लंदन : ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि भारत और चीन को बातचीत के जरिए अपने सीमा विवाद के मुद्दों को सुलझाना चाहिए क्योंकि पूर्वी लद्दाख में एक बहुत ही गंभीर और चिंताजनक स्थिति बन रही है, जिसपर ब्रिटेन ने बारीकी से नजर बना रखी है.
जॉनसन का यह पहला आधिकारिक बयान हाउस ऑफ कॉमन्स में उनके साप्ताहिक कार्यक्रम पीएमक्यू (प्रधानमंत्री के सवाल) के दौरान आया.
कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद फ्लिक ड्रमंड के सवाल पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन ने जवाब दिया. सवाल था कि एक तरफ राष्ट्रमंडल सदस्य और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के बीच विवाद को सुलझाने में ब्रिटेन की भूमिका क्या है. इस सवाल का जवाब देते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में बहुत ही गंभीर और चिंताजनक स्थिति बन रही है, जिसपर ब्रिटेन की नजर है.
जानसन ने कहा, 'शायद सबसे अच्छी बात मैं यह कह सकता हूं कि हम दोनों पक्षों को सीमा मुद्दों पर बातचीत में शामिल होने और इसे सुलझाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.'
नई दिल्ली में जारी एक बयान में ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पूर्व में किए गए समझौते के आधार पर टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों के विघटन पर भारत और चीन सहमत हुए हैं. इससे क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.
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भारत और चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता के दौरान क्षेत्र की स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई और भारतीय पक्ष ने 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसा पर गहरी चिंता जताई, जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए थे.
गत 15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़पों के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर भी बातचीत हुई.
एक तरफ भारतीय और चीनी सेनाएं पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में तनाव को कम करने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ चीनी सेनाएं पैंगोंग त्सो सहित कई क्षेत्रों में वास्तविक सीमा रेखा के उल्लंघन की फिराक में हैं.