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विश्व आर्थिक मंच ने सुझाए कोविड-19 से निष्पक्ष और समावेशी आर्थिक सुधार के तरीके

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा स्थिति के आधार पर वैश्विक तौर पर बेरोजगारी में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि लंबे समय से चली आ रही महामारी कई फर्मों को पुनर्गठन या फिर आर्थिक संकट के कारण उन्हें बंद करने के लिए मजबूर कर देगी.

विश्व आर्थिक मंच
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Published : Jun 2, 2021, 10:48 PM IST

हैदराबाद : कोरोना महामारी (Corona Pandemic) वैश्विक तौर पर आर्थिक संकट (Economics Crisis) का बड़ा कारण बनी है. इस कारण रोजगार (Employment) के अवसर भी घटे हैं. अतंरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (ILO) के अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2020 में 114 मिलियन लोगों की नौकरियां (Jobs) चली गईं.

महामारी के शुरुआती चरणों में काम करने के घंटों में कमी 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण हुई गिरावट से 10 गुना ज्यादा आंकी गई है. इस समस्या से निपटने के लिए विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने कुछ सुझाव और तरीके पेश किए हैं.

वैश्विक तौर पर बेरोजगारी में और वृद्धि हो सकती है

फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा स्थिति के आधार पर वैश्विक तौर पर बेरोजगारी में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि लंबे समय से चली आ रही महामारी कई फर्मों को पुनर्गठन या फिर आर्थिक संकट के कारण उन्हें बंद करने के लिए मजबूर कर देगी.

ये भी पढे़ं : सीबीएसई 12वीं के पेपर कैंसिल होने के बाद इन राज्यों ने भी रद्द की परीक्षा

इस समस्या पर डब्ल्यूईएफ (WEF) अपनी रिपोर्ट में पहला सुझाव यह देती है कि रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने की तत्काल आवश्यकता है, विशेष रूप से युवाओं और अन्य कमजोर समूहों के लिए अच्छी और काम करने की स्थिति के साथ गुणवत्ता वाली नौकरियों की जरूरत है.

रिपोर्ट मौजूदा हालातों को देखते हुए सरकारों और व्यवसायों से न्यूनतम वेतन स्तरों को लागू करने का आग्रह भी करती है, जो लोगों को सम्मान के साथ जीने और उनके परिवारों को आजीविका प्रदान करने की संभावना पैदा करे.

शिक्षा और दक्षता (Education And Skills)

महामारी के कारण पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से स्कूलों पर ताला लगा हुआ है. ऐसे में उच्च वर्ग के बच्चों के लिए घर से शिक्षा, इंटरनेट की सुविधा और ऑनलाइन कक्षाएं लेना सुगम है, तो वहीं निम्न तबके के लाखों बच्चे इन सुविधाओं के अभाव में शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. महामारी ने पिछले एक वर्ष में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या में इजाफा किया है.

समानता और सामाजिक न्याय (Equity And Social Justice)

डब्ल्यूईएफ (WEF) सभी सरकारों से आह्वान करता है कि वे सभी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने के लिए कानून बनाएं. कानून के ढांचे के रूप में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन सम्मेलनों की श्रृंखला यह सुनिश्चित करने के लिए हो कि हर कोई अर्थव्यवस्था में समान रूप से योगदान दे सके और सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सके.

रिपोर्ट में कॉरपोरेट्स के लिए भी चुनौती पेश की गई है, जिसमें कहा गया है कि सकारात्मक सामाजिक सुधार की वकालत करने, ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों के हितों को प्राथमिकता देने और राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में निर्णयों को प्रभावित करने में व्यवसायों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि, सरकारें मानक निर्धारित करके, व्यवसायों को जवाबदेह ठहराकर और प्रभावी उदाहरणों का प्रसार करके व्यावसायिक सक्रियता के प्रभाव को बढ़ा सकती हैं.

ये भी पढे़ं : केंद्र की ढुलमुल नीति से टीकाकरण अधर में, मुफ्त में टीका लगाया जाना सुनिश्चित हो: कांग्रेस

नए बाजार (New Markets)

रिपोर्ट एक नई 'हरित और न्यायसंगत' अर्थव्यवस्था बनाने के लिए उद्योग और सेवाओं के आधुनिकीकरण में चुनौती के पैमाने को निर्धारित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है. आज हम जिन चुनौतियों और व्यवधानों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए एक गहन और पैमाने के आर्थिक परिवर्तन की आवश्यकता है. रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकारों और व्यवसायों को इस समस्या से निपटने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी की आवश्यकता होगी.

हैदराबाद : कोरोना महामारी (Corona Pandemic) वैश्विक तौर पर आर्थिक संकट (Economics Crisis) का बड़ा कारण बनी है. इस कारण रोजगार (Employment) के अवसर भी घटे हैं. अतंरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (ILO) के अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2020 में 114 मिलियन लोगों की नौकरियां (Jobs) चली गईं.

महामारी के शुरुआती चरणों में काम करने के घंटों में कमी 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण हुई गिरावट से 10 गुना ज्यादा आंकी गई है. इस समस्या से निपटने के लिए विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने कुछ सुझाव और तरीके पेश किए हैं.

वैश्विक तौर पर बेरोजगारी में और वृद्धि हो सकती है

फोरम की रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा स्थिति के आधार पर वैश्विक तौर पर बेरोजगारी में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि लंबे समय से चली आ रही महामारी कई फर्मों को पुनर्गठन या फिर आर्थिक संकट के कारण उन्हें बंद करने के लिए मजबूर कर देगी.

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इस समस्या पर डब्ल्यूईएफ (WEF) अपनी रिपोर्ट में पहला सुझाव यह देती है कि रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने की तत्काल आवश्यकता है, विशेष रूप से युवाओं और अन्य कमजोर समूहों के लिए अच्छी और काम करने की स्थिति के साथ गुणवत्ता वाली नौकरियों की जरूरत है.

रिपोर्ट मौजूदा हालातों को देखते हुए सरकारों और व्यवसायों से न्यूनतम वेतन स्तरों को लागू करने का आग्रह भी करती है, जो लोगों को सम्मान के साथ जीने और उनके परिवारों को आजीविका प्रदान करने की संभावना पैदा करे.

शिक्षा और दक्षता (Education And Skills)

महामारी के कारण पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से स्कूलों पर ताला लगा हुआ है. ऐसे में उच्च वर्ग के बच्चों के लिए घर से शिक्षा, इंटरनेट की सुविधा और ऑनलाइन कक्षाएं लेना सुगम है, तो वहीं निम्न तबके के लाखों बच्चे इन सुविधाओं के अभाव में शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. महामारी ने पिछले एक वर्ष में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में शिक्षा से वंचित बच्चों की संख्या में इजाफा किया है.

समानता और सामाजिक न्याय (Equity And Social Justice)

डब्ल्यूईएफ (WEF) सभी सरकारों से आह्वान करता है कि वे सभी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने के लिए कानून बनाएं. कानून के ढांचे के रूप में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन सम्मेलनों की श्रृंखला यह सुनिश्चित करने के लिए हो कि हर कोई अर्थव्यवस्था में समान रूप से योगदान दे सके और सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जी सके.

रिपोर्ट में कॉरपोरेट्स के लिए भी चुनौती पेश की गई है, जिसमें कहा गया है कि सकारात्मक सामाजिक सुधार की वकालत करने, ऐतिहासिक रूप से वंचित समूहों के हितों को प्राथमिकता देने और राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में निर्णयों को प्रभावित करने में व्यवसायों की महत्वपूर्ण भूमिका है.

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि, सरकारें मानक निर्धारित करके, व्यवसायों को जवाबदेह ठहराकर और प्रभावी उदाहरणों का प्रसार करके व्यावसायिक सक्रियता के प्रभाव को बढ़ा सकती हैं.

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नए बाजार (New Markets)

रिपोर्ट एक नई 'हरित और न्यायसंगत' अर्थव्यवस्था बनाने के लिए उद्योग और सेवाओं के आधुनिकीकरण में चुनौती के पैमाने को निर्धारित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है. आज हम जिन चुनौतियों और व्यवधानों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए एक गहन और पैमाने के आर्थिक परिवर्तन की आवश्यकता है. रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकारों और व्यवसायों को इस समस्या से निपटने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी की आवश्यकता होगी.

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