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ईरान ने कहा- परमाणु समझौता अब भी बचाने लायक - अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

ईरान ने कहा कि अमेरिका द्वारा परमाणु समझौते से अलग होने के कारण 2015 में किया गया परमाणु समझौता संकट का सामना कर रहा है. जिसे अब भी बचाया जा सकता है.

हसन रुहानी
हसन रुहानी
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Published : Sep 21, 2020, 8:47 PM IST

बर्लिन : ईरान की परमाणु एजेंसी के प्रमुख अली अकबर सालेही ने कहा कि अमेरिका के एकतरफा अलग होने की वजह से ईरान और दुनिया की शक्तियों के साथ 2015 में किया गया परमाणु समझौता संकट का सामना कर रहा है, लेकिन अब भी यह बचाने योग्य है.

वियेना में आयोजित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के सम्मेलन में प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वर्ष 2018 में समझौते से अमेरिका के अलग होने के बाद कथित संयुक्त एकीकृत कार्ययोजना (जेसीपीओए) बाधित हो गई है.

उल्लेखनीय है कि करार में परमाणु कार्यक्रम सीमित करने पर ईरान को आर्थिक प्रोत्साहन देने का वादा किया गया है. अमेरिका के जाने के बाद शेष बची शक्तियां-फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, चीन और जर्मनी दोबारा लागू अमेरिकी प्रतिबंध से बचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

अन्य देशों पर दबाव बनाने के लिए ईरान करार में यूरेनियम के संवर्द्धन की सीमा आदि को नजर अंदाज कर रहा है.

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए सालेही ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे देश समस्या के समाधान का रास्ता तलाशें जो, अमेरिका के करार से गैर कानूनी तरीके से हटने की वजह से पैदा हुई है.

उन्होंने कहा कि अभी भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मोटे तौर पर सहमति है कि जेसीपीओए को बचाया जाना चाहिए.

सालेही के बोलने के बाद अमेरिकी ऊर्जा मंत्री डैन ब्राउलेटे ने करार का उल्लेख किए बिना कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया और ईरान के परमाणु कार्यक्रम से उत्पन्न खतरे का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है.

बर्लिन : ईरान की परमाणु एजेंसी के प्रमुख अली अकबर सालेही ने कहा कि अमेरिका के एकतरफा अलग होने की वजह से ईरान और दुनिया की शक्तियों के साथ 2015 में किया गया परमाणु समझौता संकट का सामना कर रहा है, लेकिन अब भी यह बचाने योग्य है.

वियेना में आयोजित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के सम्मेलन में प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वर्ष 2018 में समझौते से अमेरिका के अलग होने के बाद कथित संयुक्त एकीकृत कार्ययोजना (जेसीपीओए) बाधित हो गई है.

उल्लेखनीय है कि करार में परमाणु कार्यक्रम सीमित करने पर ईरान को आर्थिक प्रोत्साहन देने का वादा किया गया है. अमेरिका के जाने के बाद शेष बची शक्तियां-फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, चीन और जर्मनी दोबारा लागू अमेरिकी प्रतिबंध से बचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

अन्य देशों पर दबाव बनाने के लिए ईरान करार में यूरेनियम के संवर्द्धन की सीमा आदि को नजर अंदाज कर रहा है.

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए सालेही ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे देश समस्या के समाधान का रास्ता तलाशें जो, अमेरिका के करार से गैर कानूनी तरीके से हटने की वजह से पैदा हुई है.

उन्होंने कहा कि अभी भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मोटे तौर पर सहमति है कि जेसीपीओए को बचाया जाना चाहिए.

सालेही के बोलने के बाद अमेरिकी ऊर्जा मंत्री डैन ब्राउलेटे ने करार का उल्लेख किए बिना कहा कि अमेरिका उत्तर कोरिया और ईरान के परमाणु कार्यक्रम से उत्पन्न खतरे का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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