कोलंबो : अमेरिका ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ संघर्ष के दौरान मानवाधिकारों के 'गंभीर उल्लंघन' के लिए श्रीलंकाई नौसेना के पूर्व शीर्ष कमांडर वसंत कर्णनगोड़ा पर प्रतिबंध लगा दिया है. श्रीलंका ने अमेरिका के इस कदम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे एकतरफा कार्रवाई करार देते हुए कहा कि इसके प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं. वर्ष 2005 से 2009 तक नौसेना के कमांडर रहे कर्णनगोड़ा (70) पिछले तीन वर्षों में श्रीलंका के दूसरे ऐसे शीर्ष सैन्य अधिकारी हैं, जिन्हें अमेरिका ने लिट्टे से युद्ध के दौरान मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के लिए प्रतिबंधित किया है.
इससे पहले, अमेरिकी विदेश विभाग ने 2020 में श्रीलंका के मौजूद रक्षा प्रमुख (सीडीएस) जनरल शवेंद्र सिल्वा पर प्रतिबंध लगाया था. सिल्वा लिट्टे के खिलाफ अंतिम लड़ाई के दौरान सेना के मंडल प्रमुख थे और बाद में उन्हें कमांडर बनाया गया था. कर्णनगोड़ा ने 2009 में लिट्टे के खात्मे के लिए हुई अंतिम लड़ाई में मोर्चा संभाला था. उन्हें बाद में जापान में श्रीलंका का राजदूत नियुक्त कर दिया गया था.
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, “अमेरिकी विदेश विभाग ने श्रीलंका के पूर्व नौसेना कमांडर वसंत कर्णनगोड़ा को मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. अमेरिका श्रीलंकाई गृहयुद्ध के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करना जारी रखेगा.” अमेरिका के कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए श्रीलंका ने कहा है कि वाशिंगटन द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर इस तरह की एकतरफा कार्रवाई करने के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं.
श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “लंबे समय से श्रीलंका के द्विपक्षीय साझेदार अमेरिका द्वारा उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना इस तरह की एकतरफा कार्रवाई करना उस समग्र दृष्टिकोण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, जिसका इस्तेमाल श्रीलंका ने राष्ट्रीय एकता और सुलह के मुद्दे से निपटने के लिए किया है.” बयान में कहा गया है, “विदेश मंत्री अली सबरी ने अमेरिकी राजदूत जूली चुंग को इस फैसले से जुड़ी श्रीलंका की गंभीर चिंताओं से अवगत कराया है.”
(पीटीआई-भाषा)