नई दिेल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा निर्भया कांड के चारों आरोपियों की दया याचिका ख़ारिज करने के बाद और हैदराबाद लेडी डॉक्टर हत्याकांड से देश मे आए उबाल से तिहाड़ में बंद चारों कैदियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई है.
एशिया की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल में सजा काट रहे आरोपियों की जान अब अधर में लटकती नजर आ रही है. क्योंकी इनको फांसी देने की मांग लगातार बढ़ रही है. इसलिए अब तिहाड़ में भी इसकी सुगबुगाहट बढ़ रही है.
तिहाड़ जेल में कोई स्थाई जल्लाद नहीं है
तिहाड़ जेल में कोई स्थाई जल्लाद नहीं है, जब अफजल गुरु को फांसी दी गई थी, तब मेरठ से जल्लाद मंगवाया गया था. तिहाड़ जेल में आखिर कैदी अफजल गुरु ही था, जिसे फांसी पर लटकाया गया था. अफजल गुरु को 2001 में हुए संसद हमले का दोषी पाया गया था. जिसके बाद उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई थी.
अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में दी गई थी
अफजल गुरु को 43 साल की उम्र में 09 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल के कारागार नंबर 3 में फ़ांसी पर लटकाया गया था, लेकिन अफजल को फांसी पर लटकाने वाले जल्लाद का नाम आज तक गुप्त रखा गया है. यह 2 दशकों बाद होने वाली फांसी थी, क्योकि इससे पहले तिहाड़ जेल में ही साल 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी पर लटकाया गया था. उनके हत्यारों को फांसी पर चढ़ाने वाले जल्लादों का नाम कालू और फकीरा था.
बता दें कि तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए कोई स्थायी जल्लाद नहीं है. जिसके बाद लोगों में यह जानने की उत्सुकता बढ़ गई है कि आखिर वो जल्लाद कौन होंगे. जो निर्भया कांड के आरोपियों को फांसी पर लटकाएंगे. क्योंकि जितनी तेजी से हालात बदले हैं, इससे ऐसा लग रहा है कि कभी भी निर्भया कांड के चारों आरोपियों को फांसी पर लटकाया जा सकता है.