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वैज्ञानिकों ने कोरोना को बेअसर करने वाले लामाओं से पहचाने दो एंटीबॉडी

वैज्ञानिकों ने दक्षिण अमेरिकी स्तनधारियों लामाओं से दो एंटीबॉडी की पहचान करने का दावा किया है. इसे कोविड-19 के खिलाफ एक नई चिकित्सा पद्धति को हासिल करने की दिशा में प्रगति के रूप में देखा जा रहा है.

Antibodies
प्रतीकात्मक तस्वीर
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Published : Jul 13, 2020, 8:45 PM IST

लंदन : वैज्ञानिकों ने दक्षिण अमेरिकी स्तनधारियों लामाओं से ऐसे दो एंटीबॉडी की पहचान करने का दावा किया है, जिससे कोरोना वायरस के असर को समाप्त किया जा सकता है.

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि दक्षिण अमेरिकी स्तनधारियों लामाओं से प्राप्त दो छोटे, स्थिर एंटीबॉडी से प्रयोगशाला-संवर्धित कोशिकाओं में कोरोना वायरस को बेअसर किया जा सकता है. इसे कोविड-19 के खिलाफ एक नई चिकित्सा पद्धति को हासिल करने की दिशा में प्रगति के रूप में देखा जा रहा है.

'नेचर स्ट्रक्चरल एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि 'नैनोबॉडीज' प्रोटीन एसीई2 के साथ अंतःक्रिया को रोककर कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के साथ संक्रमण को रोक सकता है.

वर्तमान अध्ययन में उन्होंने सार्स-सीओवी-2 को बेअसर करने में दक्षिण अमेरिकी स्तनधारियों लामाओं से प्राप्त एंटीबॉडी की क्षमता का परीक्षण किया गया.

शोधकर्ताओं ने बताया कि अधिकांश स्तनधारियों की तरह मानव एंटीबॉडी में भी दो श्रृंखलाएं होती हैं - भारी और हल्की - लेकिन लामा जैसे जीवों में एक अतिरिक्त एकल भारी श्रृंखला एंटीबॉडी भी होती है, जिसे नैनोबॉडी के रूप में जाना जाता है.

पढ़ें : ग्लेमार्क फार्मा ने कोविड-19 की दवा का दाम 27 प्रतिशत घटाया

वैज्ञानिकों ने कहा कि नैनोबॉडी छोटे, स्थिर और आसानी से निर्मित होते हैं और इस तरह निदान के लिए पारंपरिक एंटीबॉडी के विकल्प के रूप में काम करते हैं.

लंदन : वैज्ञानिकों ने दक्षिण अमेरिकी स्तनधारियों लामाओं से ऐसे दो एंटीबॉडी की पहचान करने का दावा किया है, जिससे कोरोना वायरस के असर को समाप्त किया जा सकता है.

वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि दक्षिण अमेरिकी स्तनधारियों लामाओं से प्राप्त दो छोटे, स्थिर एंटीबॉडी से प्रयोगशाला-संवर्धित कोशिकाओं में कोरोना वायरस को बेअसर किया जा सकता है. इसे कोविड-19 के खिलाफ एक नई चिकित्सा पद्धति को हासिल करने की दिशा में प्रगति के रूप में देखा जा रहा है.

'नेचर स्ट्रक्चरल एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि 'नैनोबॉडीज' प्रोटीन एसीई2 के साथ अंतःक्रिया को रोककर कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के साथ संक्रमण को रोक सकता है.

वर्तमान अध्ययन में उन्होंने सार्स-सीओवी-2 को बेअसर करने में दक्षिण अमेरिकी स्तनधारियों लामाओं से प्राप्त एंटीबॉडी की क्षमता का परीक्षण किया गया.

शोधकर्ताओं ने बताया कि अधिकांश स्तनधारियों की तरह मानव एंटीबॉडी में भी दो श्रृंखलाएं होती हैं - भारी और हल्की - लेकिन लामा जैसे जीवों में एक अतिरिक्त एकल भारी श्रृंखला एंटीबॉडी भी होती है, जिसे नैनोबॉडी के रूप में जाना जाता है.

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वैज्ञानिकों ने कहा कि नैनोबॉडी छोटे, स्थिर और आसानी से निर्मित होते हैं और इस तरह निदान के लिए पारंपरिक एंटीबॉडी के विकल्प के रूप में काम करते हैं.

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