वाशिंगटन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी इंडोनेशियाई समकक्ष मुलानी इंद्रावती से मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमति जताई. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने दोनों नेताओं की शुक्रवार को हुई बैठक के बाद बताया कि इंद्रावती ने जी20 में भारत की अध्यक्षता को अपना समर्थन दिया. बाजार की उभरती विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमति जताई. इंडोनेशिया पिछले साल जी20 का अध्यक्ष था. दोनों नेता अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की बैठकों में भाग लेने के लिए यहां आई हुई हैं.
विश्व बैंक द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'मेकिंग इट पर्सनल: हाउ बिहेवियरल चेंज कैन टैकल क्लाइमेट चेंज' पर पैनल चर्चा के दौरान सीतारमण ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें रोजमर्रा की जिंदगी में मार रही है. सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई, लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (LiFE) पहल का उद्देश्य पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थायी जीवन शैली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है. वित्त मंत्री ने कहा कि आपको इसके बारे में और अधिक लोगों से बात करने की आवश्यकता है, अधिक प्रभावशाली लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं.
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सीतारमण ने डीपीआई (डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर) पर भी विस्तार से बात की. यह रेखांकित करते हुए कि कैसे भारत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान नवीन तरीकों के माध्यम से लक्षित त्वरित, कुशल और समावेशी सेवा वितरण में अपना योगदान देखा है. वाशिंगटन में डीपीआई पर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र एक साथ कैसे काम कर सकते हैं, इस पर आईएमएफ द्वारा आयोजित 'इंडियाज डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर-स्टैकिंग अप द बेनिफिट्स' में एक मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए सीतारमण ने कहा कि कई व्यापक आर्थिक और महामारी संबंधी कठिनाइयों के कारण वर्तमान समय में सुलभ उदाहरण सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों को लाभान्वित करने के लिए DPI की क्षमता को प्रदर्शित करते हैं.
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केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने मुख्य भाषण के दौरान कहा कि जैसा कि हम मैक्रोइकॉनॉमिक्स और महामारी से संबंधित कई चुनौतियों से निपट रहे हैं. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में योगदान करने के लिए डीपीआई की क्षमता बहुत बड़ी है और कठिन समय में भी देश के विकास पथ को बदल सकती है.
(पीटीआई-भाषा)