वाशिंगटन: अमेरिका में प्रतिनिधि सभा (House Of Representatives) और सीनेट (Senate Election) के नवंबर में होने वाले चुनाव के मद्देनजर संघीय अधिकारियों (federal authorities) ने आगाह किया है कि रूस देश के चुनावों की अखंडता के बारे में संदेह बढ़ाने पर काम कर रहा है जबकि चीन भी इसमें हस्तक्षेप की कोशिश कर रहा है. ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ द्वारा हाल में हासिल एक खुफिया परामर्श रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ऐसे उम्मीदवारों को रोकने के लिए कुछ चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है, जिन्हें वह खासतौर से बीजिंग के प्रतिकूल मानता है.
सिंतबर में राज्यों तथा स्थानीय अधिकारियों को भेजे गए परामर्श में खुफिया अधिकारियों ने कहा कि उनका मानना है कि बीजिंग राष्ट्रपति चुनाव के बजाय मध्यावधि चुनावों में हस्तक्षेप करने को कम खतरे के तौर पर देखता है. बहरहाल, अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने अमेरिका में चुनावी बुनियादी ढांचे पर कोई पुष्ट खतरे की पहचान नहीं की है. खुफिया अधिकारियों ने यह चेतावनी ऐसे समय में दी है जब मध्यावधि चुनाव के लिए प्रचार अभियान चरम पर है.
कई उम्मीदवारों तथा मतदाताओं ने खुले तौर पर देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में विश्वास की कमी जतायी है. रूस पर अमेरिका के 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप है. उसके बाद से ही अमेरिकी सरकार चौकन्ना रही है और उसने अमेरिका की राजनीति में दखल देने की रूस, चीन तथा ईरान की कोशिशों को लेकर बार-बार चेतावनी दी है.
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संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को नाम न बताने की शर्त पर बताया कि रूस अमेरिकी चुनावों की अखंडता के बारे में संदेह समेत इंटरनेट पर पहले ही प्रसारित हो रहे विभाजनकारी मुद्दों को फैला रहा है, लेकिन वह अपनी तरफ से खुद कोई नयी सामग्री नहीं बना रहा है. अधिकारी ने बताया कि चीन के प्रयास चुनावी परिणामों के बजाय राज्य तथा स्थानीय स्तर पर नीतिगत दृष्टिकोणों को आकार देने पर अधिक केंद्रित हैं.
उन्होंने कहा कि चीन का ध्यान अमेरिका में ऐसे उम्मीदवारों पर केंद्रित है, जिन्हें वह अपने नीतिगत हितों के खिलाफ मानता है. हालांकि, चीन और रूस के अधिकारी चुनावों में हस्तक्षेप के अमेरिका के आरोपों को खारिज करते रहे हैं तथा इसके बजाय वे अमेरिका पर अन्य देशों में दखल देने का आरोप लगाते हैं.