इस्लामाबाद : इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान (ousted prime minister Imran Khan) और उनकी पत्नी बुशरा बीबी की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिन्हें राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की ओर से तोशखाना भ्रष्टाचार मामले में जारी 'कॉल-अप' नोटिस के खिलाफ दायर किया गया था.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आमरे फारूक और न्यायमूर्ति बाबर सत्तार की दो सदस्यीय पीठ ने गुरुवार को याचिकाओं को निष्प्रभावी घोषित कर दिया. यह जानकारी 'न्यूज इंटरनेशनल' ने दी.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के प्रमुख इमरान तोशाखाना नामक राजकीय भंडारगृह से रियायती मूल्य पर उपहार खरीदने (इसमें उस महंगी ग्रेफ कलाई घड़ी की खरीद शामिल है जिसे उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में प्राप्त किया था) और फिर लाभ लेकर उन्हें बेचने के आरोपों को लेकर निशाने पर रहे हैं.
खरीदे गए उपहारों की बिक्री का ब्योरा नहीं देने पर पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने पिछले साल अक्टूबर में इमरान को अयोग्य ठहराया था. चुनाव निकाय ने इसके बाद जिला अदालत में एक शिकायत दर्ज कराई ताकि उन्हें आपराधिक कानून के तहत दंडित किया जा सके. हालांकि, खान इन आरोपों को सख्ती से खारिज करते रहे हैं.
एनएबी ने 70 वर्षीय खान और बुशरा बीबी की याचिकाओं के जवाब में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने 17 फरवरी और 16 मार्च के नोटिस को चुनौती दी थी, जबकि ब्यूरो ने उन्हें तीसरा 'कॉल-अप' नोटिस भी भेजा था. एनएबी के वकील ने तर्क दिया कि नए नोटिस के बाद पहले दो नोटिस के खिलाफ अर्जी निष्प्रभावी हो गई है.
जवाबदेही निगरानी संस्था को संशोधित कानून के अनुसार खान और उनकी पत्नी के खिलाफ अपनी जांच जारी रखने का निर्देश देते हुए, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आमेर फारूक ने कहा कि अदालत एनएबी को कार्रवाई करने और जांच करने से नहीं रोक सकती है.
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(पीटीआई-भाषा)