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जमीन-लोन और करोड़ों का घोटाला, पकड़ा गया दिल्ली का नटवरलाल! - रानी बाग

बैंक ने सिद्धार्थ को लोन देने से पहले दस्तावेजों का ठीक से सत्यापन नहीं किया और करोड़ों रुपये का लोन जारी कर दिया.

फर्जी दस्तावेज दिखाकर बैंक से लेता था लोन, पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार etv bharat
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Published : Jul 24, 2019, 10:18 AM IST

नई दिल्ली: प्रॉपर्टी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैंक से करोड़ों रुपये का लोन लेने वाले एक नटवरलाल को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. आरोपी सिद्धार्थ जैन कई प्रॉपर्टी के फर्जी दस्तावेज देकर अब तक 30 करोड़ रुपये का लोन ले चुका था. इससे पहले भी सीबीआई ने उसे जालसाजी में चार्जशीट कर चुकी है. वह एक दशक से जालसाजी कर रहा था.

फर्जी दस्तावेज दे कर बैंक से लिया 30 करोड़ का लोन


डीसीपी जॉय टिर्की के अनुसार रानी बाग थाने में 77 वर्षीय लव कुमार ओझा ने ठगी का एक मामला दर्ज कराया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह सेना से सेवानिवृत्त कर्नल हैं. सरस्वती विहार में को ऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी में उनका एक प्लॉट है लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें बुढापे में इस जमीन से बेदखल कर दिया है.


यह काम किसी भूमाफिया द्वारा किया गया है. इसे लेकर रानी बाग पुलिस एफआइआर दर्ज कर जांच कर रही थी. जांच के दौरान पता चला किस प्लॉट से संबंधित फाइल भी डीडीए से गायब है. इसे लेकर वर्ष 2016 में कोटला मुबारकपुर थाने में आइपीसी की धारा 409 के तहत मामला दर्ज कराया गया था.


क्राइम ब्रांच को मिली दोनों मामलों की तफ्तीश

मार्च 2019 में रानी बाग और कोटला मुबारक पुर मामले की जांच दोनों क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई. एसीपी अरविंद यादव की देखरेख में इंस्पेक्टर रंजय की टीम ने छानबीन की तो पता चला कि सरस्वती विहार के इस प्लॉट का मालिक सिद्धार्थ जैन नामक शख्स खुद को बताता है.

उसने इस प्लॉट पर 7 करोड़ रुपये का लोन भी ले रखा है. इसके अलावा उसने पीतमपुरा की एक प्रॉपर्टी पर भी छह करोड़ रुपये का लोन बैंक से ले लिया था. बैंक में उसने जो डीडी जमा कराई थी, वह कहीं भी रजिस्टर नहीं थी. वास्तविकता में यह दोनों प्लॉट कभी उसने खरीदे ही नहीं थे.

अब तक ले चुका था 30 करोड़ का लोन

बैंक ने सिद्धार्थ को लोन देने से पहले दस्तावेजों का ठीक से सत्यापन नहीं किया और करोड़ों रुपये का लोन जारी कर दिया. पुलिस को यह भी पता चला कि मॉडल टाउन की एक प्रॉपर्टी पर भी उसने 11 करोड़ का लोन ले रखा है. उसने कुल मिलाकर विभिन्न बैंकों के करीब 30 करोड़ का लोन ले रखा है जो चुकाने की उसकी नियत नहीं है. इन सभी फर्जीवाड़ों को ध्यान में रखते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी सिद्धार्थ जैन एक कारोबारी है. वह मेटल का कारोबार करता है.

पहले भी हो चुका गिरफ्तार


आरोपी ने पुलिस को बताया कि वर्ष 2011 में इसी तरह की ठगी के मामले में उसे सीबीआई ने चार्जशीट किया था. उस मामले में प्रोपर्टी पर लिए गए 3 करोड़ के बैंक लोन के लिए उसने गारंटी दी थी. उसे राजौरी गार्डन पुलिस ने 2004 में ठगी के मामले में गिरफ्तार किया था. उसने एक शख्स से 12 लाख रुपये की ठगी की थी.

इस मामले में बैंक वालों की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है, जिसको लेकर पुलिस छानबीन कर रही है. पुलिस का कहना है कि अगर किसी भी बैंक अधिकारी की मिलीभगत इस फर्जीवाड़े में पाई जाती है तो उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा.

नई दिल्ली: प्रॉपर्टी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैंक से करोड़ों रुपये का लोन लेने वाले एक नटवरलाल को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. आरोपी सिद्धार्थ जैन कई प्रॉपर्टी के फर्जी दस्तावेज देकर अब तक 30 करोड़ रुपये का लोन ले चुका था. इससे पहले भी सीबीआई ने उसे जालसाजी में चार्जशीट कर चुकी है. वह एक दशक से जालसाजी कर रहा था.

फर्जी दस्तावेज दे कर बैंक से लिया 30 करोड़ का लोन


डीसीपी जॉय टिर्की के अनुसार रानी बाग थाने में 77 वर्षीय लव कुमार ओझा ने ठगी का एक मामला दर्ज कराया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह सेना से सेवानिवृत्त कर्नल हैं. सरस्वती विहार में को ऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी में उनका एक प्लॉट है लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें बुढापे में इस जमीन से बेदखल कर दिया है.


यह काम किसी भूमाफिया द्वारा किया गया है. इसे लेकर रानी बाग पुलिस एफआइआर दर्ज कर जांच कर रही थी. जांच के दौरान पता चला किस प्लॉट से संबंधित फाइल भी डीडीए से गायब है. इसे लेकर वर्ष 2016 में कोटला मुबारकपुर थाने में आइपीसी की धारा 409 के तहत मामला दर्ज कराया गया था.


क्राइम ब्रांच को मिली दोनों मामलों की तफ्तीश

मार्च 2019 में रानी बाग और कोटला मुबारक पुर मामले की जांच दोनों क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई. एसीपी अरविंद यादव की देखरेख में इंस्पेक्टर रंजय की टीम ने छानबीन की तो पता चला कि सरस्वती विहार के इस प्लॉट का मालिक सिद्धार्थ जैन नामक शख्स खुद को बताता है.

उसने इस प्लॉट पर 7 करोड़ रुपये का लोन भी ले रखा है. इसके अलावा उसने पीतमपुरा की एक प्रॉपर्टी पर भी छह करोड़ रुपये का लोन बैंक से ले लिया था. बैंक में उसने जो डीडी जमा कराई थी, वह कहीं भी रजिस्टर नहीं थी. वास्तविकता में यह दोनों प्लॉट कभी उसने खरीदे ही नहीं थे.

अब तक ले चुका था 30 करोड़ का लोन

बैंक ने सिद्धार्थ को लोन देने से पहले दस्तावेजों का ठीक से सत्यापन नहीं किया और करोड़ों रुपये का लोन जारी कर दिया. पुलिस को यह भी पता चला कि मॉडल टाउन की एक प्रॉपर्टी पर भी उसने 11 करोड़ का लोन ले रखा है. उसने कुल मिलाकर विभिन्न बैंकों के करीब 30 करोड़ का लोन ले रखा है जो चुकाने की उसकी नियत नहीं है. इन सभी फर्जीवाड़ों को ध्यान में रखते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी सिद्धार्थ जैन एक कारोबारी है. वह मेटल का कारोबार करता है.

पहले भी हो चुका गिरफ्तार


आरोपी ने पुलिस को बताया कि वर्ष 2011 में इसी तरह की ठगी के मामले में उसे सीबीआई ने चार्जशीट किया था. उस मामले में प्रोपर्टी पर लिए गए 3 करोड़ के बैंक लोन के लिए उसने गारंटी दी थी. उसे राजौरी गार्डन पुलिस ने 2004 में ठगी के मामले में गिरफ्तार किया था. उसने एक शख्स से 12 लाख रुपये की ठगी की थी.

इस मामले में बैंक वालों की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है, जिसको लेकर पुलिस छानबीन कर रही है. पुलिस का कहना है कि अगर किसी भी बैंक अधिकारी की मिलीभगत इस फर्जीवाड़े में पाई जाती है तो उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा.

Intro:नई दिल्ली
प्रॉपर्टी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर बैंक से करोड़ों रुपये का लोन लेने वाले एक नटवरलाल को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. आरोपी सिद्धार्थ जैन कई प्रॉपर्टी के फर्जी दस्तावेज देकर अब तक 30 करोड़ रुपये का लोन ले चुका था. इससे पहले भी सीबीआई उसे जालसाजी में चार्जशीट कर चुकी है. वह एक दशक से जालसाजी कर रहा था.


Body:डीसीपी जॉय टिर्की के अनुसार रानी बाग थाने में 77 वर्षीय लव कुमार ओझा ने ठगी का एक मामला दर्ज कराया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह सेना से सेवानिवृत्त कर्नल हैं. सरस्वती विहार में को- ऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसायटी में उनका एक प्लॉट है. लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें बुढापे में इस जमीन से बेदखल कर दिया है. यह काम किसी भूमाफिया द्वारा किया गया है. इसे लेकर रानी बाग पुलिस एफआइआर दर्ज कर जांच कर रही थी. जांच के दौरान पता चला किस प्लॉट से संबंधित फाइल भी डीडीए से गायब है. इसे लेकर वर्ष 2016 में कोटला मुबारकपुर थाने में आइपीसी की धारा 409 के तहत मामला दर्ज कराया गया था.


क्राइम ब्रांच को मिली दोनों मामलों की तफ्तीश
मार्च 2019 में रानी बाग एवं कोटला मुबारक पुर मामले की जांच दोनों क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई. एसीपी अरविंद यादव की देखरेख में इंस्पेक्टर रंजय की टीम ने छानबीन की तो पता चला कि सरस्वती विहार के इस प्लॉट का मालिक सिद्धार्थ जैन नामक शख्स खुद को बताता है. उसने इस प्लॉट पर 7 करोड़ रुपए का लोन भी ले रखा है. इसके अलावा उसने पीतमपुरा की एक प्रॉपर्टी पर भी छह करोड़ रुपए का लोन बैंक से ले लिया था. बैंक में उसने जो डीड जमा कराई वह कहीं भी रजिस्टर नहीं थी. वास्तविकता में यह दोनों प्लॉट कभी उसने खरीदे ही नहीं थे.

अब तक ले चुका था 30 करोड़ का लोन
बैंक ने सिद्धार्थ को लोन देने से पहले दस्तावेजों का ठीक से सत्यापन नहीं किया और करोड़ों रुपए का लोन जारी कर दिया. पुलिस को यह भी पता चला कि मॉडल टाउन की एक प्रॉपर्टी पर भी उसने 11 करोड़ का लोन ले रखा है. उसने कुल मिलाकर विभिन्न बैंकों के करीब 30 करोड़ का लोन ले रखा है जो चुकाने की उसकी नियत नहीं है. इन सभी फर्जीवाड़ों को ध्यान में रखते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया है. आरोपी सिद्धार्थ जैन एक कारोबारी है. वह मेटल का कारोबार करता है.





Conclusion:पहले भी हो चुका गिरफ्तार
आरोपी ने पुलिस को बताया कि वर्ष 2011 में इसी तरह की ठगी के मामले में उसे सीबीआई ने चार्जशीट किया था. उस मामले में प्रोपर्टी पर लिए गए 3 करोड़ के बैंक लोन के लिए उसने गारंटी दी थी. उसे राजौरी गार्डन पुलिस ने 2004 में ठगी के मामले में गिरफ्तार किया था. उसने एक शख्स से 12 लाख रुपये की ठगी की थी. इस मामले में बैंक वालों की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है, जिसको लेकर पुलिस छानबीन कर रही है. पुलिस का कहना है कि अगर किसी भी बैंक अधिकारी की मिलीभगत इस फर्जीवाड़े में पाई जाती है तो उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा.
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