कोहल, एसिड, एंटीबायोटिक, एंजाइम आदि जैसे कुछ उपोत्पादों को छोड़ते हैं. इस प्रक्रिया को फर्मेंटेशन (किण्वन) कहा जाता है.
विशालाक्षी ने कुछ उदाहरण देकर बताया कि कहां-कहां माइक्रोब्स ने खाद्य पदार्थों को फर्मेंटेशन किया है.
- जब हम दूध में दही मिलाते हैं, तो दूध में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया बढ़ते हैं और दूध को दही में बदल देते हैं. दूध में मौजूद लैक्टोज, लैक्टिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है. लैक्टोज से फर्मेंटेशन से लैक्टिक एसिड.
स्ट्रेप्टोकोकस लैक्टिस और लैक्टोबैसिलस फेरमेंटी लैक्टिक एसिड-उत्पादक बैक्टीरिया के कुछ उदाहरण हैं. यह बैक्टीरिया ज्यादातर डेयरी उत्पादों के फर्मेंटेशन में शामिल होते हैं.
- कुछ खाद्य किस्मों जैसे इडली, डोसा, ढोकला, नान, भटूरा इत्यादि के बैटर/आटा में, हम एक खास महक के साथ उनकी मात्रा में वृद्धि देख सकते हैं. ऐसा तब होता है, जब कुछ घंटों से या रातभर के लिए इसे रखा जाता है. बैटर और खट्टेपन में वृद्धि एसिड और कार्बन डाइऑक्साइड के निकलने के कारण होती है.
- फलियां/ चावल/दालें/ गेहूं से फर्मेंटेशन से लैक्टिक एसिड, इथेनॉल/एसिटिक एसिड + कार्बन डाइऑक्साइड
विशालाक्षी कहती हैं कि इन खाद्य पदार्थों के अलावा, पनीर, छाछ, मलाई, हरा जैतून, सौरक्राउट (कटा हुआ गोभी), सोइबम (फर्मेंटेड बैम्बूशूट) हौवाइजर (फर्मेंटेड सोयाबीन), हेंतक (फर्मेंटेड मछली), सिरका, शराब, बीयर, सोया सॉस, मसालेदार जैतून इत्यादि खाद्य उत्पादों के कुछ और उदाहरण हैं, जहां माइक्रोब फर्मेंट करते हैं और खाद्य पदार्थों के स्वाद को बढ़ाते हैं.
ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थ और खाद्य उत्पाद माइक्रोबियल मेटाबोलिजंम (फर्मेंटेशन) के उपोत्पाद हैं. यहां भोजन की कुछ और किस्में आती हैं, जहां कुछ माइक्रोब्स ही खाद्य होते हैं, जिनमें मशरूम, एकल कोशिका प्रोटीन शामिल होते हैं.
मशरूम खाद्य कवक है जो खुद उगता है या इसकी खेती की जा सकती है. इसकी प्राकृतिक किस्में जंगलों, खेतों में पाई जा सकती हैं. उगाए गए मशरूम में सफेद बटन मशरूम, सीप मशरूम शामिल हैं.
सूक्ष्मजीवों में उच्च प्रोटीन मटेरियल के कारण, इन्हें कुछ देशों में जानवरों और मनुष्यों के भोजन के रूप में सीधे उपयोग किया जा सकता है. इसे एकल कोशिका प्रोटीन (एससीपी) कहा जाता है. कैंडिडा यूटिलिस, स्पिरुलिना एससीपी के कुछ उदाहरण हैं.
खाद्य पदार्थों और खाद्य उत्पादों में इनकी अहम भूमिका है. हमें माइक्रोब्स की जरूरत है, क्योंकि वह हमें बहुत मूल्यवान उत्पाद दे रहे हैं.
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