भारत के महान अभियन्ता एवं देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से विभूषित सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या के जन्मदिवस (Sir M Visvesvaraya Birth Anniversary) पर देश हर साल 15 सितंबर को राष्ट्रीय अभियंता दिवस (इंजीनियर्स डे) मनाता है. हालांकि, UNESCO द्वारा हर साल चार मार्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व अभियंता दिवस (World Engineers Day) मनाया जाता है. हमारे ग्रह को बेहतर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने में इंजीनियर्स की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए हमारे पास धन्यवाद देने के लिए कोई शब्द पर्याप्त नहीं हैं. महान अभियंता Sir M Visvesvaraya ने बेहद कम संसाधनों के बावजूद दक्षिण भारत में बांध निर्माण, सिंचाई तथा जलापूर्ति के क्षेत्र में बड़े-बड़े काम किए. विश्वेश्वरैया ने मैसूर के कृष्ण राजसागर बांध (Krishna Rajasagar Dam Mysore karnataka) का निर्माण कराया, जिससे मैसूर और मंड्या जिलों की काया पलट गई. National Engineers Day . UNESCO World Engineers Day . Sir Mokshagundam Visvesvaraya Birthday .
वाड्यार वंश (Wadiyar dynasty) के शासनकाल में कावेरी नदी पर बांध के निर्माण के दौरान देश में सीमेंट नहीं बनता था. इसके लिए इंजीनियरों ने मोर्टार तैयार किया जो सीमेंट से ज्यादा मजबूत था. इस बांध का निर्माण सर एमवी (Sir M V Birth Anniversary) के नाम से प्रसिद्ध विश्वेश्वरैया के जीवन की बड़ी उपलब्धियों में से एक है. विश्वेश्वरैया को 1912 में मैसूर के महाराजा ने अपना दीवान यानी मुख्यमंत्री नियुक्त किया. उनका निधन 1962 में हुआ.
राष्ट्रीय अभियंता दिवस (National Engineers Day and World Engineers Day) विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इंजीनियरों की उपलब्धियों पर गर्व महसूस करने के लिए समर्पित है. इंजीनियर्स का देश और विश्व की आर्थिक प्रगति और विकास में उल्लेखनीय योगदान है. इस महत्वपूर्ण दिन को पिछली उपलब्धियों की सराहना करने और वर्तमान इंजीनियरिंग रुझानों को प्रशंसा करने के लिए मनाया जाता है. यह दिन हमारे जीवन के हर कदम पर आधुनिक इंजीनियरिंग की दुनिया और इंजीनियरों के महत्व को दर्शाता है. इसके अलावा, इंजीनियर दिवस हमारे जीवन को आसान, सरल और सुंदर बनाने वाले कठिन इंजीनियरिंग सिद्धांतों की उपयोगिता को समझने में मदद करने के लिए एक मजबूत संदेश देता है.
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया और उनका योगदान
प्रख्यात इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के योगदान को स्मरण करने के लिए हर साल देशभर में 15 सितंबर को राष्ट्रीय National Engineers Day जाता है. एम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर, 1861 को कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले के मुद्दनेहल्ली गांव में हुआ था. देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार Bharat Ratna Sir M Visvesvaraya ने मद्रास विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ आर्ट्स (बीए) की पढ़ाई की थी और पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
बाद में उन्होंने पुणे के पास खडकवासला जलाशय में एक सिंचाई प्रणाली का पेटेंट कराया और स्थापित किया. इसका उद्देश्य खाद्य आपूर्ति स्तर और भंडारण को उच्चतम स्तर तक बढ़ाना था.इस सिस्टम को ग्वालियर के तिघरा बांध और मैसूर (अब मैसुरु) के कृष्णराज सागर (केआरएस) बांध पर भी स्थापित किया गया था, जिसके बाद यह उस समय एशिया का सबसे बड़ा जलाशय बन गया था.
किंग जॉर्ज पंचम ने उन्हें 1915 में ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के कमांडर के रूप में नाइट की उपाधि से सम्मानित किया था. उन्होंने स्वचालित जलद्वार बनाए जो बाद में तिघरा डैम (मध्य प्रदेश) और केआरएस डैम (कर्नाटक) में भी उपयोग किए गए थे. इस पेटेंट डिजाइन के लिए, उन्हें रॉयल्टी के रूप में बड़ी आय प्राप्त होनी थी, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया ताकि सरकार इस धन का उपयोग अधिक विकासात्मक परियोजनाओं के लिए कर सके.
हैदराबाद में, विश्वेश्वरैया ने बाढ़ सुरक्षा प्रणाली को डिजाइन किया था, इससे उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली. उन्हें 1908 में मैसूर का दिवान (प्रधानमंत्री पद) बनाया गया और सभी विकास परियोजनाओं की पूर्ण जिम्मेदारी दी गई. उनके कार्यकाल में मैसूर में कृषि, सिंचाई, औद्योगिकीकरण, शिक्षा, बैंकिंग और वाणिज्य के क्षेत्र में बड़े बदलाव हुए.आजादी के बाद साल 1955 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया. वह लंदन इंस्टीट्यूशन ऑफ सिविल इंजीनियर्स के सदस्य बने. इससे पहले उन्हें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) बैंगलोर द्वारा फेलोशिप प्रदान की गई. प्रख्यात इंजीनियर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरनाथ का 1962 में निधन हो गया.
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