नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने इस साल के अपने पहले सैटेलाइट पीएसएलवी-सी52 को लॉन्च कर दिया है. पीएसएलवी यान (PSLV-C52) से इस उपग्रह को आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया. 1,710 किलोग्राम वजन वाला ईओएस-04 उपग्रह को पीएसएलवी-सी52 के जरिए सूर्य की ध्रुवीय कक्षा में पृथ्वी से 529 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा.
अंतरिक्ष एजेंसी के प्रक्षेपण यान पीएसएलवी ने अंतरिक्ष के लिए सुबह पांज बजकर 59 मिनट पर उड़ान भरी और तीनों उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया. इसरो ने ट्वीट किया कि करीब 19 मिनट की उड़ान के बाद प्रक्षेपण यान ने उपग्रहों को निर्धारित कक्षा में स्थापित कर दिया, जिस पर इस साल के पहले अभियान पर करीबी नजर रख रहे वैज्ञानिकों ने खुशी जतायी. उसने बताया कि ईओएस-04 को सुबह छह बजकर 17 मिनट पर सूर्य की तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया.
ईओएस-04 को स्थापित करने के बाद दो छोटे उपग्रहों इन्सपायर सैट-1 और आईएनएस-2टीडी को भी उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया गया. इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद कहा, ‘‘पीएसएलवी-सी52/ईओएस-04 मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. प्राथमिक उपग्रह ईओएस-04 को पीएसएलवी-सी52 ने बेहद सटीक कक्षा में स्थापित किया और इसके साथ ही गए उपग्रह इन्सपायर सैट-1 और आईएनएस-2टीडी को भी सही कक्षा में स्थापित किया.
संयोग से आज का प्रक्षेपण सोमनाथ के हाल में अंतरिक्ष विभाग के सचिव और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद पहला अभियान भी है. उन्होंने इस मिशन को संभव बनाने के लिए हर किसी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, ‘‘यह अंतरिक्ष यान देश की सेवा करने के वास्ते हमारे लिए बड़ी संपत्तियों में से एक होगा. मिशन के निदेशक एसआर बीजू ने कहा, ‘‘आज हमने जो हासिल किया है वह वाकई शानदार है. इससे पहले आज के प्रक्षेपण के लिए रविवार को सुबह चार बजकर 29 मिनट पर साढ़े 25 घंटे की उलटी गिनती शुरू हुई थी.
ईओएस-04 एक ‘रडार इमेजिंग सैटेलाइट’ है जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों एवं सभी मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसका वजन 1,710 किलोग्राम हे. पीएसएलवी अपने साथ में इन्सपायर सैट-1 उपग्रह भी लेकर गया, जिसे भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) ने कोलोराडो विश्वविद्यालय, बोल्डर की वायुमंडलीय और अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला के सहयोग से तैयार किया है जबकि दूसरा उपग्रह आईएनएस-2टीडी एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है.
इन्सपायर सैट-1 उपग्रह का उद्देश्य आयनमंडल के गति विज्ञान और सूर्य की कोरोनल ऊष्मीय प्रक्रियाओं की समझ में सुधार करना है. इसका वजन 8.1 किलोग्राम है. वहीं, 17.5 किलोग्राम वजनी आईएनएस-2टीडी के उपकरण के रूप में एक थर्मल इमेजिंग कैमरा होने से उपग्रह भूमि की सतह के तापमान, आर्द्रभूमि या झीलों के पानी की सतह के तापमान, वनस्पतियों (फसलों और जंगल) और तापीय जड़त्व (दिन और रात) के आकलन में सहायता प्रदान करेगा.
यह पीएसएलवी की 54वीं उड़ान है और 6 पीएसओएम-एक्सएल (स्ट्रैप-ऑन मोटर्स) के साथ ‘पीएसएलवी-एक्सएल कॉन्फिगरेशन’ का उपयोग करते हुए 23वां मिशन है.
उपग्रह से मिलेगा ये फायदा
इसरो द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ईओएस-04 उपग्रह एक रडार इमेजिंग उपग्रह है. जिसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में पृथ्वी की हाई क्वॉलिटी वाली तस्वीरें लेने में होगा. इसके जरिए कृषि, वन, पौधरोपण, मिट्टी में नमी, पानी उपलब्धता और बाढ़ ग्रस्त इलाकों के नक्शे को तैयार करने में मदद मिलेगी.
साथ में ये उपग्रह भी छोड़े जाएंगे
इस मिशन के साथ दो छोटे-छोटे उपग्रह को भी लॉन्च किया जा रहा है. इनमें से एक INSPIREsat-1 सैटेलाइट है. जिसे आईआईएसटी (Institute of Space Science and Technology -IIST) के छात्रों ने अमेरिका के कोलोराडो यूनिवर्सिटी की लेबोरेटरी ऑफ एटमॉसफेयर एंड स्पेस फिजिक्स के छात्रों के साथ मिलकर बनाया है.
दूसरा उपग्रह INS-2TD है. यह उपग्रह इसरो और भूटान का संयुक्त उपग्रह है. जो कि एक बोल्डर और एक तकनीकी डिमॉन्सट्रेटर उपग्रह (आईएनएस-2टीडी). इसके पहले जनवरी में ही भारत सरकार ने रॉकेट वैज्ञानिक एस सोमनाथ को इसरो का प्रमुख नियुक्त किया है. एस सोमनाथ ने के सिवन की जगह ली है.