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सीमा प्रबंधन समझौतों के उल्लंघन के चलते चीन के साथ भारत के संबंध 'असामान्य' : जयशंकर - डॉमिनिक गणराज्य की यात्रा पर एस जयशंकर

विदेश मंत्री ने इस संदर्भ में श्रीलंका का हवाला दिया, जहां भारत ने दशकों में देश के सबसे बुरे आर्थिक दौर में उसे चार अरब डॉलर से अधिक की वित्तीय मदद दी है.

Etv Bharat S Jaishankar on visit to Dominican Republic
Etv Bharat डॉमिनिक गणराज्य की यात्रा पर एस जयशंकर
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Published : Apr 29, 2023, 1:44 PM IST

सांतो डोमिंगो: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि विशिष्टता की मांग किए बिना सभी देशों के साथ उसके संबंध बढ़ते रहें. उन्होंने कहा कि हालांकि, चीन द्वारा सीमा प्रबंधन समझौतों का उल्लंघन किए जाने के परिणामस्वरूप बीजिंग के साथ भारत के 'असामान्य' प्रकृति के संबंधों के कारण वह एक अलग श्रेणी में आता है. डॉमिनिक गणराज्य की पहली आधिकारिक यात्रा पर सांतो डोमिंगो पहुंचे जयशंकर ने शुक्रवार को डिप्लोमैटिक स्कूल के युवाओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी, संपर्क और सहयोग में नाटकीय विस्तार देखा है. उन्होंने कहा कि हालांकि, पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के कारण इसका अपवाद रहेगा.

  • Un privilegio inaugurar la Embajada de la India en la República Dominicana junto con la Vicepresidenta de la República Dominicana @RaquelPenaVice.

    Nuestras relaciones políticas son singularmente cordiales, y cooperamos estrechamente en los foros multilaterales.

    Estoy seguro de… https://t.co/5bHUMFzHdL

    — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) April 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

जयशंकर ने कहा, 'चाहे अमेरिका, यूरोप, रूस या जापान हो, हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि ये सभी संबंध बिना विशिष्टता की मांग किए बढ़ें. चीन हालांकि, सीमा विवाद और हमारे संबंधों की असामान्य प्रकृति के कारण अलग श्रेणी में आता है. यह उसके द्वारा सीमा प्रबंधन के संबंध में समझौतों के उल्लंघन का नतीजा है.' गौरतलब है कि भारत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और उसके आक्रामक रवैये की आलोचना करता रहा है.

विदेश मंत्री ने कहा, 'भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकताएं जाहिर तौर पर उसके पड़ोस में हैं। उसके आकार और आर्थिक शक्ति को देखते हुए यह सामूहिक लाभ की बात है कि भारत छोटे पड़ोसी देशों के साथ सहयोग के लिए उदार और गैर-पारस्परिक रवैये को अपनाता है और हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले एक दशक में यही किया है.' उन्होंने कहा, 'भारत ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी, संपर्क और सहयोग में नाटकीय विस्तार देखा है. इसमें सीमा पार आतंकवाद के कारण जाहिर तौर पर पाकिस्तान एक अपवाद है. लेकिन चाहे कोविड-19 संबंधी चुनौती हो या हाल में कर्ज का अधिक दबाव हो, भारत हमेशा अपने पड़ोसियों के लिए खड़ा हुआ है.

विदेश मंत्री ने इस संदर्भ में श्रीलंका का हवाला दिया, जहां भारत ने दशकों में देश के सबसे बुरे आर्थिक दौर में उसे चार अरब डॉलर से अधिक की वित्तीय मदद दी है. जयशंकर ने कहा, 'कुल मिलाकर, भारत एक ऐसा देश है, जो वैश्विक भलाई के वास्ते सामूहिक समाधानों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. इस साल जी-20 की हमारी अध्यक्षता वैश्विक विकास और वैश्विक वृद्धि के समक्ष मौजूद वास्तविक चुनौतियों पर केंद्रित है.'

पढ़ें: लातिन अमेरिका के साथ व्यापार संबंध बढ़ाना चाहता है भारत: जयशंकर

लातिन अमेरिका के साथ भारत की साझेदारी पर उन्होंने कहा, 'आज लातिन अमेरिका के साथ हमारा व्यापार 50 अरब डॉलर के आंकड़े की ओर बढ़ रहा है.'

पीटीआई-भाषा

सांतो डोमिंगो: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि विशिष्टता की मांग किए बिना सभी देशों के साथ उसके संबंध बढ़ते रहें. उन्होंने कहा कि हालांकि, चीन द्वारा सीमा प्रबंधन समझौतों का उल्लंघन किए जाने के परिणामस्वरूप बीजिंग के साथ भारत के 'असामान्य' प्रकृति के संबंधों के कारण वह एक अलग श्रेणी में आता है. डॉमिनिक गणराज्य की पहली आधिकारिक यात्रा पर सांतो डोमिंगो पहुंचे जयशंकर ने शुक्रवार को डिप्लोमैटिक स्कूल के युवाओं को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी, संपर्क और सहयोग में नाटकीय विस्तार देखा है. उन्होंने कहा कि हालांकि, पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के कारण इसका अपवाद रहेगा.

  • Un privilegio inaugurar la Embajada de la India en la República Dominicana junto con la Vicepresidenta de la República Dominicana @RaquelPenaVice.

    Nuestras relaciones políticas son singularmente cordiales, y cooperamos estrechamente en los foros multilaterales.

    Estoy seguro de… https://t.co/5bHUMFzHdL

    — Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) April 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

जयशंकर ने कहा, 'चाहे अमेरिका, यूरोप, रूस या जापान हो, हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि ये सभी संबंध बिना विशिष्टता की मांग किए बढ़ें. चीन हालांकि, सीमा विवाद और हमारे संबंधों की असामान्य प्रकृति के कारण अलग श्रेणी में आता है. यह उसके द्वारा सीमा प्रबंधन के संबंध में समझौतों के उल्लंघन का नतीजा है.' गौरतलब है कि भारत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और उसके आक्रामक रवैये की आलोचना करता रहा है.

विदेश मंत्री ने कहा, 'भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकताएं जाहिर तौर पर उसके पड़ोस में हैं। उसके आकार और आर्थिक शक्ति को देखते हुए यह सामूहिक लाभ की बात है कि भारत छोटे पड़ोसी देशों के साथ सहयोग के लिए उदार और गैर-पारस्परिक रवैये को अपनाता है और हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले एक दशक में यही किया है.' उन्होंने कहा, 'भारत ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी, संपर्क और सहयोग में नाटकीय विस्तार देखा है. इसमें सीमा पार आतंकवाद के कारण जाहिर तौर पर पाकिस्तान एक अपवाद है. लेकिन चाहे कोविड-19 संबंधी चुनौती हो या हाल में कर्ज का अधिक दबाव हो, भारत हमेशा अपने पड़ोसियों के लिए खड़ा हुआ है.

विदेश मंत्री ने इस संदर्भ में श्रीलंका का हवाला दिया, जहां भारत ने दशकों में देश के सबसे बुरे आर्थिक दौर में उसे चार अरब डॉलर से अधिक की वित्तीय मदद दी है. जयशंकर ने कहा, 'कुल मिलाकर, भारत एक ऐसा देश है, जो वैश्विक भलाई के वास्ते सामूहिक समाधानों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. इस साल जी-20 की हमारी अध्यक्षता वैश्विक विकास और वैश्विक वृद्धि के समक्ष मौजूद वास्तविक चुनौतियों पर केंद्रित है.'

पढ़ें: लातिन अमेरिका के साथ व्यापार संबंध बढ़ाना चाहता है भारत: जयशंकर

लातिन अमेरिका के साथ भारत की साझेदारी पर उन्होंने कहा, 'आज लातिन अमेरिका के साथ हमारा व्यापार 50 अरब डॉलर के आंकड़े की ओर बढ़ रहा है.'

पीटीआई-भाषा

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