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निर्भया कांड: दोषियों को फांसी देने की मांग तेज, लेकिन तिहाड़ में नहीं है कोई जल्लाद

एशिया की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में सजा काट रहे आरोपियों की जान अब अधर में लटकती नजर आ रही है. क्योंकि इनको फांसी देने की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए अब तिहाड़ में भी इसकी सुगबुगाहट बढ़ रही है.

Demand to  Nirbhaya scandal intensified
निर्भया कांड के दोषियों
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Published : Dec 3, 2019, 4:45 PM IST

नई दिेल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा निर्भया कांड के चारों आरोपियों की दया याचिका ख़ारिज करने के बाद और हैदराबाद लेडी डॉक्टर हत्याकांड से देश मे आए उबाल से तिहाड़ में बंद चारों कैदियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.

निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने की मांग तेज

एशिया की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में सजा काट रहे आरोपियों की जान अब अधर में लटकती नजर आ रही है. क्योंकी इनको फांसी देने की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए अब तिहाड़ में भी इसकी सुगबुगाहट बढ़ रही है.

तिहाड़ जेल में कोई स्थाई जल्लाद नहीं है
तिहाड़ जेल में कोई स्थाई जल्लाद नहीं है, जब अफजल गुरु को फांसी दी गई थी, तब मेरठ से जल्लाद मंगवाया गया था. तिहाड़ जेल में आखिर कैदी अफजल गुरु ही था, जिसे फांसी पर लटकाया गया था. अफजल गुरु को 2001 में हुए संसद हमले का दोषी पाया गया था. जिसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी.

अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में दी गई थी
अफजल गुरु को 43 साल की उम्र में 09 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल के कारागार नंबर 3 में फ़ांसी पर लटकाया गया था, लेकिन अफजल को फांसी पर लटकाने वाले जल्लाद का नाम आज तक गुप्त रखा गया है. यह 2 दशकों बाद होने वाली फांसी थी, क्योकि इससे पहले तिहाड़ जेल में ही साल 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी पर लटकाया गया था. उनके हत्यारों को फांसी पर चढ़ाने वाले जल्लादों का नाम कालू और फकीरा था.

बता दें कि तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए कोई स्थायी जल्लाद नहीं है. जिसके बाद लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर वो जल्लाद कौन होंगे. जो निर्भया कांड के आरोपियों को फांसी पर लटकाएंगे. क्योंकि जितनी तेजी से हालात बदले हैं, इससे ऐसा लग रहा है कि कभी भी निर्भया कांड के चारों आरोपियों को फांसी पर लटकाया जा सकता है.

नई दिेल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा निर्भया कांड के चारों आरोपियों की दया याचिका ख़ारिज करने के बाद और हैदराबाद लेडी डॉक्टर हत्याकांड से देश मे आए उबाल से तिहाड़ में बंद चारों कैदियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.

निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने की मांग तेज

एशिया की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में सजा काट रहे आरोपियों की जान अब अधर में लटकती नजर आ रही है. क्योंकी इनको फांसी देने की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए अब तिहाड़ में भी इसकी सुगबुगाहट बढ़ रही है.

तिहाड़ जेल में कोई स्थाई जल्लाद नहीं है
तिहाड़ जेल में कोई स्थाई जल्लाद नहीं है, जब अफजल गुरु को फांसी दी गई थी, तब मेरठ से जल्लाद मंगवाया गया था. तिहाड़ जेल में आखिर कैदी अफजल गुरु ही था, जिसे फांसी पर लटकाया गया था. अफजल गुरु को 2001 में हुए संसद हमले का दोषी पाया गया था. जिसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी.

अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में दी गई थी
अफजल गुरु को 43 साल की उम्र में 09 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल के कारागार नंबर 3 में फ़ांसी पर लटकाया गया था, लेकिन अफजल को फांसी पर लटकाने वाले जल्लाद का नाम आज तक गुप्त रखा गया है. यह 2 दशकों बाद होने वाली फांसी थी, क्योकि इससे पहले तिहाड़ जेल में ही साल 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी पर लटकाया गया था. उनके हत्यारों को फांसी पर चढ़ाने वाले जल्लादों का नाम कालू और फकीरा था.

बता दें कि तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए कोई स्थायी जल्लाद नहीं है. जिसके बाद लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर वो जल्लाद कौन होंगे. जो निर्भया कांड के आरोपियों को फांसी पर लटकाएंगे. क्योंकि जितनी तेजी से हालात बदले हैं, इससे ऐसा लग रहा है कि कभी भी निर्भया कांड के चारों आरोपियों को फांसी पर लटकाया जा सकता है.

Intro:दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा निर्भया कांड के चारो आरोपियों की दया याचिका ख़ारिज करने के बाद और इधर हैदराबाद लेडी डॉक्टर हत्याकांड से देश मे आये उबाल से तिहाड़ में बंद चारों कैदियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. एशिया की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में सजा काट रहे आरोपियों की जान अब अधर में लटकती नजर आ रही है, क्योंकी इनको फांसी देने की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए अब तिहाड़ में भी इसकी सुगबुगाहट बढ़ रही है.
Body:हालांकि तिहाड़ जेल में कोई स्थाई जल्लाद नही है, लेकिन अफजल गुरु को कब फांसी दी गई थी, तब मेरठ से जल्लाद मंगवाया गया था. तिहाड़ जेल में आखिर कैदी अफजल गुरु ही था जिसे फांसी पर लटकाया गया था. अफजल गुरु को 2001 में हुए संसद हमले का दोषी पाया गया था. जिसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी.

अफजल गुरु को 43 साल की उम्र में 09 फरवरी 2013 को तिहार जेल के कारागार नंबर 3 में फ़ांसी पर लटकाया गया था, लेकिन अफजल को फांसी पर लटकाने वाले जल्लाद का नाम आज तक गुप्त रखा गया है. यह 2 दशकों बाद होने वाली फांसी थी, क्योकि इससे पहले तिहाड़ जेल में ही साल 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के हत्यारो को फांसी पर लटकाया गया था. उनके हत्यारो को फांसी पर चढ़ाने वाले जल्लादो का नाम कालू और फकीरा था.
Conclusion:
आपको बता दे कि तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए कोई स्थायी जल्लाद नहीं है. जिसके बाद लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर वो जल्लाद कौन होंगे जो निर्भया कांड के आरोपियों को फांसी पर लटकाएंगे. क्योंकि जितनी तेजी से हालात बदले हैं, इससे ऐसा लग रहा है की कभी भी निर्भया कांड के चारो आरोपियों को फांसी पर लटकाया जा सकता है. इसलिए पूरे देश की जनता अब उस पल के इन्तजार में है, जब निर्भया के आरोपियों को फांसी पर लटकाया जाएगा, ऐसे में देखना यह होगा कि तिहाड़ जेल प्रसाशन किन जल्लादों को इस सजा के लिए चुनते हैं?
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