बर्लिन : जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने कहा है कि लीबिया बैठक में सभी ने हथियारों पर सर्वाधिक प्रतिबंध लगाने पर सहमति जताई है. युद्ध से ग्रसित लीबिया के लिए उन्होंने कहा कि सैन्य हस्तक्षेप से कोई समाधान नहीं निकलेगा.
मार्केल ने रविवार की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि इस मुद्दे पर बहुत गंभीर बातचीत हुई और इस बैठक ने शांति प्रयासों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
उन्होंने कहा, 'बैठक में शामिल सभी लोग इस बात पर सहमत हुए कि हमें एक राजनीतिक समाधान की जरूरत है. पिछले कुछ दिनों में एक बार फिर साफ हो गया है कि सैन्य हस्तक्षेप किसी भी तरह से समस्या का समाधान नहीं है.'
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि लीबिया में संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है. इस बात को बैठक में शामिल सभी लोगों ने बार-बार दोहराया. यहां तक कि उन्होंने भी जो इस संघर्ष में शामिल हैं.
बैठक में रूस, तुर्की और फ्रांस के राष्ट्रपतियों समेत विश्व नेताओं ने युद्ध में किसी भी रूप में दखल को रोकने की योजना पर हस्ताक्षर किए, चाहे वह दखल हथियारों के रूप में हो, सैनिकों के रूप में या फिर वित्तपोषण के तौर पर हो.
हालांकि सम्मेलन युद्धरत पक्षों के बीच गंभीर वार्ता तक नहीं पहुंची। इस दौरान दोनों पक्षों ने स्थायी युद्धविराम समझौते पर भी हस्ताक्षर नहीं किए.
यह संघर्ष शक्तिशाली नेता खलीफा हफ्तार और संयुक्त राष्ट्र की ओर से मान्यता प्राप्त सरकार के प्रमुख फयेज अल सराज के बीच चल रहा है.
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी की मौत के बाद से लीबिया में अराजकता की स्थिति है.
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इस सम्मेलन में हफ्तार और सराज के बीच आमने-सामने की मुलाकात नहीं हुई.
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने वार्ता से पहले कहा था कि लीबिया में शांति कायम करनी है तो हफ्तार को अपना शत्रुतापूर्ण रवैया छोड़ना होगा.