बैंकाक: म्यांमार के सैन्य शासन ने देश के एक गांव पर घातक हवाई हमले की पुष्टि की है. सैन्य शासन प्रवक्ता ज़ॉ मिन तुन ने मंगलवार देर रात पुष्टि इसकी की. पाजीगी गांव में सुबह करीब 8 बजे पीपुल्स डिफेंस फोर्स कार्यालय उद्घाटन समारोह था. उन्होंने कहा कि मृतकों में से कुछ वर्दी में तख्तापलट विरोधी लड़ाके थे. प्रवक्ता ने कहा, 'हमें जो जमीनी जानकारी मिली है, उसके मुताबिक लोग हमारे हमले में नहीं मारे गए हैं.
उस क्षेत्र के आसपास पीडीएफ द्वारा कुछ बारूदी सुरंगें लगाई गई थीं,' हवाई हमले के कारण बारूदी सुरंगों में विस्फोट हुआ जिसके कारण उनकी मौत हुई. स्थानीय लोकतंत्र समर्थक समूह और स्वतंत्र मीडिया के एक सदस्य, ने कहा कि म्यांमार की सेना के हवाई हमलों में कई बच्चों सहित 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. सेना के शासन के विरोधियों द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान किया यह हमला किया गया.
संयुक्त राष्ट्र के अधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने मंगलवार को कहा कि वह घातक हवाई हमलों से भयभीत हैं. पीड़ितों में नृत्य करने वाले स्कूली बच्चे शामिल थे. वैश्विक निकाय ने उन लोगों को न्याय दिलाने के लिए कहा है. 2021 में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से यह सैन्य शासन का सबसे घातक हमला था. जैसे-जैसे प्रतिरोध बल बेहतर हथियारों के साथ मजबूत होते हैं सेना हवाई हमले करके और नागरिकों को निशाना बनाने की अपनी रणनीति को दोगुना करती है. सागैंग क्षेत्र में हुए हमले में मरने वालों में कम से कम 30 बच्चे शामिल हैं.
सोशल मीडिया पर साझा की जा रही गाँव की तस्वीरों में एक दर्जन से अधिक जले हुए और क्षत-विक्षत शव दिखाई दे रहे हैं, जबकि वीडियो में एक नष्ट इमारत, जली हुई मोटरसाइकिलें और एक विस्तृत क्षेत्र में बिखरा हुआ मलबा दिखाई दे रहा है. घटनास्थल पर बचावकर्मियों ने इन तस्वीरों की प्रामाणिकता की पुष्टि की.हमलों का स्पष्ट लक्ष्य स्थानीय प्रतिरोध आंदोलन द्वारा एक ऑफिस खोलने का उत्सव था. हवाई हमलों के बाद इमारत का केवल जला हुआ स्तंभ खड़ा देखा गया. म्यांमार की सेना ने 1948 में स्वतंत्रता के तुरंत बाद क्षेत्रीय नियंत्रण के लिए संघर्ष किया. नागरिकों पर घातक हमलों का एक लंबा इतिहास रहा है. तख्तापलट के बाद से लोकतंत्र-समर्थक ताकतें सेना को सत्ता से बेदखल करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान में शामिल हुई. इससे सेना का सामना करने वाला प्रतिरोध आंदोलन बन गया.
(एएनआई)