साओ पाउलो: ब्राजील में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में वामपंथी वर्कर्स पार्टी के लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा (Lula Da Silva wins Brazil presidential election) ने निवर्तमान राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को हरा दिया है. निर्वाचन प्राधिकरण ने रविवार को बताया कि आम चुनाव में पड़े कुल मतों में से 99 प्रतिशत मतों की गिनती के अनुसार, लूला डा सिल्वा को 50.9 फीसद और बोलसोनारो को 49.1 प्रतिशत मत मिले.
यह लूला डा सिल्वा के लिए एक आश्चर्यजनक उलटफेर है. सिल्वा 2003 से 2010 के दौरान ब्राजील के राष्ट्रपति रह चुके हैं. सिल्वा (77) को 2018 में भ्रष्टाचार के मामले में कैद की सज़ा सुनाई गई थी, जिस वजह से उन्हें उस साल चुनाव में दरकिनार कर दिया गया था. इस कारण, तत्कालीन उम्मीदवार बोलसोनारो की जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ था.
लूला डा सिल्वा ने साओ पाउलो शहर के एक होटल में एक भाषण में कहा, 'आज एकमात्र विजेता ब्राजील के लोग हैं. यह मेरी या वर्कर्स पार्टी की जीत नहीं है, न ही उन पार्टियों की जिन्होंने अभियान में मेरा समर्थन किया है. यह राजनीतिक दलों, व्यक्तिगत हितों और विचारधाराओं से ऊपर उठे लोकतांत्रिक आंदोलन की जीत है. यह लोकतंत्र के विजय होने का प्रतीक है.'
डा सिल्वा अपनी वामपंथी वर्कर्स पार्टी से सत्ता की कमान संभालने का वादा कर रहे हैं. वह मध्यमार्गी और यहां तक कि दक्षिणपंथी लोगों को भी एकसाथ लाना चाहते हैं जिन्होंने पहली बार उन्हें अपना मत दिया है. देश में समृद्धि बहाली के वादे को पूरा करना चाहते हैं, फिर भी उन्हें राजनीतिक रूप से ध्रुवीकृत समाज में विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा, जहां आर्थिक विकास धीमा हो रहा है और मुद्रास्फीति बढ़ रही है.
ब्राजील की 1985 की लोकतंत्र में वापसी के बाद यह पहली है कि निवर्तमान राष्ट्रपति दोबारा चुनाव जीतने में विफल रहे हैं. लातिन अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अत्यधिक ध्रुवीकृत चुनाव ने चिली, कोलंबिया और अर्जेंटीना सहित इस क्षेत्र में हाल ही में वामपंथी जीत की लहर बढ़ा दी. लूला अपने समर्थकों से, कठिन परिस्थिति में देश की सत्ता की कमान संभालने का वादा कर रहे हैं जबकि बोलसोनारो ने अभी तक चुनाव के नतीजों को स्वीकार नहीं किया है.
यह तीन दशकों में देश का सबसे कड़े मुकाबले वाला चुनाव था. 99.5 प्रतिशत मतों की गिनती के साथ दोनों उम्मीदवारों के मतों में केवल 20 लाख का अंतर है. पिछले निकटतम मुकाबले में 2014 में उम्मीदवारों के बीच करीब 34 लाख मतों का अंतर था. लूला डा सिल्वा एक जनवरी 2023 को राष्ट्रपति पद पर दोबारा से आसीन होंगे. एक स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषक थॉमस ट्रूमैन ने परिणामों की तुलना अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की 2020 की जीत से करते हुए कहा कि डा सिल्वा को एक अत्यंत विभाजित राष्ट्र विरासत में मिला है.
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Congratulations to @LulaOficial on winning the Presidential elections in Brazil. I look forward to working closely together to further deepen and widen our bilateral relations, as also our cooperation on global issues: PM @narendramodi
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प्रधानमंत्री मोदी ने लूला डा सिल्वा को दी बधाई
रविवार शाम को चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद से लूला को दुनियाभर से बधाइयां मिलीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लूला डा सिल्वा को बधाई दी. उन्होंने कहा, 'लूला डा सिल्वा को ब्राजील के राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने पर बधाई. मैं द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा व व्यापक बनाने के साथ-साथ वैश्विक मुद्दों पर सहयोग के लिए मिलकर काम करने की आशा करता हूं.'
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वहीं, यूरोपीय संघ ने भी एक बयान में दा सिल्वा को बधाई दी और पूरे चुनाव अभियान में प्रभावशीलता और पारदर्शिता के लिए चुनावी प्राधिकरण की सराहना की. अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने रविवार को डा सिल्वा को ब्राजील का अगला राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी. बाइडन ने एक बयान में कहा, 'मैं लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा को स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनावों के बाद ब्राज़ील का अगला राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई देता हूं.' उन्होंने कहा, 'मैं आने वाले महीनों और वर्षों में हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग जारी रखने के लिए मिलकर काम करने की आशा करता हूं.' (पीटीआई-भाषा)