वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति (President Of America) जो बाइडन ने भारतीय-अमेरिकी वकील (Indian-American Lawyer) अरुण सुब्रमण्यन को न्यूयार्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट (Southern District) का न्यायाधीश नामित किया है. इस संबंध में मंगलवार को बाइडन (Biden) ने व्हाइट हाउस (White House) से संसद को एक पत्र भेजा गया. संसद (Parliament) से अगर वकील अरुण सुब्रमण्यन (Advocate Arun Subramanian) के नाम को मंजूरी मिल जाती है तो वह न्यूयार्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट की अदालत के न्यायाधीश बनने वाले पहले दक्षिण एशियाई व्यक्ति होंगे. वह मौजूदा समय में न्यूयार्क के सुसमन गोडफ्रे एलएलपी में साझेदार हैं जहां वह साल 2007 से काम कर रहे हैं.
सुब्रमण्यन ने अमेरिका के उच्चतम न्यायालय (American Supreme Court) के न्यायमूर्ति रुथ बेडर गिन्सबर्ग के कानूनी क्लर्क के तौर पर साल 2006 से 2007 के बीच काम किया था. इसके अलावा वह साल 2005 से 2006 तक न्यूयार्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट की अदालत (New York Southern District Court) के न्यायाधीश जेरार्ड ई लिंच के लिए भी काम कर चुके हैं. सुब्रमण्यन ने कोलंबिया लॉ स्कूल और केस वेस्टर्न रिजर्व विश्वविद्यालय (Case Western Reserve University) से पढ़ाई की है. राष्ट्रीय एशियाई प्रशांत अमेरिकी बार एसोसिएशन (National Asian Pacific American Bar Association) ने सुब्रमण्यन के नामित होने पर उन्हें बधाई दी.
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एनएपीएबीए के कार्यवाहक अध्यक्ष ए.बी. क्रूज तृतीय ने कहा कि सुब्रमण्यन एक अनुभवी वकील हैं, जिन्होंने बिना पैसे लिए कई मुकदमे लड़े हैं. उन्होंने कहा कि वह (सुब्रमण्यन) प्रवासियों की संतान हैं. वह अपने परिवार में वकील बनने वाले पहले व्यक्ति हैं और हमें उन्हें देखकर गर्व होता है. हम सीनेट से अनुरोध करते हैं कि उनके नाम को शीघ्र मंजूरी दी जाए. भारतीय-अमेरिकी प्रभाव ने नामांकन को उल्लेखनीय नामांकन बताते हुए स्वागत किया है.
भारतीय-अमेरिकी प्रभाव कार्यकारी-निदेशक, नील मखीजा ने कहा कि दक्षिण एशियाई और एशियाई अमेरिकियों को लंबे समय से संघीय न्यायपालिका में कम प्रतिनिधित्व दिया गया है. अनुच्छेद III के जिला न्यायाधीशों के पांच प्रतिशत से भी कम एएपीआई वंश के हैं, लेकिन पिछले एक साल में हमने ऐतिहासिक प्रगति की है. हम सुब्रमण्यम के सदर्न डिस्ट्रिक्ट का न्यायाधीश बनने की अंतिम पुष्टि का जश्न मनाने के लिए उत्सुक हैं और उनकी उपस्थिति का असर निस्संदेह देश भर के युवा दक्षिण एशियाई अमेरिकियों पर पड़ेगा, जो पब्लिक सर्विस की इच्छा रखते हैं.
(पीटीआई-भाषा)