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वायरस के डेल्टा स्वरूप से बचा सकते हैं फाइजर, एस्ट्राजेनेका के टीके : लांसेट का अध्ययन

मशहूर पत्रिका द लैन्सेट में छपे एक लेख में बताया गया है कि फाइजरऔर एस्ट्राजेनेका के टीके भारत में पाए गए कोरोना वायरस (Corona Virus) के डेल्टा स्वरूप (बी.1.617.2) के खिलाफ संरक्षण प्रदान करने में कारगर हैं.

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Published : Jun 15, 2021, 6:11 PM IST

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लंदन : सबसे पहले भारत में चिह्नित किए गए कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के सबसे पहले ब्रिटेन में सामने आये अल्फा स्वरूप की तुलना में गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक है, लेकिन फाइजर और एस्ट्राजेनेका के टीके डेल्टा स्वरूप के खिलाफ संरक्षण प्रदान करने में कारगर हैं. यह दावा लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में किया गया है.

पब्लिक हेल्थ स्कॉटलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, ब्रिटेन के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि फाइजर-बायोएनटेक का टीका ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की तुलना में बेहतर संरक्षण प्रदान करता है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके का भारत में कोविशील्ड नाम से उत्पादन हो रहा है.

इस अध्ययन में एक अप्रैल से छह जून, 2021 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है. अध्ययन दल ने इस अवधि में सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण के 19,543 मामलों का अध्ययन किया जिनमें से 377 लोगों को स्कॉटलैंड में कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. इनमें से 7,723 सामुदायिक मामलों और अस्पताल में भर्ती मरीजों के 134 मामलों में कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप का पता चला.

पढ़ें :- कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर में बच्चों के गंभीर रूप से प्रभावित होने के ठोस प्रमाण नहीं : लैनसेट

अध्ययन में पता चला कि फाइजर के टीके ने दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद अल्फा स्वरूप के खिलाफ 92 प्रतिशत संरक्षण और डेल्टा के खिलाफ 79 प्रतिशत संरक्षण प्रदान किया. इसी तरह एस्ट्राजेनेका का टीका डेल्टा स्वरूप के खिलाफ 60 प्रतिशत सुरक्षित और अल्फा स्वरूप के खिलाफ 73 प्रतिशत सुरक्षित पाया गया.

अध्ययनकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि टीके की दोनों खुराक कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के खिलाफ एक खुराक की तुलना में अधिक सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं.

(पीटीआई-भाषा)

लंदन : सबसे पहले भारत में चिह्नित किए गए कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के सबसे पहले ब्रिटेन में सामने आये अल्फा स्वरूप की तुलना में गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक है, लेकिन फाइजर और एस्ट्राजेनेका के टीके डेल्टा स्वरूप के खिलाफ संरक्षण प्रदान करने में कारगर हैं. यह दावा लांसेट पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में किया गया है.

पब्लिक हेल्थ स्कॉटलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग, ब्रिटेन के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि फाइजर-बायोएनटेक का टीका ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके की तुलना में बेहतर संरक्षण प्रदान करता है. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके का भारत में कोविशील्ड नाम से उत्पादन हो रहा है.

इस अध्ययन में एक अप्रैल से छह जून, 2021 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया गया है. अध्ययन दल ने इस अवधि में सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण के 19,543 मामलों का अध्ययन किया जिनमें से 377 लोगों को स्कॉटलैंड में कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. इनमें से 7,723 सामुदायिक मामलों और अस्पताल में भर्ती मरीजों के 134 मामलों में कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप का पता चला.

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अध्ययन में पता चला कि फाइजर के टीके ने दूसरी खुराक के दो सप्ताह बाद अल्फा स्वरूप के खिलाफ 92 प्रतिशत संरक्षण और डेल्टा के खिलाफ 79 प्रतिशत संरक्षण प्रदान किया. इसी तरह एस्ट्राजेनेका का टीका डेल्टा स्वरूप के खिलाफ 60 प्रतिशत सुरक्षित और अल्फा स्वरूप के खिलाफ 73 प्रतिशत सुरक्षित पाया गया.

अध्ययनकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि टीके की दोनों खुराक कोरोना वायरस के डेल्टा स्वरूप के खिलाफ एक खुराक की तुलना में अधिक सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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