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सीएम केजरीवाल ने 'पूसा बायो-डीकंपोजर' को बताया बेहद प्रभावी, केंद्र से किया ये आग्रह...

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा ऑडिट किया गया था. इस ऑडिट में पराली प्रबंधन के लिए सूक्ष्मजीवी समाधान पूसा बायो-डीकंपोजर का उपयोग अत्यधिक प्रभावी पाया गया है. उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि वह पड़ोसी राज्यों को किसानों के बीच इसे मुफ्त में वितरित करने के लिए कहें. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 13, 2021, 6:32 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा ऑडिट किया गया था. इस ऑडिट में पराली प्रबंधन के लिए सूक्ष्मजीवी समाधान पूसा बायो-डीकंपोजर (Pusa bio-decomposer) का उपयोग अत्यधिक प्रभावी पाया गया है. उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि वह पड़ोसी राज्यों को किसानों के बीच इसे मुफ्त में वितरित करने के लिए कहें.

उन्होंने कहा कि अक्टूबर में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना दिल्ली में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के पीछे की एक मुख्य वजह है. केजरीवाल ने कहा, यह किसानों की गलती नहीं है बल्कि सरकारों की गलती है क्योंकि उन्हें इसका एक समाधान पेश करना चाहिए था. पिछले साल, दिल्ली सरकार ने बायो-डीकंपोजर मुफ्त में वितरित किया था, जिसका उपयोग पराली को खाद में बदलने के लिए किसानों ने 39 गांव की 1,935 एकड़ जमीन पर किया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की एक एजेंसी, WAPCOS द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में बायो-डीकंपोजर के उपयोग पर बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं. नब्बे फीसदी किसानों ने दावा किया कि घोल 15-20 दिनों में पराली को खाद में बदल देता है. साथ ही मिट्टी में कार्बन की मात्रा 40 फीसदी, नाइट्रोजन 24 फीसदी, बैक्टीरिया सात गुना और कवक तीन गुना बढ़ गया. गेहूं के अंकुरण में भी 17-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

पढ़ें : किसान संसद में पराली बिल 2020 पर हुई चर्चा

उन्होंने कहा, हम केंद्र से अपील करते हैं कि वह राज्यों से किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए बायो-डीकंपोजर मुफ्त में बांटने के लिए कहे. साथ ही उन्होंने कहा कि वह ऑडिट रिपोर्ट के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करेंगे और मामले में अपने निजी हस्तक्षेप का अनुरोध करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा ऑडिट किया गया था. इस ऑडिट में पराली प्रबंधन के लिए सूक्ष्मजीवी समाधान पूसा बायो-डीकंपोजर (Pusa bio-decomposer) का उपयोग अत्यधिक प्रभावी पाया गया है. उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि वह पड़ोसी राज्यों को किसानों के बीच इसे मुफ्त में वितरित करने के लिए कहें.

उन्होंने कहा कि अक्टूबर में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना दिल्ली में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के पीछे की एक मुख्य वजह है. केजरीवाल ने कहा, यह किसानों की गलती नहीं है बल्कि सरकारों की गलती है क्योंकि उन्हें इसका एक समाधान पेश करना चाहिए था. पिछले साल, दिल्ली सरकार ने बायो-डीकंपोजर मुफ्त में वितरित किया था, जिसका उपयोग पराली को खाद में बदलने के लिए किसानों ने 39 गांव की 1,935 एकड़ जमीन पर किया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की एक एजेंसी, WAPCOS द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में बायो-डीकंपोजर के उपयोग पर बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं. नब्बे फीसदी किसानों ने दावा किया कि घोल 15-20 दिनों में पराली को खाद में बदल देता है. साथ ही मिट्टी में कार्बन की मात्रा 40 फीसदी, नाइट्रोजन 24 फीसदी, बैक्टीरिया सात गुना और कवक तीन गुना बढ़ गया. गेहूं के अंकुरण में भी 17-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

पढ़ें : किसान संसद में पराली बिल 2020 पर हुई चर्चा

उन्होंने कहा, हम केंद्र से अपील करते हैं कि वह राज्यों से किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए बायो-डीकंपोजर मुफ्त में बांटने के लिए कहे. साथ ही उन्होंने कहा कि वह ऑडिट रिपोर्ट के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करेंगे और मामले में अपने निजी हस्तक्षेप का अनुरोध करेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

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