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इंडोनेशिया के वेस्ट पापुआ में भूकंप के जोरदार झटके

इंडोनेशिया के सुदूर पूर्वी प्रांत वेस्ट पापुआ में शनिवार को भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. किसी के हताहत होने या कोई गंभीर नुकसान होने की फिलहाल कोई खबर नहीं हैं.

Earthquake tremors in Melekeok, PalausEtv Bharat
पलाऊ के मेलेकेओक में भूकंप के झटकेEtv Bharat
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Published : Sep 10, 2022, 6:38 AM IST

Updated : Sep 10, 2022, 10:53 AM IST

मेलेकेओक: इंडोनेशिया के सुदूर पूर्वी प्रांत वेस्ट पापुआ में शनिवार को भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. बहरहाल, किसी के हताहत होने या कोई गंभीर नुकसान होने की फिलहाल कोई खबर नहीं हैं. इंडोनेशिया की मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान और भूभौतिकी एजेंसी ने बताया कि वेस्ट पापुआ प्रांत के मध्य मैम्बेरमो जिले से करीब 37 किलोमीटर उत्तरपश्चिम में कम से कम चार बार भूकंप आया और इनकी तीव्रता 6.2 से 5.5 के बीच मापी गयी.

भूकंप का केंद्र जमीन से 16 किलोमीटर की गहरायी में स्थित था. भूकंप एवं सुनामी शमन प्रभाग का नेतृत्व करने वाले डेरियोनो ने बताया कि इन भूकंपों से सुनामी आने का कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा, 'नुकसान की कोई खबर नहीं है.' अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण ने भूकंप की तीव्रता 6.1 से 5.9 के बीच मापी और भूकंप का केंद्र जमीन से 19 से 33 किलोमीटर की गहरायी में बताया. वेस्ट पापुआ इंडोनेशिया के सबसे कम आबादी वाले प्रांतों में से एक है और यह करीब 12 लाख लोग रहते हैं. इंडोनेशिया भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है. पश्चिमी सुमात्रा प्रांत में फरवरी में 6.2 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गयी थी और 460 से अधिक लोग घायल हो गए थे.

क्यों आता है भूकंप: धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है. इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाती है.

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे भयानक तबाही होती है, लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं, उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर ऊंची और तेज लहरें उठती हैं, जिसे सुनामी भी कहते हैं.

ये भी पढ़ें- सम्राट के रूप में अपने पहले संबोधन में चार्ल्स ने कहा, महारानी एलिजाबेथ ने जीवन को बखूबी जिया

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता: भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है.

प्रभाव: भूकंप से जान-माल की हानि, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, रोग आदि होता है. इमारतों व बांध, पुल, नाभिकीय ऊर्जा केंद्र को नुकसान पहुंचता है. भूस्खलन व हिम स्खलन होता है, जो पहाड़ी व पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण हो सकता है. विद्युत लाइन के टूट जाने से आग लग सकती है. समुद्र के भीतर भूकंप से सुनामी आ सकता है. भूकंप से क्षतिग्रस्त बांध के कारण बाढ़ आ सकती है.

मेलेकेओक: इंडोनेशिया के सुदूर पूर्वी प्रांत वेस्ट पापुआ में शनिवार को भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए. बहरहाल, किसी के हताहत होने या कोई गंभीर नुकसान होने की फिलहाल कोई खबर नहीं हैं. इंडोनेशिया की मौसम विज्ञान, जलवायु विज्ञान और भूभौतिकी एजेंसी ने बताया कि वेस्ट पापुआ प्रांत के मध्य मैम्बेरमो जिले से करीब 37 किलोमीटर उत्तरपश्चिम में कम से कम चार बार भूकंप आया और इनकी तीव्रता 6.2 से 5.5 के बीच मापी गयी.

भूकंप का केंद्र जमीन से 16 किलोमीटर की गहरायी में स्थित था. भूकंप एवं सुनामी शमन प्रभाग का नेतृत्व करने वाले डेरियोनो ने बताया कि इन भूकंपों से सुनामी आने का कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा, 'नुकसान की कोई खबर नहीं है.' अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण ने भूकंप की तीव्रता 6.1 से 5.9 के बीच मापी और भूकंप का केंद्र जमीन से 19 से 33 किलोमीटर की गहरायी में बताया. वेस्ट पापुआ इंडोनेशिया के सबसे कम आबादी वाले प्रांतों में से एक है और यह करीब 12 लाख लोग रहते हैं. इंडोनेशिया भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है. पश्चिमी सुमात्रा प्रांत में फरवरी में 6.2 तीव्रता के भूकंप में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गयी थी और 460 से अधिक लोग घायल हो गए थे.

क्यों आता है भूकंप: धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है. इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाती है.

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे भयानक तबाही होती है, लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं, उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर ऊंची और तेज लहरें उठती हैं, जिसे सुनामी भी कहते हैं.

ये भी पढ़ें- सम्राट के रूप में अपने पहले संबोधन में चार्ल्स ने कहा, महारानी एलिजाबेथ ने जीवन को बखूबी जिया

कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता: भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है.

प्रभाव: भूकंप से जान-माल की हानि, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, रोग आदि होता है. इमारतों व बांध, पुल, नाभिकीय ऊर्जा केंद्र को नुकसान पहुंचता है. भूस्खलन व हिम स्खलन होता है, जो पहाड़ी व पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण हो सकता है. विद्युत लाइन के टूट जाने से आग लग सकती है. समुद्र के भीतर भूकंप से सुनामी आ सकता है. भूकंप से क्षतिग्रस्त बांध के कारण बाढ़ आ सकती है.

Last Updated : Sep 10, 2022, 10:53 AM IST
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