इस्लामाबाद (पाकिस्तान) : पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में निश्तार अस्पताल की छत पर शवों की बरामदगी पर बलूच समर्थक समूहों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है. कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि संदिग्ध परिस्थितियों में सैकड़ों शव बरामद किए गए, जो दर्शाता है कि वे लोग बलूच गायब हुए व्यक्ति हैं. बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि मुल्तान अस्पताल की छत पर मिले शव और शवों की स्थिति उन्हें चिंतित करती है.
प्रवक्ता ने कहा कि यह खबर सोशल मीडिया पर भीषण वीडियो और तस्वीरों के साथ वायरल हुई कि करीब पांच सौ अज्ञात क्षत-विक्षत शव मिले हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें अमानवीय तरीके से छत पर फेंका गया, जिनका मांस गिद्ध और कौवे खा रहे थे. इन शवों की पहचान पंजाब के मुख्यमंत्री के सलाहकार तारिक गुर्जर ने की थी. इसके बावजूद पाकिस्तानी मीडिया ने इस खबर को दबा दिया है. इससे यह भी पता चलता है कि यह हकीकत पाकिस्तानी संस्थानों के खिलाफ है इसलिए इस खबर को मीडिया में छुपाया जा रहा है.
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प्रवक्ता ने कहा कि इस महीने में, पंजाब में 168 अज्ञात लोगों के शव पाए गए. जिन्हें अज्ञात व्यक्ति घोषित किया गया और सर्वसम्मति से दफनाया गया. बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) के प्रमुख अल्लाह नजर बलूच ने सैकड़ों शवों की बरामदगी को एक बड़ी त्रासदी बताया और संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार एजेंसियों से भीषण घटना पर तत्काल संज्ञान लेने का आग्रह किया. उन्होंने मांग की कि मुल्तान को एक तथ्य-खोज मिशन भेजा जाना चाहिए.
उन्होंने आरोप लगाया कि पहले पाक सुरक्षा बल बलूच लोगों के शवों को अगवा कर बलूचिस्तान के विभिन्न शहरों में फेंक देते थे. बीएलएफ प्रमुख ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने क्रूरता और बर्बरता की सारी हदें पार कर दी हैं. अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपनी चुप्पी तोड़े और व्यावहारिक कदम उठाए. उन्होंने कहा कि एक ही जगह से सैकड़ों मानव लाशों की बरामदगी उन लोगों के मुंह पर एक बड़ा तमाचा है जो पाकिस्तान की संसदीय राजनीति को बलूच लोगों के अधिकारों की गारंटी मानते हैं.
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उन्होंने कहा कि कोई सोच भी नहीं सकता कि इस आधुनिक युग में इतनी बड़ी संख्या में मानव शरीर को छोड़ दिया जाता है और राज्य अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त रहता है. हालांकि पाकिस्तान में यह सब दिनदहाड़े हो रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे दमन और बर्बरता से छुटकारा पाने के लिए राजनीतिक संघर्ष ही एकमात्र विकल्प है.
(एएनआई)