बगदाद : तानाशाह सद्दाम हुसैन को अपदस्थ करने वाले अमेरिका नीत हमले के बाद इराक में हुए विभिन्न चुनावों के बीच इस बार रिकॉर्ड सबसे कम मतदान हुआ है. चुनाव की निगरानी करने वाले एक स्वतंत्र निकाय ने सोमवार को यह जानकारी दी. प्रारंभिक परिणाम नई संसद के लिए पिछले सप्ताहांत हुए मतदान के दौरान व्यापक असंतोष और अविश्वास की ओर इशारा करते हैं.
इराक में नागरिकों ने रविवार को संसद के लिए मतदान किया, लेकिन देश में कई युवा कार्यकताओं ने चुनाव का बहिष्कार किया. वे लोग देश में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के खिलाफ 2019 के अंत में बगदाद और देश के दक्षिणी प्रांतों की सड़कों पर उतरे थे. इन कार्यकर्ताओं ने बदलाव और नए चुनाव की मांग की थी.
'इंडिपेंटेंड हाई इलेक्ट्रोरल कमीशन' ने सोमवार को बताया कि शुरुआती परिणाम दर्शाते हैं कि रविवार को 41 प्रतिशत मतदान हुआ. इससे पहले 2018 में 44 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो देश में उस समय तक का सबसे कम मतदान था.
वर्ष 2019 के अंत में भ्रष्टाचार और बढ़ती बेरोजगारी के विरोध में हजारों लोग राजधानी बगदाद और विभिन्न शहरों में सड़कों पर उतरे थे. कुछ महीनों के प्रदर्शन के दौरान 600 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग घायल हुए थे.
अधिकारियों ने हालांकि जल्द चुनाव कराने की बात मानी, लेकिन प्रदर्शन के दौरान लोगों की मौत होने और दमनकारी कार्रवाई के कारण उन युवा कार्यकर्ताओं ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया, जिन्होंने विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था.
सोमवार को देर तक सटीक परिणाम आने की उम्मीद है, लेकिन सरकार गठन की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रधानमंत्री को चुनने संबंधी वार्ता कई सप्ताह या महीनों तक भी खिंच सकती है.
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इराक में 2003 में अमेरिका के नेतृत्व वाले हमले में सद्दाम हुसैन को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से देश में छठी बार चुनाव हो रहे हैं. युवा इराकी मतदान करने के इच्छुक नहीं दिखे. कई युवाओं का कहना है कि चुनाव के बाद भी उन्हीं पुराने चेहरे और दलों की वापसी होगी, जो इराक में दशकों से भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन करते आए हैं.
इस बार के चुनाव में 329 सीटों पर कुल 3,449 उम्मीदवार मैदान में हैं.
(पीटीआई-भाषा)