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श्रीलंका आर्थिक संकट : भारत ने चेन ग्लोरी शिप से 11,000 मीट्रिक टन चावल कोलंबो भेजा

श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. देश में जरूरी दवाओं, ईंधन, बिजली आदि की भारी कमी हो गई है.

sri lanka economic crisis
श्रीलंका आर्थिक संकट
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Published : Apr 12, 2022, 12:26 PM IST

कोलंबो : श्रीलंका भयावह आर्थिक संकट से जूझ रहा है. ऐसे में भारत ने पड़ोसी होने के साथ-साथ मानवीय आधार पर श्रीलंका की मदद की है. भारत ने 11,000 मीट्रिक टन चावल भेजे हैं. मंगलवार को चेन ग्लोरी जहाज चावल लेकर कोलंबो पहुंचा. श्रीलंका में भारतीय दूतावास ने यह जानकारी दी. पिछले सप्ताह ही भारत द्वारा श्रीलंका को 16,000 मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति की गई थी. भारतीय दूतावास ने कहा कि दो देशों के बीच विशेष बंधन को चिह्नित करने वाली ये आपूर्ति जारी रहेगी.

बता दें, साल 1948 में आजाद होने के बाद श्रीलंका पहली बार इतने गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. श्रीलंका जरूरी दवाओं, ईंधन, बिजली आदि की भारी कमी से जूझ रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका की इस आर्थिक त्रासदी की जिम्मेदार खुद सरकार है, जिसने ऐसे फैसलों की झड़ी लगा दी, जो देश के आर्थिक हित में नहीं थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम है कि विदेशी कर्ज का भुगतान करना असंभव हो गया है. आर्थिक संकट के कारण महंगाई चरम पर पहुंच गयी है, ईंधन का आयात नहीं किया जा सकता है क्योंकि सरकार के पास आयात बिल चुकाने के लायक विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है.

कोलंबो : श्रीलंका भयावह आर्थिक संकट से जूझ रहा है. ऐसे में भारत ने पड़ोसी होने के साथ-साथ मानवीय आधार पर श्रीलंका की मदद की है. भारत ने 11,000 मीट्रिक टन चावल भेजे हैं. मंगलवार को चेन ग्लोरी जहाज चावल लेकर कोलंबो पहुंचा. श्रीलंका में भारतीय दूतावास ने यह जानकारी दी. पिछले सप्ताह ही भारत द्वारा श्रीलंका को 16,000 मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति की गई थी. भारतीय दूतावास ने कहा कि दो देशों के बीच विशेष बंधन को चिह्नित करने वाली ये आपूर्ति जारी रहेगी.

बता दें, साल 1948 में आजाद होने के बाद श्रीलंका पहली बार इतने गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. श्रीलंका जरूरी दवाओं, ईंधन, बिजली आदि की भारी कमी से जूझ रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका की इस आर्थिक त्रासदी की जिम्मेदार खुद सरकार है, जिसने ऐसे फैसलों की झड़ी लगा दी, जो देश के आर्थिक हित में नहीं थे. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम है कि विदेशी कर्ज का भुगतान करना असंभव हो गया है. आर्थिक संकट के कारण महंगाई चरम पर पहुंच गयी है, ईंधन का आयात नहीं किया जा सकता है क्योंकि सरकार के पास आयात बिल चुकाने के लायक विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है.

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