वाशिंगटन : अमेरिका के सिएटल में जाति आधारित भेदभाव को प्रतिबंधित करने के प्रावधान वाला कानून अमल में आ गया है. भारत के बाहर इस तरह का कानून लागू करने वाला सिएटल पहला शहर बन गया है. भारतीय-अमेरिकी नेता क्षमा सावंत ने सिएटल सिटी काउंसिल में भेदभाव न करने की नीति में जाति को शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे पिछले महीने पारित कर दिया गया था। प्रस्ताव के पक्ष में छह और इसके खिलाफ केवल एक मत पड़ा था. सिएटल न केवल जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला अमेरिकी शहर है, बल्कि ऐसा करने वाला दक्षिण एशिया के बाहर विश्व का पहला क्षेत्र है.
सावंत ने सोमवार को कहा, "दक्षिण एशिया के बाहर जातिगत भेदभाव के खिलाफ दुनिया का पहला प्रतिबंध हमारे सिएटल शहर में आज से लागू हो गया है." उन्होंने कहा, "सिएटल का कानून उद्योग जगत में लोगों को काम पर रखने, उनका कार्यकाल बढ़ाने, पदोन्नति, कार्यस्थल की स्थिति आदि के संबंध में जाति के आधार पर भेदभाव को रोकता है." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सिएटल के ऐसा कदम उठाने के बाद टोरंटो और कैलिफोर्निया में भी इसी तरह के कदम उठाए जा रहे हैं. सावंत ने कहा, "यह आश्चर्य की बात नहीं है...जब हमने सिएटल में जीत हासिल की है, उसके बाद टोरंटो और कैलिफोर्निया में जातिगत भेदभाव के खिलाफ नीतियां प्रस्तावित की गई हैं."
हालांकि, कई भारतीय-अमेरिकियों को डर है कि ऐसा कानून बनाए जाने से अमेरिका में हिंदू विरोधी अपराधों में बढ़ोतरी हो सकती है. गौरतलब है कि पिछले तीन वर्षों में पूरे अमेरिका में महात्मा गांधी और मराठा सम्राट शिवाजी सहित 10 हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई और पांच मूर्तियों को खंडित किया गया. भारतीय-अमेरिकी, अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह है. अमेरिकी जनगणना ब्यूरो द्वारा 2018 में किए गए अमेरिकी सामुदायिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में भारतीय मूल के 42 लाख लोग रहते हैं. भारत ने 1948 में जातिगत भेदभाव पर प्रतिबंध लगा दिया था और उस नीति को 1950 में संविधान में शामिल किया था.
(पीटीआई-भाषा)