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कोविड-19 टीके की कमी के चलते वैश्विक असमानता का सामना कर रही है दुनिया

वैश्विक महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में जहां एक ओर कोविड-19 रोधी टीके की खुराकों की कोई कमी नहीं है, तो वहीं उसके पड़ोसी हैती को कई महीनों के आश्वासन के बाद 15 जुलाई को टीके की केवल पांच लाख खुराक ही मिली है.

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Published : Jul 18, 2021, 10:38 PM IST

कोरोना टीकारण अभियान
कोरोना टीकारण अभियान

पेरिस : दुनिया में कोविड-19 महामारी के टीकाकरण कार्यक्रम में विश्व के अमीर और गरीब देशों के बीच अंतर साफ तौर पर देखा जा सकता है. वैश्विक महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में जहां एक ओर कोविड-19 रोधी टीके की खुराकों की कोई कमी नहीं है, तो वहीं उसके पड़ोसी हैती को कई महीनों के आश्वासन के बाद 15 जुलाई को टीके की केवल पांच लाख खुराक ही मिली है.

हैती की आबादी 1.1 करोड़ से अधिक है. कनाडा ने टीकाकरण के लिए अपने प्रत्येक नागरिक के लिए टीके की 10 से अधिक खुराक खरीद रखी हैं, जबकि अफ्रीकी देश सिएरा लियोन में 20 जून तक केवल एक प्रतिशत आबादी को ही टीका लग पाया है.

टीके हासिल करने के लिए अफ्रीकी संघ के दूत स्ट्राइव मासीवा ने कहा कि यह एक अकाल की तरह है. जिसमें सबसे अमीर लोग खाने-पीने की चीजें अपने नियंत्रण में रख लेते हैं.

कोविड-19 के टीके हासिल और वितरित करने के कार्यों में शामिल यूरोपीय और अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि विश्व स्तर पर स्थिति को कैसे संभालना है, इस बारे में कोई विचार नहीं था. इन अधिकारियों का कहना है कि इसके पीछे और भी कई कारण है.

इसे भी पढ़े-आईएसआई के इशारे पर तालिबान का हमला, भारत का 3 बिलियन का निवेश दांव पर

दरअसल, दुनिया के संपन्न देश ही सबसे पहले कोविड-19 के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए थे. इन्हीं देशों में टीके के प्रबंधन किए गए और निर्यात पर कई प्रकार की पाबंदियां होने के कारण टीके की खुराकें दुनिया के अन्य देशों में नहीं पहुंच सकीं. गरीब देशों के लिए टीके उपलब्ध कराने के लिए एक वैश्विक खरीद योजना थी. लेकिन यह इतनी त्रुटिपूर्ण और कमजोर थी कि प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से वैश्विक स्तर पर कोविड-19 रोधी टीके उपलब्ध कराने के लिए कोवैक्स योजना की शुरुआत के बावजूद गरीब देशों को टीके की खुराक आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और उन्हें इसकी भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

पेरिस : दुनिया में कोविड-19 महामारी के टीकाकरण कार्यक्रम में विश्व के अमीर और गरीब देशों के बीच अंतर साफ तौर पर देखा जा सकता है. वैश्विक महाशक्ति माने जाने वाले अमेरिका में जहां एक ओर कोविड-19 रोधी टीके की खुराकों की कोई कमी नहीं है, तो वहीं उसके पड़ोसी हैती को कई महीनों के आश्वासन के बाद 15 जुलाई को टीके की केवल पांच लाख खुराक ही मिली है.

हैती की आबादी 1.1 करोड़ से अधिक है. कनाडा ने टीकाकरण के लिए अपने प्रत्येक नागरिक के लिए टीके की 10 से अधिक खुराक खरीद रखी हैं, जबकि अफ्रीकी देश सिएरा लियोन में 20 जून तक केवल एक प्रतिशत आबादी को ही टीका लग पाया है.

टीके हासिल करने के लिए अफ्रीकी संघ के दूत स्ट्राइव मासीवा ने कहा कि यह एक अकाल की तरह है. जिसमें सबसे अमीर लोग खाने-पीने की चीजें अपने नियंत्रण में रख लेते हैं.

कोविड-19 के टीके हासिल और वितरित करने के कार्यों में शामिल यूरोपीय और अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि विश्व स्तर पर स्थिति को कैसे संभालना है, इस बारे में कोई विचार नहीं था. इन अधिकारियों का कहना है कि इसके पीछे और भी कई कारण है.

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दरअसल, दुनिया के संपन्न देश ही सबसे पहले कोविड-19 के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए थे. इन्हीं देशों में टीके के प्रबंधन किए गए और निर्यात पर कई प्रकार की पाबंदियां होने के कारण टीके की खुराकें दुनिया के अन्य देशों में नहीं पहुंच सकीं. गरीब देशों के लिए टीके उपलब्ध कराने के लिए एक वैश्विक खरीद योजना थी. लेकिन यह इतनी त्रुटिपूर्ण और कमजोर थी कि प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से वैश्विक स्तर पर कोविड-19 रोधी टीके उपलब्ध कराने के लिए कोवैक्स योजना की शुरुआत के बावजूद गरीब देशों को टीके की खुराक आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है और उन्हें इसकी भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है.

(पीटीआई-भाषा)

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