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Sri Lanka economic crisis: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की सत्ता पर पकड़ हुई कमजोर

श्रीलंका में भीषण आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार भी संकट में पड़ सकती है. गोटाबाया की पार्टी श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना के कुछ सांसद असंतुष्ट दिख रहे हैं. का दामन छोड़ सकते हैं. सूत्रों का कहना है कि 50 से 60 सदस्य पार्टी से अलग हो सकते हैं. अगर ऐसा होता है कि गोटबाया सरकार गिर सकती है.

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: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे
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Published : Apr 5, 2022, 2:42 PM IST

कोलंबो : श्रीलंका की संसद में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को हासिल बहुमत खतरे में पड़ गया है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की अगुवाई में असंतुष्ट सांसद सरकार से हटने की योजना बना रहे हैं. श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. आर्थिक संकट के कारण लोग घंटों बिजली की कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करने को मजबूर हैं.

राष्ट्रपति द्वारा पिछले सप्ताह आपातकाल की घोषणा किए जाने के बाद देश की 225 सदस्यीय संसद मंगलवार को अपने पहले सत्र का कामकाज शुरू करेगी. पार्टी सूत्रों ने सोमवार को राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा कि पूर्व राष्ट्रपति सिरीसेना की अगुवाई में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के असंतुष्ट सांसद सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (sri lanka podujana peramuna) गठबंधन का दामन छोड़ सकते हैं. उन्होंने बताया कि पार्टी के 14 सांसद यह कदम उठा सकते हैं.

असंतुष्ट सांसद उदय गमनपिला ने सोमवार को कहा कि सरकारी बजट पर मतदान के दौरान गठबंधन के पास 225 सांसदों में से 157 का समर्थन था, लेकिन अब 50 से 60 सदस्य इससे अलग होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप गोटबाया की सरकार न सिर्फ दो-तिहाई बहुमत खो देगी, बल्कि सामान्य बहुमत जो 113 है, उसे भी गंवा देगी.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका के राष्ट्रपति ने अपने भाई और वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे को बर्खास्त किया

गौरतलब है कि विदेशी मुद्रा संकट और भुगतान संतुलन के मुद्दों से उत्पन्न आर्थिक स्थिति से निपटने में अक्षम रहने के कारण सत्तारूढ़ राजपक्षे परिवार के खिलाफ देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. जनता सड़कों पर उमड़ रही है और राष्ट्रपति से इस्तीफा मांग रही है. राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल लगाने की घोषणा किए जाने के बाद विरोध-प्रदर्शनों के मद्देनजर देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

कोलंबो : श्रीलंका की संसद में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को हासिल बहुमत खतरे में पड़ गया है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की अगुवाई में असंतुष्ट सांसद सरकार से हटने की योजना बना रहे हैं. श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. आर्थिक संकट के कारण लोग घंटों बिजली की कटौती और आवश्यक वस्तुओं की कमी का सामना करने को मजबूर हैं.

राष्ट्रपति द्वारा पिछले सप्ताह आपातकाल की घोषणा किए जाने के बाद देश की 225 सदस्यीय संसद मंगलवार को अपने पहले सत्र का कामकाज शुरू करेगी. पार्टी सूत्रों ने सोमवार को राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कहा कि पूर्व राष्ट्रपति सिरीसेना की अगुवाई में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के असंतुष्ट सांसद सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (sri lanka podujana peramuna) गठबंधन का दामन छोड़ सकते हैं. उन्होंने बताया कि पार्टी के 14 सांसद यह कदम उठा सकते हैं.

असंतुष्ट सांसद उदय गमनपिला ने सोमवार को कहा कि सरकारी बजट पर मतदान के दौरान गठबंधन के पास 225 सांसदों में से 157 का समर्थन था, लेकिन अब 50 से 60 सदस्य इससे अलग होने वाले हैं. उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप गोटबाया की सरकार न सिर्फ दो-तिहाई बहुमत खो देगी, बल्कि सामान्य बहुमत जो 113 है, उसे भी गंवा देगी.

यह भी पढ़ें- श्रीलंका के राष्ट्रपति ने अपने भाई और वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे को बर्खास्त किया

गौरतलब है कि विदेशी मुद्रा संकट और भुगतान संतुलन के मुद्दों से उत्पन्न आर्थिक स्थिति से निपटने में अक्षम रहने के कारण सत्तारूढ़ राजपक्षे परिवार के खिलाफ देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. जनता सड़कों पर उमड़ रही है और राष्ट्रपति से इस्तीफा मांग रही है. राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल लगाने की घोषणा किए जाने के बाद विरोध-प्रदर्शनों के मद्देनजर देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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