संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने शहीद हुए शांतिरक्षकों के सम्मान में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक स्मारक दीवार स्थापित करने के लिए भारत द्वारा लाए गए मसौदा प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने बुधवार को यूएनजीए में ‘संयुक्त राष्ट्र के शहीद शांति सैनिकों के लिए स्मारक दीवार’ नामक मसौदा प्रस्ताव पेश किया। विश्व निकाय के लगभग 190 सदस्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित इस प्रस्ताव को ऐसे समय में पारित किया गया है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अगले सप्ताह अमेरिका की अपनी पहली आधिकारिक राजकीय यात्रा पर जाने वाले हैं.
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🚨 PRESS RELEASE 📢
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) June 15, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
The @UN General Assembly adopts a Resolution for a Memorial Wall, paying homage to fallen Peacekeepers. With support from 190 out of 193 member states, this solemn tribute will stand as a lasting symbol of gratitude & remembrance.
📖: https://t.co/Yt3oUqu4pA pic.twitter.com/QpWMkHtJd4
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The @UN General Assembly adopts a Resolution for a Memorial Wall, paying homage to fallen Peacekeepers. With support from 190 out of 193 member states, this solemn tribute will stand as a lasting symbol of gratitude & remembrance.
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The @UN General Assembly adopts a Resolution for a Memorial Wall, paying homage to fallen Peacekeepers. With support from 190 out of 193 member states, this solemn tribute will stand as a lasting symbol of gratitude & remembrance.
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इस दौरान, वह 21 जून को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस समारोह में भी हिस्सा लेंगे. प्रस्ताव में कि न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक उपयुक्त एवं महत्वपूर्ण स्थान पर, शहीद शांतिरक्षकों की याद में स्मारक दीवार स्थापित करने और उससे जुड़ी प्रक्रिया पर विचार करने की सदस्य देशों की पहल का स्वागत किया गया है, जिसमें सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के नाम दर्ज करना भी शामिल है.
उन्होंने कहा कि यह स्मारक दीवार लोगों को न सिर्फ शहीदों के बलिदान की याद दिलाएगी, बल्कि 'हमारे फैसलों के लिए चुकाई गई असली कीमत का लगातार स्मरण भी कराएगी.' भारत मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में तीसरा सबसे ज्यादा योगदान देने वाला देश है. अबेई, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, साइप्रस, कांगो गणराज्य, लेबनान, खाड़ी क्षेत्र और पश्चिमी सहारा में भारत के 6,000 से अधिक सैनिक और पुलिस कर्मी संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों का हिस्सा हैं. शांति अभियानों के दौरान अब तक 177 भारतीय शांतिरक्षक सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं. शहीद शांतिरक्षकों की यह संख्या किसी भी अन्य देश के मुकाबले अधिक है.
कंबोज ने कहा कि शांतिरक्षक पैदा नहीं होते. वे बलिदान की वेदी पर गढ़े जाते हैं. उनकी अटूट प्रतिबद्धता और निस्वार्थ कार्य एक ऐसे विश्व के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं, जहां युद्ध पर शांति की जीत होनी चाहिए. यूएनजीए में भारत, बांग्लादेश, कनाडा, चीन, डेनमार्क, मिस्र, फ्रांस, इंडोनेशिया, जॉर्डन, नेपाल, रवांडा और अमेरिका सहित 18 देशों ने यह प्रस्ताव पेश किया था. इसमें प्रस्ताव का मसौदा अपनाए जाने के तीन साल के भीतर स्मारक दीवार का निर्माण पूरा किए जाने का प्रावधान किया गया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत द्वारा पेश प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए सभी सदस्य देशों का आभार जताया. उन्होंने ट्वीट किया कि मुझे खुशी है कि शहीद शांतिरक्षकों के लिए एक नयी स्मारक दीवार स्थापित करने संबंधी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित हो गया है. प्रस्ताव को रिकॉर्ड 190 देशों ने सह-प्रायोजित किया. समर्थन के लिए सभी का आभारी हूं. वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करने वाले सभी सदस्य देशों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव, जिसे रिकॉर्ड 190 देशों ने सह-प्रायोजित किया, भारत के योगदान और मंशा में दुनिया के विश्वास का प्रमाण है.
इससे पहले, 2015 में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने शांति अभियानों के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय शांतिरक्षकों के सम्मान में एक वर्चुअल स्मारक दीवार पेश करते हुए ऐसी भौतिक दीवार बनाने का भी प्रस्ताव दिया था. भारत ने कहा था कि वह इस तरह की परियोजना के लिए भौतिक और वैचारिक रूप से योगदान देने के लिए तैयार है. भारत की पहल ने आगे चलकर ऐसी स्मारक दीवार के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया.
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नयी स्मारक दीवार पर सदस्य देशों के उन सभी शांतिरक्षकों के नाम अंकित होंगे, जिन्होंने 1948 से लेकर अब तक संयुक्त राष्ट्र के नीले झंडे के तहत दुनिया के विभिन्न संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में संचालित शांति अभियानों के दौरान विश्व निकाय के मूल्यों की रक्षा करते हुए अपनी जान गंवा दी.