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चीन इस घातक हथियार से बीच हवा में मार गिराएगा दुश्मन की मिसाइल

चीन की रक्षा प्रणाली में मिसाइलें एक प्रमुख घटक हैं और उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव हैं. यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है, जब चीन स्वशासित ताइवान के खिलाफ आक्रामकता बढ़ा रहा है. वह ताइवान पर अपना दावा जताता है और कहता है कि जरूरत पड़ने पर ताइवान पर कब्जे के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

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Published : Jun 20, 2022, 6:33 PM IST

बीजिंग : चीन ने हवा में ही दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिराने की क्षमता वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. चीनी विशेषज्ञों ने दावा किया कि अपनी तरह के इस छठे परीक्षण ने देश की बैलिस्टिक मिसाइल रोधी प्रणाली की विश्वसनीयता की पुष्टि कर दी है. चीनी रक्षा मंत्रालय ने रविवार देर रात जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा कि यह परीक्षण पूरी तरह से रक्षात्मक प्रकृति का था और किसी भी देश के प्रति लक्षित नहीं था.

बयान के अनुसार, चीन ने 19 जून को अपने क्षेत्र में हवा में ही दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिराने वाली मिसाइल का परीक्षण किया और उसका वांछित उद्देश्य हासिल किया. सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की खबर के मुताबिक, चीन ने लगातार दूसरे साल इस तरह का परीक्षण किया. ऐसा ही परीक्षण फरवरी 2021 में किया गया था. चीन ने 2010, 2013, 2014, 2018 और 2021 में बैलिस्टिक मिसाइल रोधी परीक्षण किए थे.

अधिक से अधिक परीक्षणों से यह संकेत मिलता है कि चीन की बैलिस्टिक मिसाइल रोधी क्षमता और ज्यादा विश्वसनीय बन रही है तथा ऐसे परीक्षण चीन की राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं. अखबार ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि बीच हवा में ही अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल को ध्वस्त करना बहुत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इस चरण के दौरान परमाणु हथियारों से लैस मिसाइल बहुत तेज गति से वायुमंडल के बाहर यात्रा करती है.

चीन की रक्षा प्रणाली में मिसाइलें एक प्रमुख घटक हैं और उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव हैं. यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है, जब चीन स्वशासित ताइवान के खिलाफ आक्रामकता बढ़ा रहा है. वह ताइवान पर अपना दावा जताता है और कहता है कि जरूरत पड़ने पर ताइवान पर कब्जे के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल किया जा सकता है. ताइवान को लेकर संघर्ष की स्थिति में अमेरिका हस्तक्षेप कर सकता है. दरअसल, अमेरिका ताइवान के लिए हथियारों का मुख्य आपूर्तिकर्ता है और उस पर मंडराते खतरे को ‘‘गंभीर चिंता’’ का विषय मानने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है.

चीन का दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्सों को लेकर फिलीपीन, वियतनाम और अन्य देशों से भी विवाद है. चीन को यूक्रेन पर हमले में रूस का समर्थन करते हुए भी देखा जा रहा है. हालांकि, उसने रूस को रक्षा संबंधी सहयोग मुहैया नहीं कराया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि चीन के ताइवान की खाड़ी पर संप्रभु अधिकार और अधिकार क्षेत्र हैं. साथ ही वह प्रासंगिक समुद्री क्षेत्र में अन्य देशों के कानूनी अधिकारों का सम्मान करता है. वह चीन द्वारा ऐसे दावों पर अमेरिका के चिंता जताने को लेकर एक सवाल का जवाब दे रहे थे.

(पीटीआई-भाषा)

बीजिंग : चीन ने हवा में ही दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिराने की क्षमता वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. चीनी विशेषज्ञों ने दावा किया कि अपनी तरह के इस छठे परीक्षण ने देश की बैलिस्टिक मिसाइल रोधी प्रणाली की विश्वसनीयता की पुष्टि कर दी है. चीनी रक्षा मंत्रालय ने रविवार देर रात जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा कि यह परीक्षण पूरी तरह से रक्षात्मक प्रकृति का था और किसी भी देश के प्रति लक्षित नहीं था.

बयान के अनुसार, चीन ने 19 जून को अपने क्षेत्र में हवा में ही दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिराने वाली मिसाइल का परीक्षण किया और उसका वांछित उद्देश्य हासिल किया. सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की खबर के मुताबिक, चीन ने लगातार दूसरे साल इस तरह का परीक्षण किया. ऐसा ही परीक्षण फरवरी 2021 में किया गया था. चीन ने 2010, 2013, 2014, 2018 और 2021 में बैलिस्टिक मिसाइल रोधी परीक्षण किए थे.

अधिक से अधिक परीक्षणों से यह संकेत मिलता है कि चीन की बैलिस्टिक मिसाइल रोधी क्षमता और ज्यादा विश्वसनीय बन रही है तथा ऐसे परीक्षण चीन की राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं. अखबार ने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि बीच हवा में ही अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल को ध्वस्त करना बहुत चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इस चरण के दौरान परमाणु हथियारों से लैस मिसाइल बहुत तेज गति से वायुमंडल के बाहर यात्रा करती है.

चीन की रक्षा प्रणाली में मिसाइलें एक प्रमुख घटक हैं और उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव हैं. यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है, जब चीन स्वशासित ताइवान के खिलाफ आक्रामकता बढ़ा रहा है. वह ताइवान पर अपना दावा जताता है और कहता है कि जरूरत पड़ने पर ताइवान पर कब्जे के लिए सैन्य बलों का इस्तेमाल किया जा सकता है. ताइवान को लेकर संघर्ष की स्थिति में अमेरिका हस्तक्षेप कर सकता है. दरअसल, अमेरिका ताइवान के लिए हथियारों का मुख्य आपूर्तिकर्ता है और उस पर मंडराते खतरे को ‘‘गंभीर चिंता’’ का विषय मानने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है.

चीन का दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्सों को लेकर फिलीपीन, वियतनाम और अन्य देशों से भी विवाद है. चीन को यूक्रेन पर हमले में रूस का समर्थन करते हुए भी देखा जा रहा है. हालांकि, उसने रूस को रक्षा संबंधी सहयोग मुहैया नहीं कराया है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने सोमवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि चीन के ताइवान की खाड़ी पर संप्रभु अधिकार और अधिकार क्षेत्र हैं. साथ ही वह प्रासंगिक समुद्री क्षेत्र में अन्य देशों के कानूनी अधिकारों का सम्मान करता है. वह चीन द्वारा ऐसे दावों पर अमेरिका के चिंता जताने को लेकर एक सवाल का जवाब दे रहे थे.

(पीटीआई-भाषा)

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