कराची: पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ का पार्थिव शरीर दुबई से एक विशेष विमान सोमवार को यहां लाया गया. आज मंगलवार को सेना के छावनी इलाके में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा, जहां सभी इंतजाम कर लिए गए हैं. अधिकारियों ने यह जानकारी दी है. लंबी बीमारी के बाद दुबई के एक अस्पताल में रविवार को मुशर्रफ का निधन हो गया. वह 79 वर्ष के थे. वह 2016 से यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) में रह रहे थे और अमेरिकन हॉस्पिटल में इलाज करा रहे थे.
मुशर्रफ की पत्नी सबा, बेटा बिलाल, बेटी और अन्य करीबी रिश्तेदार माल्टा विमानन कंपनी के विशेष एयरबस 319 विमान से पार्थिव शरीर लेकर यहां पहुंचे. इस विमान की व्यवस्था संयुक्त अरब अमीरात के प्राधिकारियों ने की थी. अधिकारियों ने बताया कि विमान भारी सुरक्षा के बीच जिन्ना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पुराने टर्मिनल इलाके में उतरा और पार्थिव शरीर को मालिर छावनी इलाके में ले जाया गया. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि मालिर कैंट में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं, जहां उन्हें कराची के ओल्ड आर्मी कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.
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Funeral prayer of former president to be held in the port city tomorrow afternoon
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मगरीब की नमाज मालिर कैंट के गुलमोहर पोलो ग्राउंड में अदा की जाएगी. पूर्व सैन्य तानाशाह का पार्थिव शरीर सोमवार दोपहर कराची हवाई अड्डा लाये जाने का कार्यक्रम था, लेकिन विमान की उपलब्धता में विलंब होने और यूएई स्थित पाकिस्तानी दूतावास तथा पाकिस्तान सरकार के बीच कुछ दस्तावेजी एवं अनापत्ति प्रमाणपत्र की प्रक्रियाओं के चलते मुशर्रफ के पार्थिव शरीर को लाये जाने में देर हुई है.
मुशर्रफ की मां को दुबई में, जबकि उनके पिता को कराची में दफन किया गया था. अधिकारी ने कहा, 'यूएई में हमारा दूतावास उनके परिवार से संपर्क में है.' सेवानिवृत्ति के बाद मुशर्रफ द्वारा गठित ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सूचना सचिव ताहिर हुसैन ने कहा कि सभी इंतजाम कर लिये गये हैं.
मुशर्रफ ने 1999 में तख्तापलट कर तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अपदस्थ कर दिया था. वह 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहे. उनका जन्म 1943 में दिल्ली में हुआ था और 1947 में उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था. वह पाकिस्तान पर शासन करने वाले अंतिम सैन्य तानाशाह थे.
'फातिहा' पढ़ने को लेकर पाकिस्तानी सीनेट में हंगामा: पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को श्रद्धांजलि देने को लेकर सोमवार को सीनेट में नेताओं के बीच मतभेद सामने आ गया. दरअसल, पाकिस्तानी संसद में परंपरा है कि देश के किसी जानेमाने नेता या व्यक्ति की मृत्यु होने पर संसद में ‘फातिहा’ पढ़ा जाता है.
सोमवार को जब मुशर्रफ के लिए फातिहा पढ़ने की बात आयी तो संसद के ऊपरी सदन सीनेट के सदस्यों ने एक-दूसरे पर संविधान का उल्लंघन करने वाले तानाशाही शासन का समर्थन करने का आरोप लगाया. सीनेट में विपक्ष के नेता व पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के नेता सीनेटर शहनाद वसीम ने फातिहा पढ़ने का प्रस्ताव रखा जिसका उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों ने समर्थन किया.
हालांकि, जब दक्षिणपंथी जमात-ए-इस्लामी के सीनेटर मुश्ताक अहमद तुर्किये में आए भूकंप में मारे गए लोगों के लिए संयुक्त रूप से फातिहा पढ़ाने जा रहे थे तो उनसे मुशर्रफ के लिए भी फातिहा पढ़ने को कहा गया, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह सिर्फ भूकंप में मारे गए लोगों के लिए फातिहा पढ़ाएंगे. उनके मना करने के बाद सांसदों में आपस में काफी कहासुनी हुई.
(पीटीआई-भाषा)