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फ्रांस में छह गैर सरकारी संगठनों ने पुलिस अधिकारियों पर भेदभाव का आरोप लगाया

फ्रांस में छह गैर सरकारी संगठनों ने पुलिस अधिकारियों पर भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए फ्रांस सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jan 27, 2021, 7:49 PM IST

पेरिस : फ्रांस में छह गैर सरकारी संगठनों ने पुलिस अधिकारियों द्वारा पहचान की जांच करने के लिए कथित प्रणालीगत भेदभाव करने के लिए फ्रांस सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.

संगठनों ने 'क्लास-एक्शन' की कार्रवाई शुरू की है. क्लास-एक्शन एक तरह का मुकदमा है, जिसके अन्तर्गत विवाद समाधान की वे प्रक्रियाएं और तकनीकें आती हैं, जो विवाद में उलझे पक्षों को बिना मुकदमे के ही विवाद का समाधान खोजने में सहायता करतीं हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित संगठनों का आरोप है कि फ्रांसीसी पुलिस पहचान जांच में नस्लीय भेदभाव करती है, काले लोगों और अरब मूल के लोगों को निशाना बनाती है.

वे प्रधानमंत्री जीन कैस्टेक्स और फ्रांस के आंतरिक और न्याय मंत्रियों को औपचारिक कानूनी नोटिस देकर उनसे कानून प्रवर्तन सुधारों का आग्रह कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने के वास्ते ठोस कदम उठाने की मांग भी की है कि नस्लीय आधार पर यह तय नहीं किया जाए कि पुलिस द्वारा किसे रोका जाना चाहिए.

पढ़ें :- नस्लीय भेदभाव के खिलाफ अमेरिका के पोर्टलैंड में प्रदर्शन तेज

इन संगठनों में ओपन सोसाइटी जस्टिस इनीशिएटिव और तीन फ्रांसीसी समूह भी शामिल हैं. फ्रांसीसी पुलिस द्वारा कथित नस्लीय भेदभाव के मुद्दे पर वर्षों से बहस चल रही है.

वकीलों में से एक स्लिम बेन अचौर के अनुसार, दो चरणों की मुकदमा प्रक्रिया में नोटिस देना पहला कदम है. कानून फ्रांसीसी अधिकारियों को उनकी मांगों को पूरा करने के बारे में गैर सरकारी संगठनों से बात करने के वास्ते चार महीने का समय देता है. मुकदमा दायर कराने वाले पक्षकार यदि इन कदमों से असंतुष्ट रहते हैं, तो मामला अदालत में जाएगा.

पेरिस : फ्रांस में छह गैर सरकारी संगठनों ने पुलिस अधिकारियों द्वारा पहचान की जांच करने के लिए कथित प्रणालीगत भेदभाव करने के लिए फ्रांस सरकार के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.

संगठनों ने 'क्लास-एक्शन' की कार्रवाई शुरू की है. क्लास-एक्शन एक तरह का मुकदमा है, जिसके अन्तर्गत विवाद समाधान की वे प्रक्रियाएं और तकनीकें आती हैं, जो विवाद में उलझे पक्षों को बिना मुकदमे के ही विवाद का समाधान खोजने में सहायता करतीं हैं.

ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित संगठनों का आरोप है कि फ्रांसीसी पुलिस पहचान जांच में नस्लीय भेदभाव करती है, काले लोगों और अरब मूल के लोगों को निशाना बनाती है.

वे प्रधानमंत्री जीन कैस्टेक्स और फ्रांस के आंतरिक और न्याय मंत्रियों को औपचारिक कानूनी नोटिस देकर उनसे कानून प्रवर्तन सुधारों का आग्रह कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने के वास्ते ठोस कदम उठाने की मांग भी की है कि नस्लीय आधार पर यह तय नहीं किया जाए कि पुलिस द्वारा किसे रोका जाना चाहिए.

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इन संगठनों में ओपन सोसाइटी जस्टिस इनीशिएटिव और तीन फ्रांसीसी समूह भी शामिल हैं. फ्रांसीसी पुलिस द्वारा कथित नस्लीय भेदभाव के मुद्दे पर वर्षों से बहस चल रही है.

वकीलों में से एक स्लिम बेन अचौर के अनुसार, दो चरणों की मुकदमा प्रक्रिया में नोटिस देना पहला कदम है. कानून फ्रांसीसी अधिकारियों को उनकी मांगों को पूरा करने के बारे में गैर सरकारी संगठनों से बात करने के वास्ते चार महीने का समय देता है. मुकदमा दायर कराने वाले पक्षकार यदि इन कदमों से असंतुष्ट रहते हैं, तो मामला अदालत में जाएगा.

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