दुबई : अफगानिस्तान से हजारों नागरिकों को बाहर निकालने के अमेरिकी प्रयास में कतर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अब इस छोटे से खाड़ी देश से अफगानिस्तान का भविष्य तय करने में मदद करने की अपील की जा रही है, क्योंकि उसके रिश्ते वॉशिंगटन और तालिबान दोनों के साथ अच्छे हैं. अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर सोमवार को अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की तरफ से आयोजित बैठक में कतर पर सबकी निगाहें होंगी.
वहीं, अफगानिस्तान देश पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी लगभग पूरी कर ली है. बता दें, बैठक में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, तुर्की, यूरोपीय संघ और नाटो शामिल होंगे.
कतर से मांगी मदद
खबर है कि तालिबान ने मंगलवार तक अमेरिकी सैनिकों की वापसी पूरी होने के बाद काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तकनीकी सहयोग के लिए कतर से मदद मांगी है. हालांकि इन खबरों पर कतर के अधिकारियों ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है.
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां अफगानिस्तान में सहायता एवं समर्थन के लिए कतर से मदद मांग रही हैं.
कतर की भूमिका अप्रत्याशित थी. इसकी सीमा सऊदी अरब से लगती है और ईरान के साथ फारस की खाड़ी में इसका समुद्र के नीचे गैस क्षेत्र है और अफगानिस्तान से निकाले गए लोगों के लिए पहले इसकी भूमिका महज कुछ हजार लोगों को मार्ग देने तक मानी जा रही थी.
40 फीसदी रेस्क्यू को कतर के रास्ते
तालिबान के 15 अगस्त को काबुल पर अचानक कब्जा कर लेने के बाद अमेरिका ने वहां से हजारों लोगों को बाहर निकालने में कतर से मदद मांगी और जितने भी लोगों को बाहर निकाला गया उनमें से 40 फीसदी को कतर के रास्ते लाया गया, जिसकी वॉशिंगटन ने प्रशंसा की. अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने भी अपने कर्मचारियों को बाहर निकालने में कतर से मदद मांगी.
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1,13,500 लोगों को बाहर निकाला गया
अमेरिका ने शनिवार को कहा कि 14 अगस्त के बाद से अफगानिस्तान से 1,13,500 लोगों को बाहर निकाला गया है. कतर का कहना है कि 43 हजार से अधिक लोगों को उसके देश के रास्ते बाहर ले जाया गया.
कतर की सहायक विदेश मंत्री लोलवा अल-खातेर ने कहा कि पिछले हफ्ते कतर को इससे राजनीतिक लाभ मिला लेकिन इन बातों से इंकार किया कि कतर का प्रयास पूरी तरह रणनीतिक था.
(एपी)