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कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने की कोशिशों को रोकने में जुटा चीन

कोरोना वायरस काे लेकर चीन पहले से ही दुनिया भर के निशाने पर है. हालांकि, चीन हमेशा इस बात से इंकार करता रहा है कि यह वायरस उनके देश से दुनिया भर में फैला है. जबकि चीन की गतिविधियां उसे बार-बार संदेह के घेरे में खड़ा करती है. हालिया जानकारी के अनुसार चीन अब कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने की कोशिशों को रोकने का काम गुप्त रूप से कर रहा है.

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Published : Dec 30, 2020, 3:54 PM IST

मोजियांग : दक्षिण चीन में घने जंगलों से घिरी घाटियों में खदानों की सुरंग है, जिसमें चमगादड़ों का जमावड़ा होता था. इन्हें अब तक ज्ञात जानकारी के मुताबिक कोविड-19 का सबसे करीबी स्रोत माना जाता है. इस इलाके को लेकर बहुत रुचि है, क्योंकि यहां पर कोरोना वायरस के स्रोत के संकेत मिल सकते हैं. जिसने दुनिया भर में 17 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है. लेकिन यह राजनीतिक संवेदनशीलता की वजह से सूचना के लिए 'ब्लैक होल' बन गया है.

चमगादड़ों पर अनुंसधान करने वाली टीम हाल में यहां पहुंची थी, लेकिन उनके द्वारा एकत्र नमूनों को जब्त कर लिया गया. यह जानकारी मामले की सूचना रखने वाले दो लोगों ने दी है. नवंबर के आखिर में एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकारों का सादे कपड़ों में पुलिस ने कई कारों से पीछा किया और इस इलाके में जाने से रोक दिया. उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस से इंसानों के संक्रमित होने की पहली घटना आने के एक साल पूरे होने को है. ऐसे में एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की जांच दिखाती है कि चीन की सरकार इस वायरस के स्रोत से जुड़े सभी अनुसंधानों पर कड़ाई से नियंत्रण कर रही है.

जानकारी पर चीन का पहरा

चीन उन अनुषांगी सिद्धांतों को प्रोत्साहित कर रहा है, जिसमें वायरस की उत्पत्ति कहीं बाहर होने की बात कही गई है. एपी को मिले गोपनीय दस्तावेजों के मुताबिक सरकार वैज्ञानिकों के अनुंसधान की निगरानी कर रही है और यह अनिवार्य कर रही है कि अनुंसधान पत्रों को प्रकाशित करने से पहले राष्ट्रपति शी चिनजिंग के अधीन कार्यरत कैबिनेट द्वारा प्रबंधित नए कार्यबल से उन्हें अनुमोदित कराया जाए. सरकार के भीतर से दस्तावेजों के लीक होने की दुर्लभ घटना के तहत दर्जनों अप्रकाशित दस्तावेज सामने आए जो लंबे समय से जताई जा रहीं आशंकाओं की कथित तौर पर पुष्टि करते हैं. यह कठोर नीति शीर्ष से लागू की जा रही है.

अप्रकाशित दस्तावेज बना रिपोर्ट का आधार

एपी की जांच चीनी और विदेशी वैज्ञानिकों व अधिकारियों के साक्षात्कार के अलावा, सार्वजनिक नोटिस, लीक हुए ई-मेल, चीन की राज्य परिषद और चीन के रोग नियंत्रण एवं उन्मूलन केंद्र (सीडीसी) के अप्रकाशित दस्तावेजों पर आधारित है. इससे खुलासा होता है कि महामारी की अवधि में सरकार की गोपनीयता एवं शीर्ष से नियंत्रण की परिपाटी रही. पहचान गोपनीय रखते हुए सीडीसी में कार्यरत एक विशेषज्ञ ने बताया कि वे कुछ लोगों को ही चुनते हैं, जिन पर भरोसा कर सकते हैं व जिन्हें वे नियंत्रित कर सकें.

विदेश मंत्रालय का क्या तर्क

चीन के विदेश मंत्रालय ने फैक्स के जरिये कहा कि नोवेल कोरोना वायरस दुनिया के कई हिस्से में मिले हैं और वैश्विक आधार पर अनुसंधान किया जाना चाहिए.

मोजियांग : दक्षिण चीन में घने जंगलों से घिरी घाटियों में खदानों की सुरंग है, जिसमें चमगादड़ों का जमावड़ा होता था. इन्हें अब तक ज्ञात जानकारी के मुताबिक कोविड-19 का सबसे करीबी स्रोत माना जाता है. इस इलाके को लेकर बहुत रुचि है, क्योंकि यहां पर कोरोना वायरस के स्रोत के संकेत मिल सकते हैं. जिसने दुनिया भर में 17 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है. लेकिन यह राजनीतिक संवेदनशीलता की वजह से सूचना के लिए 'ब्लैक होल' बन गया है.

चमगादड़ों पर अनुंसधान करने वाली टीम हाल में यहां पहुंची थी, लेकिन उनके द्वारा एकत्र नमूनों को जब्त कर लिया गया. यह जानकारी मामले की सूचना रखने वाले दो लोगों ने दी है. नवंबर के आखिर में एसोसिएटेड प्रेस के पत्रकारों का सादे कपड़ों में पुलिस ने कई कारों से पीछा किया और इस इलाके में जाने से रोक दिया. उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस से इंसानों के संक्रमित होने की पहली घटना आने के एक साल पूरे होने को है. ऐसे में एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की जांच दिखाती है कि चीन की सरकार इस वायरस के स्रोत से जुड़े सभी अनुसंधानों पर कड़ाई से नियंत्रण कर रही है.

जानकारी पर चीन का पहरा

चीन उन अनुषांगी सिद्धांतों को प्रोत्साहित कर रहा है, जिसमें वायरस की उत्पत्ति कहीं बाहर होने की बात कही गई है. एपी को मिले गोपनीय दस्तावेजों के मुताबिक सरकार वैज्ञानिकों के अनुंसधान की निगरानी कर रही है और यह अनिवार्य कर रही है कि अनुंसधान पत्रों को प्रकाशित करने से पहले राष्ट्रपति शी चिनजिंग के अधीन कार्यरत कैबिनेट द्वारा प्रबंधित नए कार्यबल से उन्हें अनुमोदित कराया जाए. सरकार के भीतर से दस्तावेजों के लीक होने की दुर्लभ घटना के तहत दर्जनों अप्रकाशित दस्तावेज सामने आए जो लंबे समय से जताई जा रहीं आशंकाओं की कथित तौर पर पुष्टि करते हैं. यह कठोर नीति शीर्ष से लागू की जा रही है.

अप्रकाशित दस्तावेज बना रिपोर्ट का आधार

एपी की जांच चीनी और विदेशी वैज्ञानिकों व अधिकारियों के साक्षात्कार के अलावा, सार्वजनिक नोटिस, लीक हुए ई-मेल, चीन की राज्य परिषद और चीन के रोग नियंत्रण एवं उन्मूलन केंद्र (सीडीसी) के अप्रकाशित दस्तावेजों पर आधारित है. इससे खुलासा होता है कि महामारी की अवधि में सरकार की गोपनीयता एवं शीर्ष से नियंत्रण की परिपाटी रही. पहचान गोपनीय रखते हुए सीडीसी में कार्यरत एक विशेषज्ञ ने बताया कि वे कुछ लोगों को ही चुनते हैं, जिन पर भरोसा कर सकते हैं व जिन्हें वे नियंत्रित कर सकें.

विदेश मंत्रालय का क्या तर्क

चीन के विदेश मंत्रालय ने फैक्स के जरिये कहा कि नोवेल कोरोना वायरस दुनिया के कई हिस्से में मिले हैं और वैश्विक आधार पर अनुसंधान किया जाना चाहिए.

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