लंदन : कोरोना वायरस से निबटने के लिए कथित तौर पर लचर नीति अपनाने के लिए आलोचना का सामना कर रहे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अब तक की कोशिशों की समीक्षा करने और भीड़ के जमा होने पर प्रतिबंध लगाने सहित विभिन्न उपायों को अपनाने पर विचार कर रहे हैं.
सरकार के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि आपातकालीन कानून को अगले हफ्ते संसद में पारित किया जाना है और प्रतिबंध अगले हफ्ते के सप्ताहांत तक प्रभावी हो जाएगा.
विधेयक में जून में शुरू होने वाले विम्बल्डन टेनिस टूर्नामेंट, ग्लासटोनबरी संगीत महोत्सव और रॉयल एस्कोट एवं ग्रैंड नेशनल जैसे घुड़दौड़ के बड़े आयोजन को रद करने का प्रावधान हो सकता है.
सूत्रों ने बताया कि सरकार की योजना महामारी को मौसम के गर्म होने तक नियंत्रित करने की है, क्योंकि गर्मी से स्वास्थ्य सेवाओं को इससे निबटने में मदद मिलेगी. साथ ही लोगों को सलाह दी गई है कि लक्षण होने पर वे स्वयं एक हफ्ते के लिए पृथक रहें.
सरकार को सलाह देने वाले स्वास्थ्य अधिकारियों का तर्क है कि शुरुआत में ही कड़े फैसले लेने से सीमित लाभ होगा और इससे संकट गंभीर होने पर लोगों में निर्देशों का अनुपालन करने के प्रति अनिच्छा उत्पन्न होने का खतरा है.
हालांकि, कई कार्यक्रम जैसे प्रीमियर लीग फुटबॉल मैच, लंदन मैराथन और मई में होने वाले स्थानीय चुनावों को पहले ही निलंबित या स्थगित किया जा चुका है.
बकिंघम पैलेस के मुताबिक महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अगले हफ्ते के लिए निर्धारित कई कार्यक्रमों को एहतियातन स्थगित कर दिया है. उनके बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स ने अगले हफ्ते शुरू होने वाली बोस्निया, साइप्रस और जॉर्डन की यात्रा टाल दी है.
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अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक ब्रिटेन में अब तक कोरोना वायरस के 798 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 10 लोगों की मौत हुई है.
हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों का अनुमान है कि देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या पांच से दस हजार के बीच है.
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जॉनसन पर यूरोपीय नेताओं की तरह बड़ी संख्या में लोगों के जमा होने पर रोक लगाने का दबाव बढ़ रहा है, लेकिन पहले उन्होंने कहा था कि सरकार स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह पर ही ऐसा फैसला करेगी.
स्वास्थ्य अधिकारियों ने सरकार को सलाह देने वाले अपने सहयोगियों से शनिवार को मांग की कि वह तुरंत और स्पष्ट वैज्ञानिक सबूत, आंकड़े और मॉडल बताएं, जिनके आधार पर फैसले लिए जा रहे हैं.
टाइम्स अखबार में लिखे पत्र में उन्होंने कहा, 'वैज्ञानिक समुदाय, स्वास्थ्य कर्मियों और आम जनता की समझ, सहयोग और विश्वास के लिए यह पादर्शिता जरूरी है.'