डबलिन: आयरलैंड में तलाक पर संवैधानिक पाबंदी में ढील के लिए जबरदस्त समर्थन मिला है. एक समय धार्मिक रूप से कैथोलिक रहे इस देश के चार्टर को आधुनिक करने के लिए सुधारों की कड़ी में यह नया फैसला है. करीब 82 प्रतिशत मतदाताओं ने एक प्रावधान को हटाने के पक्ष में मतदान किया. इसमें दंपतियों के अलग होने से पहले के पांच साल में चार साल उनका अलग रहना जरूरी था.
आयरलैंड की सरकार ने संकेत दिया है कि वह इस अवधि को कम करके तलाक से पहले के तीन साल में से दो साल अलग रहना अनिवार्य करने के लिए नया विधेयक लाएगी.
आयरलैंड सरकार अब जल्द से जल्द तलाक कानून में बदलाव करने वाली है. इस कानून के अनुसार तलाक लेने के लिए दंपत्तियों को 5 से 4 साल तक रहना आनिवार्य होता है, जिसके बाद ही उन्हे तलाक मिलता है. अब उम्मीद यही की जा रही है कि सरकार उस अवधि को कम कर देने वाली है. अलगाव की अवधि अनुमानित तौर पर दो से तान साल की जा सकती है.
बता दे, आयरलैंड की सरकार ने कई कानूनों में बीते दिनों बड़े बदलाव किए हैं. सिलसिलेवार तरीके से सरकार इस कानून में भी बदलाव करने जा रही है. इस पर कानून और समानता मंत्री, चार्ली फ्लेनेगन ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ट्वीट के माध्यम से कहा कि ये बहुत ही सकारात्मक खबर है. बहुत जल्द ही सरकार इस पर काम कर के जल्द से जल्द इस अवधि को कम करेगी. इसके चलते चल रही लोगों के बीच परेशानियों और समस्याओं को भी खत्म किया जाएगा.
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मार्च के महीने में भी मंत्री ने कहा था कि सरकार अलगाव की अवधि को कम करने कि लिए सोच रही है. इस अवधि को 2 साल करने के बारे में विचार हो रहा है. इससे दोनों जोड़े और उनके परिवार वालों को आगे बढ़ने में आसानी होगी.
आयरलैंड में 1995 में इस कानून को लागू किया गया था. इस कानून के अनुसार यदि कोई दंपति तलाक लेना चाहते थे तो उन्हें पांच से चार साल तक अलग रहना जरूरी था. उस वक्त इस कानून के पक्ष में 50.3 प्रतिशत लोग थे. वहीं अब स्थिति बदल चुकी है और 82.1 प्रतिशत जनता इसमें बदालाव की मांग कर रही है.
बता दें, इससे पहले आयरलैंड सरकार ने विवादित अबॉर्शन कानून में 2018 में बड़ा बदलाव किया था और गर्भपात को कानूनी तौर पर मान्यता दे दी थी. साथ ही लियो वराडकर के नेतृत्व वाली नई सरकार जो 2015 में आई उसने समलैंगिक विवाहों को भी मान्यता देने संबंधित कानून तो पारित कराया था.
बता दें कि दुनिया में सबसे अधिक तलाक लक्जमबर्ग में होते हैं. वहीं भारत में सबसे कम तलाक होते हैं.