नई दिल्ली : मोलनुपिरवीर की सुरक्षा (safety of Molnupiravir) पर उठ रहे सवालों के बीच, भारतीय स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया है कि (indian health specialist on Molnupiravir) उच्च जोखिम वाले रोगियों के मामले में दवा के लाभ संभावित जोखिमों से कहीं अधिक हैं. मोलनुपिरवीर मुंह से ली जाने वाली एंटी वायरल दवा (Molnupiravir anti viral medicine for covid-19) है, जिसे कोविड-19 के इलाज के लिए अनुमोदित किया गया है.
अमेरिका स्थित दवा कंपनी मर्क द्वारा विकसित, मोलनुपिरवीर को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) द्वारा कोविड-19 के खिलाफ अनुमोदित किया गया है. यह यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) द्वारा वयस्कों में हल्के से मध्यम कोविड-19 के उपचार के लिए अनुमोदित है, जिनमें गंभीर बीमारी के बढ़ने का उच्च जोखिम है.
भारत में नए कोविड वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों (Omicron cases in india) के बीच देश ने भी दवा को मंजूरी दे दी है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के एक विशेषज्ञ पैनल ने हाल ही में आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए एंटीवायरल मोलनुपिरवीर को मंजूरी (Antiviral Molnupiravir approved) दी थी. एंटीवायरल दवा का निर्माण भारत में 13 कंपनियां करेंगी.
हालांकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक, बलराम भार्गव ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा है कि सुरक्षा चिंताओं के कारण दवा को भारत के कोविड उपचार प्रोटोकॉल में शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने मोलनुपिरविर के साइड इफेक्टस (side effects of Molnupiravir) को लेकर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि मोलनुपिरवीर को राष्ट्रीय कोविड टास्क फोर्स उपचार में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि इसके साथ टेराटोजेनिसिटी, म्यूटेजेनेसिटी, मांसपेशियों और हड्डियों की क्षति जैसी प्रमुख सुरक्षा चिंताएं भी हैं. उन्होंने हाल ही में एक बयान में कहा कि ये दवा टेराटोजेनिसिटी और म्यूटेजेनेसिटी का कारण बन सकती है.
टेराटोजेनिसिटी से मतलब है कि जब ये दवा कोई गर्भवती महिला लेती है तो भ्रूण से जुड़े विकार या भ्रूण के विकास में समस्या आ सकती है. वहीं, म्यूटेजेनेसिटी का अर्थ जेनेटिक मटेरियल में होने वाले स्थायी बदलावों से है. पुरुष और महिलाओं दोनों को दवा लेने के तीन महीने बाद तक गर्भ निरोधक उपाय करना होगा. क्योंकि मोलनुपिरविर के प्रभाव में जन्मे बच्चे में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. हालांकि, हम इस संभावना पर भी चर्चा करेंगे कि इस दवा को नेशनल ट्रीटमेंट गाइडलाइंस में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं.
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पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन, सीनियर कंसल्टेंट और मेट्रो रेस्पिरेटरी सेंटर के चेयरमैन डॉ. दीपक तलवार ने कहा, चिकित्सकों को किसी भी दवा को निर्धारित करते समय अपने रोगी प्रोफाइल को ध्यान में रखना होता है. अगर रोगी उच्च जोखिम वाला है, जो 60 वर्ष से अधिक उम्र का है, मोटापे से ग्रस्त है या कार्डियोवैस्कुलर बीमारी, उच्च रक्तचाप या पुरानी फेफड़ों, गुर्दे या यकृत से जुड़ी बीमारी से ग्रस्त है, तब इलाज नहीं कराने से बीमारी हल्की या मध्यम स्तर पर भी चरम मोड़ ले सकती है, जिससे रोगी को अस्पताल में भर्ती होने का खतरा होता है और जैसा कि हमने डेल्टा वैरिएंट के समय देखा है, यहां तक कि मृत्यु होने की भी संभावना है.
उन्होंने कहा कि हमें इसके दुष्प्रभावों को गिनने के बजाय उपलब्ध चिकित्सा का उपयोग करना होगा, वह भी जो संभावित हैं, लेकिन ज्ञात नहीं हैं. पीजीआईएमएस, रोहतक में पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन के प्रमुख डॉ. ध्रुव चौधरी के अनुसार, यूएस एफडीए और डीसीजीआई ने मंजूरी देते समय दवा के सुरक्षा डेटा को खंगाला है और संतुष्ट होने पर ही इस दवा को मंजूरी दी गई है. चौधरी ने कहा, यहां तक कि चरण तीन के नैदानिक परीक्षणों में भी मोलनुपिरवीर ने अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु के जोखिम में उल्लेखनीय कमी का प्रदर्शन किया है.
मोलनुपिरवीर कुछ आरएनए वायरस की प्रतिकृति को रोकता है. इसका उपयोग मूल रूप से 50 वर्ष से अधिक आयु के कोविड-19 संक्रमित लोगों और कई कॉमरेडिटी वाले लोगों के इलाज में किया जाना है. मोलनुपिरवीर 800 मिलीग्राम की खुराक दिन में दो बार पांच दिनों के लिए है. एक मरीज को 200 मिलीग्राम दवा युक्त 40 कैप्सूल लेने होते हैं.
टोरेंट, सिप्ला, सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज, नैटको, माइलान और हेटेरो सहित एक दर्जन से अधिक फार्मा कंपनियां ओरल पिल बनाने की प्रक्रिया में हैं. सिप्ला, सन फार्मा और डॉ. रेड्डीज लैबोरेट्रीज की ओर से आने वाले हफ्तों में मोलनुपिरवीर कैप्सूल जारी करने की उम्मीद है.
(आईएएनएस)