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भारत-चीन तनाव : ड्रैगन अब भी नहीं आ रहा बाज, भारतीय सेना सतर्क - भारत चीन तनाव

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच कई महीनों से तनाव चल रहा है. तनाव कम करने के लिए दोनों देश के बीच कई दौर की वार्ताएं भी हो चुकी हैं, लेकिन किसी का भी सही हल नहीं निकल सका है. इसके अलावा भारत और चीन के विदेश मंत्री के बीच मॉस्को में पांच सूत्रीय फॉर्मूले पर सहमति बनी थी, लेकिन चीन इस फॉर्मूले को रत्तीभर भी पालन नहीं कर रहा है. यह दिखावा करते हुए कि इस प्रकार की स्थिति दोनों देशों के लिए ठीक नहीं है, चीन अपनी कुटिल चाल चल रहा है. एक तरफ तो तनाव कम करने के लिए सहमति जताता है, तो वहीं दूसरी ओर तनाव बढ़ाने के नए-नए बहाने खड़े कर रहा है.

भारत चीन गतिरोध
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Published : Dec 24, 2020, 10:23 PM IST

Updated : Dec 24, 2020, 10:32 PM IST

पूर्वी लद्दाख में पिछले सात महीनों से चल रहे तनाव का कोई अंत नहीं नजर आ रहा है. ड्रैगन लगातार आगे बढ़ रहा है. उसका दूरगामी लक्ष्य है यथास्थिति बनाए रख कर भारत पर दबाव बना कर उसे आर्थिक रूप से कमजोर करना. ब्रिगेड कमांड स्तर पर अब तक एक दर्जन बातचीत का दौर हो चुका है. विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के स्तर पर भी मंत्रणा के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन इन सब का कोई नतीजा नहीं निकाला है. यह दिखावा करते हुए कि इस प्रकार की स्थिति दोनों देशों के लिए ठीक नहीं है चीन अपनी कुटिल चाल चल रहा है. एक ओर वह इस बात पर सहमत हो रहा है कि तनाव बढ़ाने के प्रयासों से वह दूर रह कर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाने में मानता है. वहीं दूसरी ओर तनाव बढ़ाने के नए नए बहाने खड़े कर रहा है.

हर समय चौकन्ना
हालांकि, मॉस्को में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई चर्चा में पंचसूत्रीय योजना बनाई गई थी, ड्रैगन ने बाद में उस पर कोई तवज्जो नहीं दी. वह पैंगोग त्सो झील से एक इंच भी पीछे नहीं हटा है, जहां तनाव की स्थिति बरकरार है. उसने वहां 60,000 सैनिक तनात किए हैं और अरुणाचल प्रदेश में भारत-तिब्बत सीमा के पास नए गांव बसा दिए हैं. इस बात की पुष्टि कुछ दिन पहले भारतीय सेना प्रमुख ने भी की थी. यह बताया गया कि भारतीय सेना डोकलाम क्षेत्र मे चीनी सेना की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए है. चीन तिब्बत के उस इलाके में चीनी लोग और कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों को बसाने की व्यवस्था कर रहा है जहां की सीमा पर सैनिक तैनात नहीं हैं. उसने दक्षिण चीनी समुद्र पर दावा करने के इरादे से मछुआरों को लगा रखा है. अब वह हिमालय में गड़रियों की घुसपैठ बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. वह समूची सीमा पर तनाव बढ़ाने की साजिश कर रहा है.

निकट भविष्य में सीमा विवाद का कोई हल नजर नहीं आता इसलिए भारत ने पूर्वी लद्दाख की चीन की सीमा पर 50,000 सैनिक तैनात कर दिए हैं. इस इलाके मे भारी बर्फ गिर रहा है और इस समय वहां का तापमान शून्य से 20 से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे चल रहा है. हमारे देश ने अमेरिका से अद्यतन गरम कपड़े आयात किए हैं और सैनिकों को भयानक ठंड मौसम का सामना करने के लिए तमाम बंदोबस्त कर रखे हैं.

पिछले 30 साल से हमारी सेना सियाचिन और कारगिल सेक्टर में तैनात है जो क्षेत्र उतने ही ठंडे हैं. इन इलाकों में इसी परिस्थियों मे हमने पाकिस्तान से तीन युद्ध लड़े हैं. हमारी सेना वर्तमान परिस्थिती से जहां वाकिफ है वहीं चीनी सेना को गत चालीस साल में इस प्रकार का अनुभव नहीं है इसलिए वह मुश्किल में है. अपने सैनिकों को उचित सुविधाएं देने में चीन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. खबर है कि जल्दीबाजी में दिए गए घटिया क्वालिटी के कपड़ों की वजह से चीनी सैनिकों मे भारी असंतोष है. अत्यंत ठंडे वातावरण में रहने का अनुभव न होने के कारण चीन के कई सैनिकों की मृत्यु हो चुकी है. इस वजह से वे लगातार सैनिक बदल रहे हैं.

आत्मनिर्भरता जरूरी
भारत को पाकिस्तान और चीन के आक्रमण से टक्कर लेने के लिए और भी कड़े कदम उठाने चाहिए. सैनिकों को अद्यतन हथियारों से लैस करने के अलावा हमें रणभूमि में युद्ध की तकनीक पर जल्द से जल्द महारथ हासिल करने की जरूरत है. हमारे देश ने चीन से बदला लेने उसके 210 एप तीन खेप में बंद कर दिए हैं. उस देश पर अधिक आर्थिक बोझ डालने के और भी कदम उठाने होंगे. चीन से आयात का मूल्य भारत से निर्यात के मूल्य से तिगुना ज्यादा है. इसलिए जरूरी है कि हम आयात के विकल्प खोजें और उन्हें भारत में सस्ते खर्च में विकसित करें. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया अपने कानून बदल रहे हैं ताकि चीन को नियंत्रित किया जा सके. अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से बने चतुष्कोण को चाहिए कि वह ड्रैगन के प्रभाव को कम करने के कारगर उपाय लें. लेकिन इससे पहले जरूरी है कि हम पाकिस्तान और गैर चीनी दूसरे पड़ोसी देशों से अपने कूटनीतिक संबंध सुधारें.

पाक के साथ षड्यन्त्र
अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता लगभग बंद कर दी है और उसे आधुनिक हथियार भी देने बंद कर दिए है.क्योंकि वह आतंकवादियों का स्वर्ग बन गया है. इसलिए पाकिस्तान ने अब चीन की शरण ली है. इसका फायदा उठा कर चीन पाकिस्तान के इलाके से भारत को कैसे तंग किया जाए इसकी योजना पर काम कर रहा है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक क्षेत्र के साये में षडयंत्र रचे जा रहे हैं. यह आर्थिक क्षेत्र 70 मिलियन डॉलर के निवेश से तैयार किया जा रहा है. इस क्षेत्र की सुरक्षा के बहाने दोनों देशों ने पाक अधिकृत कश्मीर में भारत की सीमा पर 25,000 सैनिक तैनात कर दिए हैं. पाकिस्तानी सेना को चीन अत्याधुनिक हथियारों से लैस करेगा. एक बार जब यह आर्थिक क्षेत्र बन कर तैयार हो जाएगा तब चीन भारतीय महासागर तक जल्दी पहुंच पाएगा. चीन ने पाकिस्तान को आठ अत्याधुनिक पनडुब्बियां और लड़ाकू हेलिकाप्टर देने का तय किया है. दूसरी ओर कुछ महीने पहले चीन की वायुसेना ने पाकिस्तान मे एक दफ्तर खोल दिया है जहां से साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का संचालन किया जा सके और जासूसी की जा सके. भारत को हर तरह से परेशान करने के लिए ये सब ड्रैगन द्वारा रचे जा रहे षडयन्त्र का भाग हैं.

(लेखक- एम एस वी त्रिमूरतुलु)

पूर्वी लद्दाख में पिछले सात महीनों से चल रहे तनाव का कोई अंत नहीं नजर आ रहा है. ड्रैगन लगातार आगे बढ़ रहा है. उसका दूरगामी लक्ष्य है यथास्थिति बनाए रख कर भारत पर दबाव बना कर उसे आर्थिक रूप से कमजोर करना. ब्रिगेड कमांड स्तर पर अब तक एक दर्जन बातचीत का दौर हो चुका है. विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के स्तर पर भी मंत्रणा के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन इन सब का कोई नतीजा नहीं निकाला है. यह दिखावा करते हुए कि इस प्रकार की स्थिति दोनों देशों के लिए ठीक नहीं है चीन अपनी कुटिल चाल चल रहा है. एक ओर वह इस बात पर सहमत हो रहा है कि तनाव बढ़ाने के प्रयासों से वह दूर रह कर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाने में मानता है. वहीं दूसरी ओर तनाव बढ़ाने के नए नए बहाने खड़े कर रहा है.

हर समय चौकन्ना
हालांकि, मॉस्को में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई चर्चा में पंचसूत्रीय योजना बनाई गई थी, ड्रैगन ने बाद में उस पर कोई तवज्जो नहीं दी. वह पैंगोग त्सो झील से एक इंच भी पीछे नहीं हटा है, जहां तनाव की स्थिति बरकरार है. उसने वहां 60,000 सैनिक तनात किए हैं और अरुणाचल प्रदेश में भारत-तिब्बत सीमा के पास नए गांव बसा दिए हैं. इस बात की पुष्टि कुछ दिन पहले भारतीय सेना प्रमुख ने भी की थी. यह बताया गया कि भारतीय सेना डोकलाम क्षेत्र मे चीनी सेना की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए है. चीन तिब्बत के उस इलाके में चीनी लोग और कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों को बसाने की व्यवस्था कर रहा है जहां की सीमा पर सैनिक तैनात नहीं हैं. उसने दक्षिण चीनी समुद्र पर दावा करने के इरादे से मछुआरों को लगा रखा है. अब वह हिमालय में गड़रियों की घुसपैठ बढ़ाने की तैयारी कर रहा है. वह समूची सीमा पर तनाव बढ़ाने की साजिश कर रहा है.

निकट भविष्य में सीमा विवाद का कोई हल नजर नहीं आता इसलिए भारत ने पूर्वी लद्दाख की चीन की सीमा पर 50,000 सैनिक तैनात कर दिए हैं. इस इलाके मे भारी बर्फ गिर रहा है और इस समय वहां का तापमान शून्य से 20 से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे चल रहा है. हमारे देश ने अमेरिका से अद्यतन गरम कपड़े आयात किए हैं और सैनिकों को भयानक ठंड मौसम का सामना करने के लिए तमाम बंदोबस्त कर रखे हैं.

पिछले 30 साल से हमारी सेना सियाचिन और कारगिल सेक्टर में तैनात है जो क्षेत्र उतने ही ठंडे हैं. इन इलाकों में इसी परिस्थियों मे हमने पाकिस्तान से तीन युद्ध लड़े हैं. हमारी सेना वर्तमान परिस्थिती से जहां वाकिफ है वहीं चीनी सेना को गत चालीस साल में इस प्रकार का अनुभव नहीं है इसलिए वह मुश्किल में है. अपने सैनिकों को उचित सुविधाएं देने में चीन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. खबर है कि जल्दीबाजी में दिए गए घटिया क्वालिटी के कपड़ों की वजह से चीनी सैनिकों मे भारी असंतोष है. अत्यंत ठंडे वातावरण में रहने का अनुभव न होने के कारण चीन के कई सैनिकों की मृत्यु हो चुकी है. इस वजह से वे लगातार सैनिक बदल रहे हैं.

आत्मनिर्भरता जरूरी
भारत को पाकिस्तान और चीन के आक्रमण से टक्कर लेने के लिए और भी कड़े कदम उठाने चाहिए. सैनिकों को अद्यतन हथियारों से लैस करने के अलावा हमें रणभूमि में युद्ध की तकनीक पर जल्द से जल्द महारथ हासिल करने की जरूरत है. हमारे देश ने चीन से बदला लेने उसके 210 एप तीन खेप में बंद कर दिए हैं. उस देश पर अधिक आर्थिक बोझ डालने के और भी कदम उठाने होंगे. चीन से आयात का मूल्य भारत से निर्यात के मूल्य से तिगुना ज्यादा है. इसलिए जरूरी है कि हम आयात के विकल्प खोजें और उन्हें भारत में सस्ते खर्च में विकसित करें. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया अपने कानून बदल रहे हैं ताकि चीन को नियंत्रित किया जा सके. अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से बने चतुष्कोण को चाहिए कि वह ड्रैगन के प्रभाव को कम करने के कारगर उपाय लें. लेकिन इससे पहले जरूरी है कि हम पाकिस्तान और गैर चीनी दूसरे पड़ोसी देशों से अपने कूटनीतिक संबंध सुधारें.

पाक के साथ षड्यन्त्र
अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता लगभग बंद कर दी है और उसे आधुनिक हथियार भी देने बंद कर दिए है.क्योंकि वह आतंकवादियों का स्वर्ग बन गया है. इसलिए पाकिस्तान ने अब चीन की शरण ली है. इसका फायदा उठा कर चीन पाकिस्तान के इलाके से भारत को कैसे तंग किया जाए इसकी योजना पर काम कर रहा है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक क्षेत्र के साये में षडयंत्र रचे जा रहे हैं. यह आर्थिक क्षेत्र 70 मिलियन डॉलर के निवेश से तैयार किया जा रहा है. इस क्षेत्र की सुरक्षा के बहाने दोनों देशों ने पाक अधिकृत कश्मीर में भारत की सीमा पर 25,000 सैनिक तैनात कर दिए हैं. पाकिस्तानी सेना को चीन अत्याधुनिक हथियारों से लैस करेगा. एक बार जब यह आर्थिक क्षेत्र बन कर तैयार हो जाएगा तब चीन भारतीय महासागर तक जल्दी पहुंच पाएगा. चीन ने पाकिस्तान को आठ अत्याधुनिक पनडुब्बियां और लड़ाकू हेलिकाप्टर देने का तय किया है. दूसरी ओर कुछ महीने पहले चीन की वायुसेना ने पाकिस्तान मे एक दफ्तर खोल दिया है जहां से साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध का संचालन किया जा सके और जासूसी की जा सके. भारत को हर तरह से परेशान करने के लिए ये सब ड्रैगन द्वारा रचे जा रहे षडयन्त्र का भाग हैं.

(लेखक- एम एस वी त्रिमूरतुलु)

Last Updated : Dec 24, 2020, 10:32 PM IST
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